ऐसे जीती लड़ाई : कोरोना ने खूब डराया, पर दोस्ती ने उसे हराया

Such a battle won: Corona horrified, but friendship beats them
ऐसे जीती लड़ाई : कोरोना ने खूब डराया, पर दोस्ती ने उसे हराया
ऐसे जीती लड़ाई : कोरोना ने खूब डराया, पर दोस्ती ने उसे हराया

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संक्रमण ने खूब डराया, लेकिन ‘दोस्ती’ के बूते हमने उसे हराया। यह कहना है वार्ड में भर्ती कुछ वैसे कोरोना विजेताओं का, जो बीते पलों को याद कर भावुक हो जाते हैं। कुछ ने कहा- सच में उम्र का कोई बंधन नहीं होता है। कोरोना वार्ड में दोस्तों की हिम्मत और ताकत ने ‘इस’ जंग को जीतने में मदद की। फ्रेंडशिप-डे के अवसर पर उन्होंने दोस्ती के अनुभवों को साझा किया और कहा-ये दोस्ती हम नहीं भूलेंगे।   

अनुश्री (परिवर्तित नाम) के मुताबिक कोरोना संक्रमित होने की जानकारी मिलते ही हाथ-पांव फूल गए। भर्ती होना पड़ा। वार्ड में भी घबराहट थी। मेरे ही उम्र की एक और महिला भर्ती थी। वो भी बहुत डरी हुई थी। बातें हुईं, दोनों एक दूसरे को समझाते रहे। जब भी मैं उदास होती तो मेरी दोस्त मुझे समझाती और मैं उसे। अब हम दोनों कोरोना मुक्त हैं। नई दोस्त पाकर खुश हूं। इस फ्रेंडशिप-डे पर हम मिल तो नहीं सकते, फोन पर ही विश करेंगे। 


शुभ (परिवर्तित नाम) के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव होने की खबर मिली तो होश उड़ गए। वार्ड में अकेलापन लग रहा था। एक 60 वर्षीय अंकल को परेशान देख अपनी तकलीफ भूल गया और कहा-आपको किसी भी तरह की परेशानी हो तो मुझे बताए।  दोस्ती उम्र का बंध नहीं देखता, उन्होंने भी दोस्ती का हाथ बढ़ाया। अंकल से बहुत कुछ नई चीजें सीखने को मिली। अब हम हर रोज बात करते हैं। वार्ड के कई लोगो ने मिलकर ‘दोस्ती’ नाम का ग्रुप तैयार किया है। 

निशा ( परिवर्तित नाम) के मुताबिक जब एंबुलेंस लेने आई तो बहुत डर गई थी। वार्ड में अजीब सी फीलिंग हो रही थी। अकेलापन दूर करने के लिए प्राय: सभी परिवार से वीडियो कॉल पर बात करते थे, लेेकिन एक आंटी उदास बैठी रहती थीं। उनके पास स्मार्ट फोन नहीं था। झिझकते हुए मुझसे कहा कि बेटा, मुझे भी परिजनों से बात करनी है। मैंने नंबर लेकर उनके परिजनों से बात कराई। आंटी मेरी अच्छी दोस्त बन गई। खूब आशीर्वाद मिला। नई दोस्त को पाकर काफी खुशी हुई।

Created On :   2 Aug 2020 8:10 AM GMT

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