- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- टीचर्स पर परिवार के लिए पार्ट टाइम...
टीचर्स पर परिवार के लिए पार्ट टाइम काम करने की नौबत, धरना प्रदर्शन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य की दिव्यांग स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने वाले एक हजार से ज्यादा शिक्षक घर चलाने के लिए पार्ट टाइम काम कर रहे हैं। कोई स्कूल से आने के बाद टैक्सी चला रहा है, तो कोई पानठेला चलाकर दो जून की रोटी का जुगाड़ कर रहा है। बावजूद इसके सरकार का इन पर ध्यान नहीं है। ऐसे में इस बार भी नागपुर में शीतसत्र का आगाज होते ही सरकार का ध्यानाकर्षित करने के लिए महाराष्ट्र राज्य शिक्षक समन्वय समिति की ओर से धरना प्रदर्शन किया गया। राज्य की अलग-अलग दिशा से सैकड़ों की संख्या में शिक्षक उपराजधानी पहुंचे हैं।
राज्य में स्थित दिव्यांग स्कूल में 13058 शिक्षक बिना वेतन काम कर रहे हैं। किसी को वेतन मिल रहा है। लेकिन वह भी शासकीय नियमों को अनदेखा कर मिल रहा है। इन शिक्षकों को उस वक्त राहत मिली थी। जब केंद्र सरकार ने आईईडीएसएस (दिव्यांग शामिल योजना, माध्य.स्तर) नामक योजना इनके लिए वर्ष 2009 में शुरू की थी, लेकिन विडंबना है कि इस योजना के माध्यम से नाममात्र शिक्षकों को भी फायदा नहीं मिला। वहीं वर्ष 2014 को यह योजना बंद भी हो गई। हालांकि इस संदर्भ में समिति की ओर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, जिसके बाद उच्च न्यायालय मुंबई खंडपीठ ने उपरोक्त योजना अंतर्गत शामिल उक्त शिक्षकों को जिला परिषद, स्थानीय स्वराज्य संस्था के स्कूल में शामिल करने का आदेश जारी किया। हालांकि शिक्षकों के मुताबिक अभी तक इस आदेश का भी पालन नहीं हुआ है। गत 9 वर्ष से बड़ी संख्या में शिक्षक बिना वेतन या बहुत कम वेतन में काम कर रहे हैं, जिससे उनका घर नहीं चलता है। ऐसे में उन्हें जीवन यापन करने के लिए स्कूल के बाद पार्टटाइम काम करना पड़ रहा है।
ऑनलाइन फूड डिलीवरी करते हैं
धरना देने बैठे शिक्षकों में ज्ञानेश्वर निनावे ने बताया कि वह घर खर्च चलाने के लिए टैक्सी चलाते हैं। वहीं सतीश वंजारी ने बताया कि वह भी प्राइवेट ड्राइविंग कर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं। इसके अलावा स्कूल के समय दिव्यांग बच्चों को पढ़ाते हैं। सतीश गुडदे ने बताया कि वह ऑनलाइन फूड डिलीवरी का काम करते हैं। शिवकुमार वैद्य ने बताया कि वह पानठेला चलाकर घर चला रहे हैं।
9 साल किया काम, सालभर का भी वेतन नहीं मिला
समिति की अध्यक्ष शिल्पा कोंडे ने बताया कि वह वर्ष 2010 में शिक्षिका पद पर काम कर रही हैं, लेकिन आज तक उन्हें वेतनश्रेणी के अनुसार वेतन नहीं मिल पाया। 9 वर्ष में अब तक उन्हें एक साल का भी वेतन वेतनश्रेणी अनुसार नहीं मिल पाया।
Created On :   17 Dec 2019 4:14 PM IST