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स्टेट वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी बोर्ड के पुनर्गठन को चुनौती, सचिव को नोटिस जारी
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट में स्टेट वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड के पुनर्गठन को चुनौती दी गई है। एक्टिंग चीफ जस्टिस आरएस झा और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने राज्य शासन के एसीएस फॉरेस्ट, चेयरमैन स्टेट वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड (मुख्यमंत्री स्टेट वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड के चेयरमैन है) और केन्द्र सरकार के वाइल्ड लाईफ कंजवेटर के सचिव को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब-तलब किया है।
पुनर्गठन में वाइल्ड लाईफ प्रोटेक्क्शन एक्ट 1972 का उल्लघंन
भोपाल के आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 3 अगस्त 2019 को अधिसूचना जारी कर स्टेट वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड का पुनर्गठन किया है। इस बोर्ड में चेयरमैन सहित 30 सदस्य है। याचिका में कहा गया है कि स्टेट वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड के पुनर्गठन में वाइल्ड लाईफ प्रोटेक्क्शन एक्ट 1972 का उल्लघंन किया गया है। प्रोटेक्क्शन एक्ट की धारा 6 के अनुसार एडवाइजरी बोर्ड में कम से कम दो अनुसूचित जन-जाति के सदस्य होना चाहिए, लेकिन एडवाइजरी बोर्ड में एक भी अनुसूचित जन-जाति के सदस्य को नहीं रखा गया है। धारा 6 ई के एडवाइजरी बोर्ड में वाइल्ड लाईफ एक्सपर्ट को ही सदस्य बनाया जा सकता है। याचिका में कहा गया कि एडवाइजरी बोर्ड में ऐसे लोगों को सदस्य बना दिया गया है, जो पार्टी विशेष से ताल्लुक रखते है। केवल अभिरूचि के आधार किसी को वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड का सदस्य नहीं बनाया जा सकता है।
बिना नियम बनाए बोर्ड का पुनर्गठन
अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया कि वाइल्ड लाईफ प्रोटेक्क्शन एक्ट 1972 की धारा 64 के तहत एडवाइजरी बोर्ड का पुनर्गठन करने के लिए नियम बनाना जरूरी है। सरकार ने बिना नियम बनाए ही वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड का गठन कर दिया है। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। ऐसे में यदि वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड का गठन गलत तरीके से किया जाता है, तो देश भर में गलत संदेश जाएगा। श्री संघी ने युगल पीठ से अनुरोध किया कि गलत तरीके से बनाए गए स्टेट वाइल्ड लाईफ एडवाइजरी बोर्ड को भंग किया जाकर नए सिरे से बोर्ड का गठन किया जाए। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
Created On :   27 Aug 2019 8:31 AM GMT