दसवीं की परीक्षा रद्द करने पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने मांगा दो सप्ताह का समय

State government demands two weeks to answer the cancellation of the Class 10 examination
दसवीं की परीक्षा रद्द करने पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने मांगा दो सप्ताह का समय
दसवीं की परीक्षा रद्द करने पर जवाब देने के लिए राज्य सरकार ने मांगा दो सप्ताह का समय

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द किए जाने के मामले में हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह तक का समय दिए जाने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया है। हाईकोर्ट ने 20 मई 2021 को राज्य सरकार से पूछा था कि उसने कक्षा दसवीं की परीक्षा क्यो रद्द की है। इस बारे में सरकार 28 मई तक हलफनामा दायर कर स्पष्टीकरण देने को कहा था। किन्तु राज्य सरकार ने हलफनामा दायर करने की बजाय कोर्ट में आवेदन दायर कर समय की मांग की है। सरकार की ओर से स्कूली शिक्षा विभाग  की ओर से दायर किए गए आवेदन  में कहा गया है कि कोरोना संकट के चलते मंत्रालय में शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग 15 प्रतिशत स्टॉफ के साथ काम कर रहे हैं। इसलिए हलफनामा तैयार करने के लिए जरूरी निर्देश लेने के लिए समय दिया जाए। गौरतलब है कि पुणे निवासी धनजंय कुलकर्णी ने राज्य सरकार की ओर से कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द करने के फैसले के खिलाफ अधिवक्ता उदय वारुनजेकर के मार्फत हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एस जे काथावाला की खंडपीठ ने सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए  28 मई तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था और 2 जून 2021 को सुनवाई रखी थी।

परीक्षा रद्द किए जाने के समर्थन नें छात्र ने दायर किया आवेदन 

राज्य सरकार द्वारा कक्षा दसवीं की परीक्षा रद्द किए जाने के समर्थन में एक छात्र ने बॉम्बे हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया है। कक्षा दसवीं के छात्र रिशान सरोदे ने आवेदन में दावा किया है कि कोरोना संकट के बीच परीक्षा का आयोजन विद्यार्थियों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए परीक्षा रद्द करने को लेकर राज्य सरकार के निर्णय को कायम रखा जाए। क्योंकि कोरोना के चलते यह साल असामान्य वर्ष बन गया है। इसलिए सरकार के निर्णय को बरकरार रखा जाए। आवेदन में कहा गया है कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक मानी जा रही है। इस लिहाज से भी परीक्षा का आयोजन उचित नहीं है। आवेदन के अनुसार इस मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान विद्यार्थियों की मनःस्थिति को समझने के लिए मानोवैज्ञानिको से मदद लेनी चाहिए। क्योंकि परीक्षा रद्द होने के बाद विद्यार्थी निश्चिंत हो गए हैं। ऐसे में दोबारा परीक्षा के आयोजन की मांग उचित नहीं है।


 


 

Created On :   28 May 2021 6:28 PM IST

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