नसबंदी फेल, क्लेम के लिए भटक रहे - कमिश्नर ने सीएमएचओ से मांगी प्रकरण की जानकारी

Sterilization fails, wandering for claims - the information sought by CMHO from CMHO
नसबंदी फेल, क्लेम के लिए भटक रहे - कमिश्नर ने सीएमएचओ से मांगी प्रकरण की जानकारी
नसबंदी फेल, क्लेम के लिए भटक रहे - कमिश्नर ने सीएमएचओ से मांगी प्रकरण की जानकारी

डिजिटल डेस्क शहडोल। नसबंदी फेल होने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। सीएमएचओ ऑफिस में हर माह इस तरह के औसतन चार केस पहुंच रहे हैं। इससे भी बड़ी दिक्कत क्लेम न मिलने की है। क्लेम के लिए लोग अधिकारियों को चक्कर लगाते हैं। कमिश्नर से कुछ महिलाओं ने इसकी शिकायत की है। कमिश्नर से संभाग के सभी सीएमएचओ से संबंधित प्रकरणों की जानकारी मांगी है।
   स्वास्थ्य विभाग की ओर से परिवार नियोजन के तहत महिला और पुरुष दोनों के नसबंदी ऑपरेशन किए जाते हैं। बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार परिवार नियोजन कार्यक्रम पर पूरी ताकत झोंकती है। नसबंदी कराने वालों को प्रोत्साहन के तौर पर नगद राशि से लेकर उपहार तक दिए जाते हैं। नसबंदी कराने के बाद भी जब महिलाएं गर्भधारण कर लेती हैं तो नसबंदी फेल मानी जाती है। इसके लिए क्लेम करने का प्रावधान है। क्लेम करने पर संबंधित को सरकार की ओर से ३० हजार रुपए मिलते हैं। इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को समय से देनी होती है और गर्भधारण के ९० दिन के भीतर क्लेम करना होता है।
ऑनलाइन के कारण दिक्कत
वर्तमान में नसबंदी फेल होने पर ऑनलाइन क्लेम किया जाता है। पहले यह व्यवस्था मैनुअल थी। मैनुअल होने के कारण ९० दिन के भीतर क्लेम करने की वाध्यता नहीं रहती थी। चूंकि जानकारी हाथ से लिखकर भेजी जाती थी तो उसमें दो-चार दिन आगे-पीछे हो जाता था। अब ऑनलाइन आवेदन जमा होने के कारण एक दिन की देरी होने पर भी क्लेम आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाता है और लोग दफ्तरों के चक्कर लगाते रहते हैं।
कमिश्नर के पास पहुंची शिकायत
नसबंदी फेल होने की शिकायत लेकर कुछ महिलाएं कमिश्नर रजनीश श्रीवास्तव के पास गई थीं। कमिश्नर से शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए संभाग से सभी सीएमएचओ को पत्र भेजकर इस तरह के प्रकरणों की जानकारी मांगी है। उनके पूछा गया है कि जिले में इस तरह के कितने प्रकरण हैं, कितनों में भुगतान हो चुका है। कितने लंबित हैं। साथ ही कहा गया है कि हर सप्ताह होने वाली टीएल की बैठक में इसकी जानकारी कलेक्टर को दें।
शहडोल जिले में इस साल नसबंदी का ६० फीसदी लक्ष्य ही प्राप्त हो सका है। जिले में लक्ष्यमुक्त असेसमेंट के तहत जो आवश्यता निर्धारण किया गया था। उसका ६० फीसदी ही पूरा किया जा सका है। सरकार की तरफ से नसबंदी कराने वाली महिला को १४०० रुपए और नसबंदी कराने वाले पुरुष को २००० रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाते हैं। वहीं इनको लाने वाली आशा कार्यकर्ता को २०० रुपए मिलते हैं। बताया जा रहा है कि आशा कार्यकर्ताओं की हड़ताल की वजह से भी नसबंदी के कार्यक्रम में रुकावट आई है।
इनका कहना है
 कुछ महिलाओं ने नसबंदी फेल होने पर पैसे नहीं मिलने की शिकायत की थी। एक महिला को सीएमएचओ शहडोल के पास भेजा गया था। वहीं इस संबंध में सभी सीएमएचओ से जानकारी मांगी गई है।
रजनीश श्रीवास्तव, कमिश्नर शहडोल
 क्लेम के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया है। प्रकरण भोपाल भेजा जाता है। पात्रता के अनुसार वहां से आवेदन मंजूर और खारिज होते हैं। जब से ऑनलाइन क्लेम भरा जा रहा है रिजेक्शन के केस बढ़ गए हैं।
डॉ. राजेश पांडेय, सीएमएचओ

Created On :   4 April 2018 1:47 PM IST

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