जो कहा, वह करके दिखाया, गडकरी बोले - उद्योग जगत में महत्वपूर्ण योगदान

Such was Rahul Bajaj - did what he said, did it, Gadkari said - important contribution to the industry
जो कहा, वह करके दिखाया, गडकरी बोले - उद्योग जगत में महत्वपूर्ण योगदान
ऐसे थे राहुल बजाज जो कहा, वह करके दिखाया, गडकरी बोले - उद्योग जगत में महत्वपूर्ण योगदान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बजाज समूह के अध्यक्ष राहुल बजाज को श्रद्धांजलि देते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने कहा है कि उद्योग जगत में बजाज का महत्वपूर्ण योगदान है। वे सफल उद्यमी व समाजसेवी थे। पद्मभूषण से सम्मानित बजाज से मेरे कई वर्षाें से व्यक्तिगत संबंध रहे हैं। दिवंगत आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करे।

कांग्रेस के अधिवेशन के बाद पड़ा बजाज नगर नाम

साल 1920 में बजाज नगर परिसर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। जमनालाल बजाज स्वतंत्रता सेनानी और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बेहद करीबी थे। इस अधिवेशन में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। देश की आजादी की लड़ाई में उनकी सक्रियता और कांग्रेस के अधिवेशन स्थल की स्मृति में उस परिसर को बजाज नगर नाम पड़ा। आगे चलकर उस परिसर में जमनालाल बजाज की प्रतिमा बनाई गई। जमनालाल बजाज उद्योजक स्व. राहुल बजाज के दादा थे।

जो कहा, वह करके दिखाया

देश के प्रख्यात उद्योगपति, पद्मविभूषण से सम्मानित राज्यसभा सांसद राहुल बजाज, एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने जो सपना देखा उसे साकार करने में जरा भी देर नहीं लगाई। बच्चों के लिए बजाज वाड़ी के सामने स्थापित बजाज सेंटर ऑफ साइंस व पिपरी मेघे में बना बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नाेलॉजी (बिट्स) गांधी जिले के प्रति उनके भीतर अखंडित रूप से प्रवाहित प्रेम का गवाह है। वर्धा जिले से जुड़ी उनकी अनगिनत स्मृतियां उनके चाहने वालों के जेहन में बसी हुईं हैं। उनके निधन की खबर से जिले में शोक की लहर व्याप्त है। शहर के केसरीमल कन्या स्कूल के मैदान पर 20 नवंबर 2006 को आयोजित नागरी सत्कार में उन्होंने कहा था कि, वर्धा में बच्चों के लिए राष्ट्रीय स्तर का साइंस सेंटर व विश्व स्तर का  इंजीनियरिंग कॉलेज बनाया जाना चाहिए और कुछ समय बाद उन्होंने अपनी इस इच्छा को साकार कर दिखाया। नागरी सत्कार समिति के स्वागताध्यक्ष पूर्व सांसद दत्ता मेघे थे। समारोह में पूर्व सांसद सुरेश वाघमारे, पूर्व विधायक सुरेश देशमुख भी मौजूद थे। राहुल बजाज वर्ष में दो बार वर्धा आते थे। वे अंतिम बार 16 सितंबर 2019 को वर्धा बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाॅजी (बिट्स) इंजीनियरिंग कॉलेज के  उद्घाटन के लिए आए थे। इस समय इंफोसिस लिमिटेड के सहसंस्थापक अध्यक्ष व यूआईडीएआई के संस्थापक अध्यक्ष  नंदन  नीलेकणी प्रमुखता से  उपस्थित थे। राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 में कोलकाता में हुआ था। शिशिर बजाज उनके भाई हैं और सुमन उनकी बहन हैं।

मनाया गया शिक्षा मंडल शताब्दी महोत्सव
शिक्षा मंडल का शताब्दी महोत्सव 26 नवंबर 2014 को जमनालाल बजाज विज्ञान महाविद्यालय के मैदान पर मनाया गया। उस समारोह में राहुल बजाज वर्धा आये थे। उस कार्यक्रम में तत्कालीन पूर्व राष्ट्रपति  प्रणव मुखर्जी, तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, तत्कालीन राज्यपाल के. विद्यासागर राव समेत अन्य मान्यवर उपस्थित थे।

पिता की इच्छानुसार बनाया गिताई मंदिर

राहुल बजाज के पिता कमलनयन बजाज की इच्छा थी कि, वर्धा शहर में ऐसा मंदिर बनाया जाए, जिसकी छत न हो। पिता की इच्छा के अनुसार उन्होंने गोपुरी परिसर में गिताई मंदिर का निर्माण किया। उनके पिता कमलनयन बजाज की समाधि इसी मंदिर में हैं। साथ ही मंदिर के बाजू की जमीन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर का बौद्ध स्तूप बनाने के लिए दान दी। 

तीन पहिया गाड़ी बनाता हूं और तीन दलों के समर्थन से बना हूं राज्यसभा सदस्य

उद्योजक राहुल बजाज राज्यसभा सदस्य भी थे। उन्हें  शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी व राष्ट्रवादी कांग्रेस इन तीन दलों ने समर्थन दिया था। मैं तीन पहिए की गाड़ियां बनाता हूंं। इसलिए  तीन पार्टियों के समर्थन से राज्यसभा सदस्य बना हूं। ऐसा उन्होंने वर्धा के सत्कार समारोह के दौरान मजाकिया अंदाज में कह दिया था।

विविध संस्थानों से जुड़े थे

राहुल बजाज विविध संस्थानों से जुड़े थे। रूड़की आईआईटी के चेयर पर्सन रहे हैं। साथ ही हावर्ड यूनिवर्सिटी और इंडियन एयर लाइंस के सलाहगार का पद भी उन्होंने संभाला था। इसके साथ ही वे शिक्षा मंडल व गांधी ज्ञान मंदिर के अध्यक्ष थे। 2001 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आईआईटी रूड़की द्वारा उन्हें डॉक्टर्स ऑफ आर्ट की मानद उपाधि दी गई। पुणे विद्यापीठ की ओर से जीवन साधना गौरव पुरस्कार देकर उन्हंे सम्मानित किया गया। कई वर्षों तक वे बजाज उद्योग समूह के अध्यक्ष रहेे।

वर्धा का चिवड़ा था पसंद : राहुल बजाज वर्धा शहर में आने के पश्चात पोद्दार परिवार के घर पर अक्सर उनका आना-जाना रहता था। उस समय वे लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर के बजाज वाड़ी में रहते थे। पोद्दार के घर में बनाया हुआ चिवड़ा उन्हें बेहद पसंद था। यही वजह है कि वह हमेशा अपने साथ आए व्यक्तियों से कहते थे कि, भले ही कोई बैग यहां से जाते समय छूट जाए तो कोई बात नहींं, लेकिन चिवड़े का डिब्बा नहीं छूटना चाहिए। वह कल पुणे के मकान के किचन में पहुंच जाना चाहिए।

Created On :   13 Feb 2022 6:18 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story