राज्य महिला आयोग ने कहा- बाल विवाह के लिए तलाठी-सरपंच की हो जिम्मेदारी

State Womens Commission said- Talathi-Sarpanch should be responsible for child marriage
राज्य महिला आयोग ने कहा- बाल विवाह के लिए तलाठी-सरपंच की हो जिम्मेदारी
सरकार से मांग राज्य महिला आयोग ने कहा- बाल विवाह के लिए तलाठी-सरपंच की हो जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इलाके में बाल विवाह का मामला सामने आने पर सरपंच और तलाठी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। दरअसल राज्य में बढ़ते बाल विवाह के मामलों से चिंतित महिला आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि बाल विवाह के मामले सामने आने के बाद स्थानीय जनप्रतिनिधियों या स्थानीय अधिकारियों जैसे तलाठी व सरपंच को उनके पद से हटा दिया जाए। इसके लिए बाल विवाह कानून में जरूरी सुधार किया जाए। 

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रुपाली चाकणकर ने कहा कि पिछले दो सालों से बाल विवाह के बढ़ते मामले देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर यह नियम बनाने की मांग की गई है। पिछले एक साल में राज्य में बाल विवाह के 914 मामले सामने आए। सोलापुर, बीड़, औरंगाबाद, अहमदनगर, जालना, बुलढाणा में सामने आए बाल विवाह के  ये मामले रोके गए हैं। इसके अलावा बाल विवाह के मामले में 81 एफआईआर दर्ज की गई है। चाकणकर ने कहा कि यह तो वे मामले हैं जो सामने आएं हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं जो सामने नहीं आते। बड़ी संख्या में लड़कियों का विवाह 14-15 साल की आयु में कर दिया जाता है। साल भर में ही इन लड़कियों को मातृत्व का बोझ भी उठाना पड़ता है। 

राज्य महिला आयोग कि अध्यक्ष ने कहा कि कम उम्र में विवाह के चलते बच्चे को जन्म देते वक्त मां या बच्चे की मौत के भी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। फिलहाल मौजूदा कानून के मुताबिक वर वधू के परिवार वाले, विवाहस्थल के मालिक, पंडित, फोटोग्राफर पर कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन अब हम चाहते हैं कि बाल विवाह कानून में सुधार किया जाए और मामले सामने आने पर सरपंच, तलाठी और विवाह पंजीयन अधिकारी के खिलाफ जांच कर दोषी पाए जाने पर उनका पद रद्द कर दिया जाए। चाकणकर ने कहा कि बालविवाह रोकने के लिए यह कदम उठाना बेहद जरूरी है।       

 

Created On :   6 Dec 2021 7:58 PM IST

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