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सीसीटीवी बंद होने पर जानकारी न देने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ हो कड़ी कार्रवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे उन पुलिस स्टेशनों के वरिष्ठ पुलिस स्टेशनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे जो पुलिस स्टेशनों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों के बंद होने की जानकारी नहीं देते है अथवा सीसीटीवी कैमरे की खामी को दूर करने की दिशा में कदम नहीं उठाते है। हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को कहा है कि वे अगली सुनवाई के दौरान बताए कि प्रदेश के कितने पुलिस स्टेशनों में लगे सीसीटीवी कैमरे कार्यरत है और कितने बंद पड़े है। सीसीटीवी कैमरे के डेटा को कितने समय तक सुरक्षित रखा जाता है। कैमरे के बैकअप डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कौन से कदम उठाए गए है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को अगली सुनवाई के दौरान इस विषय पर रिपोर्ट सौपने का निर्देश दिया है। इससे पहले कोर्ट ने पाया कि नाशिक पुलिस स्टेशन में लगाया गया कैमरा दो महीने से कार्यरत नहीं है।
न्यायमूर्ति एसजे काथावाला व न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को इस विषय पुर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले को उसकी मूलभावना के साथ लागू करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत पुलिस स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरा लगा तो दिया गया है लेकिन जानबूझकर सीसीटीवी कैमरे को पुलिस स्टेशन में या तो बंद रखा जाता है या फिर कैमरे का ठीक ढंग से रखरखाव नहीं किया जाता है। ताकि पुलिस स्टेशन में क्या होता है इसकों कोई जान न सके और किसी मामले को लेकर सबूत न रहे। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में सभी पुलिस स्टेशनों को सीसीटीवी कैमरे लगाने व उन्हें सक्रिया रखने के संबंध में आदेश जारी किया है। खंडपीठ ने सोमनाथ गिरी नाम के शख्स की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान पाया था कि याचिकाकर्ता को फर्जी नोटिस दी गई और वो भी पुरानी के साथ। याचिकाकर्ता ने मुख्य रुप से उन्हें 149 के तहत जारी की गई नोटिस को चुनौती दी थी। खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई 28 जनवरी को रखी है।
Created On :   27 Jan 2022 10:53 PM IST