कक्षा दसवीं और 12 वीं की परीक्षा फीस वापस करने पर विचार करें राज्य शिक्षा बोर्ड - हाईकोर्ट

State Education Board-High Court should consider refunding the examination fees of class 10th and 12th
कक्षा दसवीं और 12 वीं की परीक्षा फीस वापस करने पर विचार करें राज्य शिक्षा बोर्ड - हाईकोर्ट
कक्षा दसवीं और 12 वीं की परीक्षा फीस वापस करने पर विचार करें राज्य शिक्षा बोर्ड - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक व उच्च माध्यामिक शिक्षा बोर्ड (एमएसबीएसएचई) को कक्षा दसवीं व 12 वीं की प्रत्यक्ष परीक्षा (फिजिकल एक्जाम) को लेकर ली गई फीस को वापस करने पर विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि एक गरीब परिवार के लिए परीक्षा की फीस का भुगतान करना कठिन होता है। कोरोना के चलते इस बार कक्षा दसवीं व 12 वीं की प्रत्यक्ष रुप से परीक्षा नहीं ली गई है। इसलिए बोर्ड के सचिव परीक्षा शुल्क को वापस करने पर विचार करे। इस विषय पर सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रताप सिंह चोपदार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। गुरुवार को मुख्य न्यायादीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यदि बोर्ड के चेयरमैन यैचिकाकर्ता के निवेदन पर विचार करते है तो यह न्यायहित में होगा। हम अपेक्षा करते है कि चेयरमैन कम से कम विद्यार्थियों को पूरी अथवा आधी फीस वापस करने के बार में चार सप्ताह के भीतर निर्णय करेंगे। 

इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता पद्नाभ पिसे ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने बोर्ड के चेयरमैन के पास इस बारे में निवेदन दिया था लेकिन उन्हें बोर्ड की ओर से सुनवाई के लिए बुलाया ही नहीं गया। जिससे वे अपना पक्ष नहीं रख पाए है। इसलिए इस बारे में कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमे मेरे मुवक्किल का कोई निजी हित नहीं है। 

अधिवक्ता पिसे ने कहा कि दसवी की परीक्षा में सभी वर्ग के विद्यार्थी प्रविष्ट होते है। कोरोना संकट के चलते ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले गरीब लोगों को चार सौ से पांच 20 रुपए भी परीक्ष फीस के रुप में भरना कठिन महसूस हुआ है। ऐसे में बिना परीक्षा लिए बोर्ड का अपने पास फीस को रखना उचित नहीं है। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि भले ही परीक्षाए नहीं हुई है लेकिन बोर्ड ने परीक्षा परिणाम घोषित किए है। इसमें भी श्रम व कर्मचारी के अलावा दूसरे संसाधन लगते है। 

इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस बार स्कूलों ने आंतरिक परीक्षाएं ली है और रिजल्ट बोर्ड को भेजा है। परीक्षा में ज्यादातर खर्च उत्तरपुस्तिका व प्रश्नपत्र छापने में होता है। जो हुआ नहीं है। बोर्ड के पास परीक्षा शुल्क का ब्रेक अप होता है। ऐसे में बोर्ड इस ब्रेक अप के आधार पर परीक्षा फीस वापस करने पर विचार कर सकता है। इस बीच कोर्ट में एक अभिभावक ने कोर्ट में आवेदन दायर कर कहा है कि उनकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। इसलिए कक्षा 12 वीं की परीक्षा के लिए ली गई फीस को वापस करने का निर्देश दिया जाए। इस तरह खंडपीठ ने मामले से जुड़े सबी पक्षों को सुनने के बाद बोर्ड को चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता के फीस वापस करने से जुड़े निवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि इस बार 16 लाख विद्यार्थियों ने कक्षा दसवीं की परीक्षा दी है।जबकि करीब 14 लाख विद्यार्थियों ने 12 वीं की परीक्षा दी है।
 

Created On :   29 July 2021 7:57 PM IST

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