नागपुर में स्टिलबर्थ का आंकड़ा पांच गुना ,एक वर्ष में 1070 मामले दर्ज

Stillbirth figures five times in nagpur, 1070 cases registered in a year
नागपुर में स्टिलबर्थ का आंकड़ा पांच गुना ,एक वर्ष में 1070 मामले दर्ज
नागपुर में स्टिलबर्थ का आंकड़ा पांच गुना ,एक वर्ष में 1070 मामले दर्ज

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  स्वास्थ्य सेवा के मामले में मध्य भारत का सबसे अहम केंद्र होने के बावजूद नागपुर में स्टिलबर्थ (24 सप्ताह के गर्भावस्था के बाद शिशु की मृत्यु) का दर राष्ट्रीय और राज्य की तुलना में पांच गुना ज्यादा है। मनपा ने वर्ष 2019 में स्टिलबर्थ के 1070 मामले दर्ज किए हैं। इनमें 628 मेल और 442 फीमेल थे। जन्म लेने वाले बच्चों की कुल संख्या 53907 थी। स्टिलबर्थ का दर प्रति हजार 19.84 रहा। वर्ष 2018 में मनपा में 58403 बच्चों का जन्म पंजीकृत हुआ, जिनमें 495 की जन्म से पूर्व मृत्यु हो गई थी। जन्म से पूर्व मृत शिशु जन्म दर प्रति हजार 8.47 था। 

लक्ष्य की ओर कदम
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में देश और महाराष्ट्र में यह दर प्रति हजार 4 थी। सरकार का 2025 तक इसे एक तक लाने का लक्ष्य है। नागपुर विभाग के उपसंचालक (स्वास्थ्य) डॉ. संजय जायस्वाल के अनुसार पिछले कुछ समय में स्टिलबर्थ को कम करने के लिए काफी काम किया गया है। वर्ष 2015 में नागपुर में स्टिलबर्थ का दर 13.1 था जो वर्ष 2016 में घट कर 11.81 रह गया। इस वर्ष इसमें ज्यादा संख्या होने का कारण जागरूकता के कारण मामलों के रजिस्ट्रेशन में वृद्धि हुई है। अब सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों के मामले भी पंजीकृत किए जा रहे हैं।

तीन माह में  84 मामले
शहर के प्रमुख स्वास्थ्य सेवा केंद्र मेडिकल में पिछले तीन माह में स्टिलबर्थ के 84 मामले हुए हैं। मनपा की स्वास्थ्य नोडल अधिकारी के अनुसार नागपुर में मेडिकल समेत स्वास्थ्य केंद्रांे में स्टिलबर्थ के ज्यादातर मामले प्रवासी मजदूरों और पड़ोसी राज्यों से आने वाली गर्भवती महिलाओं से जुड़े होते हैं। प्रसूति और स्त्रीरोग विशेषज्ञ शहर में उच्च स्टिलबर्थ दर को स्वास्थ्य सेवा के स्तर से जोड़कर देखने को सही नहीं मानते हैं। उनके अनुसार, इस तरह के ज्यादातर मामले प्रवासी मजदूरों और ग्रामीण इलाकों से जुड़े होते हैं।

रीति-रिवाज भी जिम्मेदार
गर्भ में शिशु की मौत के मामलों में मां के स्वास्थ्य के साथ-साथ अज्ञानता और रीति-रिवाज भी जिम्मेदार हैं। मनपा की स्वास्थ्य नोडल अधिकारी डॉ. हीना कुरैशी के अनुसार, अंधविश्वास और अज्ञानता के कारण परिजन कई बार आशा वर्कर से गर्भावस्था की जानकारी छिपाते हैं। स्टिलबर्थ पर प्रभावी रूप से राेक लगाने के लिए गर्भावस्था के दौरान एक ही डॉक्टर से नियमित जांच, डॉक्टर की सलाह और दी गई दवाआें का नियमित सेवन और बुलाए गए समय पर जांच के लिए जाना जरूरी है। प्रसव के लिए मायके जाने के प्रचलन के कारण कई बार गर्भवती महिला ऐसी जगह चली जाती हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधाएं अपेक्षाकृत कम होती हैं। 

शासकीय स्तर पर गर्भवती महिलाओं के रजिस्ट्रेशन, निगरानी और उद्बोधन प्रसव अस्पताल में ही हो, यह निश्चय करने के लिए कई प्रभावी योजनाएं जारी हैं। प्रत्येक गर्भवती महिला को पांच हजार रुपए तीन किस्तों में प्रदान किए जाते हैं। मनपा के स्वास्थ्य केंद्रांे और सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क प्रसव की सुविधा उपलब्ध है। प्रति पचास हजार जनसंख्या पर काम कर अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर से जुड़ीं आशा वर्कर प्रत्येक गर्भवती महिला का पंजीकरण, निरीक्षण और अस्पताल में प्रसव सुनिश्चित करने का कार्य कर रही हैं। -डाॅ संजय जायस्वाल, उपसंचालक(स्वास्थ्य)

नागपुर में  स्टिलबर्थ के मामले
वर्ष                         दर
2007                   14.7
2008                   10.8
2009                   11.6
2010                   12.1
2011                   13
2012                   11.6
2013                  10.25
2014                  13.26
2015                  13.1
2016                  11.8
प्रति 1000 जन्म की तुलना में 
 

Created On :   16 Jan 2020 11:23 AM IST

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