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नागपुर के दूषित पानी में मिला कोरोना डेल्टा स्ट्रेन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सेंट्रल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (सिम्स) और यूके नाॅटिंघम विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में नागपुर के 10 जोन व ग्रामीण क्षेत्र के दूषित पानी के सैंपल की जांच की गई। जनवरी से अगस्त 2021 तक 8 महीने में 1200 से 1400 सैंपल लिये गए थे। इनमें 80 फीसदी सैंपल में कोरोना के विषाणु पाए गए हैं।सिम्स के संशोधन विभाग के संचालक डॉ. राजपाल कश्यप के अनुसार, इस काम को भारतीय चिकित्सा संशोधन परिषद (आईसीएमआर) ने मंजूरी दी थी। उसके बाद सैंपल जमा करने के लिए मनपा और जिला परिषद ने मदद की थी। सभी सैंपलों की जांच सीआईआईएमएस के मॉलेक्यूरल लैब में की गई। जांच में पहले आरटीपीसीआर टेस्ट की गई। इसमें 75 से 80 फीसदी कोरोना संक्रमण पाया गया। कुछ सैंपल में वायरस जाने का स्वरूप दिखाई दिया। कुछ सैंपलों में डेल्टा के स्वरूप दिखाई दिए हैं। इस कारण डेल्टा का संक्रमण नागपुर में आकर चले जाने का पता चलता है।
टीका लेने वाले 98% लोगों में एंटीबॉडी
अभ्यास के दौरान वायरस का प्रभाव कम है या अधिक है, इसकी जांच की गई। इसमें फरवरी से अप्रैल तक प्रभाव अधिक होने का सच सामने आया है। शहर के टीकाकरण न कराने वाले 400 और टीकाकरण करानेवाले 600 लोगों के रक्त की जांच करने पर टीकाकरण न करने वाले 69 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी पाई गई। वहीं टीकाकरण करा चुके 98 फीसदी में एंटीबॉडी दिखाई दी। पत्र-परिषद में डॉ. अमित नायक व डॉ. अली अब्बास के अलावा सिम्स के संचालक डॉ. लोकेंद्र सिंह भी उपस्थित थे।
रोटा वायरस का संक्रमण भी बड़े प्रमाण में
दूषित पानी की जांच के दौरान रोटा वायरस का संक्रमण भी बड़े प्रमाण में दिखाई दिया है। अब दूसरी बीमारियों का अभ्यास किया जा रहा है। अभ्यास का ब्योरा शोध प्रबंध में रखा जानेवाला है। विशेष यह कि दूषित जल में भी बड़े प्रमाण में एंटीबॉडी पाई गई है। पानी में स्टेरायड समेत अन्य दवाओं के अंश मिले हैं। पानी में मिले कोरोना के अंश आरएनए के टुकड़े हैं। उनसे खतरा नहीं है, वे संक्रामक नहीं है, इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है, ऐसा भी बताया गया है।
Created On :   8 Oct 2021 5:59 PM IST