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आरटीओ में भारी लापरवाही, इंस्पेक्टर का काम कर रहे दलाल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। पूर्व आरटीओ में लापरवाही से दिए जा रहे लाइसेंस शहर में हादसों का कारण बन रहे हैं। इसके कारण ड्राइवर को तो नुकसान हो ही रहा है, इसके साथ सड़क पर चलने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि शहर आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस नियमानुसार जांच पड़ताल कर नहीं, बल्कि दलालों के इशारों पर दिए जा रहे हैं। जो काम विभाग के इंस्पेक्टरों को करना चाहिए वह दलाल कर रहे हैं। इंस्पेक्टर मात्र कागजों पर मोहर बनकर रह गया है, जो एजेंटों के कहे अनुसार लाइसेंस देने और नहीं देने का निर्णय करता है। मतलब लाइसेंस किसे मिलेगा यह इंस्पेक्टर नहीं, एजंेट तय कर रहे हैं। दूसरी तरफ फोर व्हीलर के ट्रायल के लिए केवल गाड़ी को आगे-पीछे कर पास और फेल किया जा रहा है। भास्कर ने ऐसे ही मामले का एक लाइव स्टिंग ऑपरेशन कर खुलासा किया है। 1 अप्रैल से 31 अगस्त 2019 इन पांच महीनों में 420 सड़क हादसे हुए यह वे हादसे हैं जो पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हैं, जबकि इससे कहीं अधिक मामले हुए हैं, जो पुलिस तक नहीं पहुंच सके। इन हादसों में अधिकांश मामले गलत ड्राइविंग के कारण हुए हैं।
दोपहर करीब 2 बजे संवाददाता पूर्व आरटीओ के एसटी बस पार्किंग मैदान के ट्रायल ट्रैक पर पहुंचा। जहां पर सहायक निरीक्षक विवेक भंडारे आवेदकों को सभी डाॅक्यूूमेंट और नियमों की जानकारी दे रहे थे, जिसके बाद ट्रायल शुरू हुआ। ट्रायल लेने के लिए सहायक निरीक्षक एक वेन में जाकर बैठे और उसके पास एक दलाल बैठा, जिसके हाथ में अपॉइंटमेंट शीट थी। आवेदक दलाल के सामने लाइन लगाकर खड़े हो गए और उसके बाद दलाल बैठकर सबकी उपस्थिति की साइन लेकर उनके दस्तावेज लेकर जांच कर निरीक्षक को दे रहा था। निरीक्षक ने व्यक्ति का नाम लेकर उसे ट्रायल देने को कहा और ट्रायल देने के बाद उसे पास या फेल का निर्णय लिया। दलाल अपने व्यक्ति को पहले बुलाकर उसकी करवाई और फिर उसका ट्रायल लिया, वहां सभी दलाल मौजूद थे।
गाड़ी को आगे-पीछे किया और हो गई खानापूर्ति
ग्राउंड मंे दोपहिया वाहन के लिए ट्रैक है, लेकिन चारपहिया वाहन के लिए बहुत छोटा ट्रैक है। यदि किसी अावेदक को चारपहिया वाहन का ट्रायल देना है, तो उसे केवल वहां मौजूद दलालों की गाड़ी को थोड़ा आगे लेकर पीछे लेना है। इस तरह के ट्रायल से ही आवेदकों को लाइसेंस दिए जा रहे हैं। अधिकारियों को बताने पर उनका कहना है कि ट्रैक के लिए जगह नहीं है इसलिए ट्रायल ऐसे लिया जा रहा है। इसके साथ ही ट्रायल लेते समय गाड़ी में आवेदक के साथ दलाल बैठते हैं।
एजेंट ऐसे करता है इंस्पेक्टर के काम
आरटीओ में इंस्पेक्टर के साथ दलालों की सेटिंग रहती है। दलाल आवेदकों के डाॅक्यूमेंट भी चेक करता है। यह दलाल अपने व्यक्ति का फार्म इंस्पेक्टर को दे देता है और इंस्पेक्टर साइन कर एप्रुव कर देता है। ट्रायल में भी गाड़ी में आवेदक के साथ दलाल बैठता है। नियमानुसार जिस गाड़ी में आवेदक ट्रायल दे रहा है उसका इंश्योरेंस होना चाहिए जिसकी जांच इंस्पेक्टर को करनी होती है। लेकिन किसी भी गाड़ी के इंश्योरेंस की जांच नहीं की जा रही थी।
ट्रायल के लिए जगह नहीं
उप प्रादेशिक परिवहन अधिकारी, पूर्व आरटीओ विनोद जाधव के मुताबिक ट्रायल के लिए ट्रैक की जगह बहुत कम है। दोपहिया वाहनों का ट्रायल तो ठीक से हो जाता है, लेकिन चारपहिया वाहनों के ट्रायल के लिए जगह ही नहीं है। जितनी जगह है वही पर ट्रायल लेते हैं।
Created On :   25 Sept 2019 5:18 PM IST