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अंतर्राष्ट्रीय जासूसी कांड से सतर्क हुई राज्य सरकार! इस फरमान से नाराज हुए अधिकारी संगठन
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश में पेगासस जासूसी कांड सामने आने के बाद राज्य सरकार का सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए मोबाइल आचार संहिता चर्चा का विषय बना हुआ है। इसे जासूसी कांड से जोड़ कर देखा जा रहा है, हालांकि सरकार इसे शिष्टाचार बनाए रखने का एक कदम बता रही है। जबकि सायबर विशेषज्ञों की नजर में इसे जासूसी जैसी गतिविधियों से बचने की कवायद मान रहे हैं। जबकि इस निर्देश से सरकारी अधिकारी नाराज हैं।
फरमान से नाराज हुए अधिकारी संगठन
राज्य सरकार की ओर से सरकारी कार्यालयों में मोबाइल इस्तेमाल को लेकर जारी परिपत्र पर अधिकारियों और कर्मचारियों की नाराजगी सामने आई है। महाराष्ट्र राज्य राजपत्रित अधिकारी महासंघ के संस्थापक व मुख्य सलाहकार जी डी कुलथे ने कहा कि सरकार को इस तरह का परिपत्र जारी करने की जरूरत नहीं थी। सरकार का यह परिपत्र अनावश्यक है। इससे जनता के बीच गलत संदेश जाएगा कि सरकारी अधिकारी अपने कार्यालय में काम की बजाए मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है। सरकारी अधिकारी और कर्मचारी कार्यालयों में मोबाइल का उपयोग अनुशासन में रहकर करते हैं। अधिकारी जरूरत होने पर ही मोबाइल का उपयोग करते हैं। दूसरी बात यह है कि अधिकारियों को मोबाइल सरकार उपलब्ध नहीं कराती। अधिकारी अपने निजी मोबाइल का उपयोग करते हैं। इसलिए इस तरह का शासनादेश जारी करने की कोई जरूरत नहीं थी। सरकार ने पिछले साल सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों और कर्मचारियों के जींस पहनने को लेकर रोक लगाई थी। बाद में आलोचना के बाद सरकार को वह आदेश वापस लेना पड़ा था। कुलथे ने बताया कि सरकार ने इससे पहले मोबाइल के उपयोग को लेकर कभी शासनादेश जारी नहीं किया था।
मोबाइल की अपेक्षा सुरक्षित है लैंडलाइन
सायबर अपराध विशेषज्ञ रितेश भाटिया की माने तो मोबाइल फोन की अपेक्षा लैंडलाइन ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि लैंडलाइन में किसी तरह के सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का खतरा नहीं होता। भाटिया ने कहा कि यह सही है कि मोबाइल में जासूसी करने वाले मैलवेयर भेजना काफी आसान है। पैगासस जैसे मंहगे ही नही सस्ते जासूसी वाले मैलवेयर के जरिए भी आसानी से मोबाइल में मौजूद जानकारी हासिल की जा सकती है। उन्होनें कहा कि लैंडलाइन फोन को भी टेप किया जा सकता है लेकिन यह सरकार की मंजूरी से ही हो सकता है। इसलिए बातचीत के लिए मोबाइल के मुकाबले लैंडलाइन ज्यादा सुरक्षित विकल्प है।
दूसरी तरफ सरकारी अधिकारियों को नहीं लगता कि इस मोबाइल आचार संहिता का पालन हो सकेगा। उनका मानना है कि मोबाइल लोगों के जीवन में इस कदर रच बस गया है कि इसे नजर अंदाज करना मुश्किल हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हालांकि आम जीवन की अपेक्षा सरकारी विभागों में अभी भी लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल अधिक होता है। सरकारी काम काज से संबंधित कॉल लैंडलाइन नंबर पर ही आते हैं। परिपत्र में एक और जहां मोबाइल फोन का कम इस्तेमाल करने को कहा गया है, तो दूसरी तरफ यह भी निर्देश है कि अधिकारी सरकारी दौरे के वक्त मोबाइल फोन बंद न रखें। मोबाईल फोन इस्तेमाल को लेकर राज्य सरकार ने पहली बार इस तरह का निर्देश जारी किया है।
राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव इंद्रा मालो ने शुक्रवार को सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के मोबाइल इस्तेमाल को लेकर एक परिपत्र जारी किया था। परिपत्र में कहा गया है कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारी मोबाइल की अपेक्षा लैंडलाइन का अधिक इस्तेमाल करें। यह परिपत्र जारी करने वाली सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव इंद्रा मालो ने शनिवार को ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि सरकारी विभागों में शिष्टाचार बनाए रखने के लिए यह परिपत्र जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि यह परिपत्र केवल मंत्रालय नहीं बल्कि राज्य के सभी सरकारी कार्यालयों के लिए है। उन्होंने कहा कि हम अपेक्षा करेंगे की सभी सरकारी विभाग इस परिपत्र का पालन करेंगे। भविष्य में होने वाली ऑनलाइन बैठकों में इस परिपत्र में जारी निर्देश की समीक्षा की जा सकती है। हालांकि उन्होंने इस बात से इंकार किया कि इस परिपत्र को पेगासस जासूसी कांड के चलते जारी किया गया गया।
Created On :   25 July 2021 3:21 PM IST