सिंथेटिक दूध की हो रही सप्लाई : शैंपू, यूरिया व कई रसायन की हो रही मिलावट

Supply of synthetic milk shampoo, urea and many chemicals mixed
सिंथेटिक दूध की हो रही सप्लाई : शैंपू, यूरिया व कई रसायन की हो रही मिलावट
सिंथेटिक दूध की हो रही सप्लाई : शैंपू, यूरिया व कई रसायन की हो रही मिलावट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हम दूध के नाम पर रसायन के जहरीले घोल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी जहरीले घोल को बच्चों को पिला रहे हैं। शहर में मिल रहे दूध में यूरिया, शैंपू और एंटीबायोटिक, शुगर, मेलामाइन, इडेबल ऑयल, मस्ट्रोज डेक्सीट्रिन और वाटर कलर, ऑक्सीटोसीन जैसे रसायन मिलाए जा रहे हैं। यह खुलासा शहर में कई क्षेत्रों से लिए गए सैंपल की जांच में सामने आया। यह सैंपल पिछले माह एक निजी संस्था ने लिए थे। वहीं, मध्यप्रदेश से भी यहां मिलावटी दूध भेजने की जानकारी सामने आई है। वहां हाल ही में रसायनों के मिलावट से दूध तैयार करने के ठिकानों का भंडाफोड़ हुआ है। यहां बड़ी मात्रा में सिंथेटिक दूध बनाकर सप्लाई किया जा रहा था। बावजूद इसके एफडीआई इससे अनजान बनी हुई है।

जहर पी रहे हैं हम

विदर्भ सहित पूरे देश में खाद्य पदार्थों में मिलावट के खिलाफ “विष मुक्त अन्न, रोग मुक्त शरीर” अभियान चलाने वाली संस्था ने पिछले माह नागपुर के शासकीय डेयरी सहित कई ठिकानों से दूध के सैंपल लेकर हरियाणा के करनाल स्थित लैब में जांच के लिए भेजे थे। रिपोर्ट में रासायनिक पदार्थों के मिलावट की पुष्टि हुई है, जो हैरान करने वाली है। एक मायने में हम दूध की जगह जहर पी रहे हैं, जो हमारी शरीर को फायदा पहुंचाने की अपेक्षा नुकसान पहुंचा रहा है।

92 ग्राम प्रति व्यक्ति उत्पादन और खपत 300 ग्राम

विष मुक्त अन्न, रोग मुक्त शरीर” अभियान  के संचालक अविनाश काकड़े कहते हैं उनके पास उपलब्ध अधिकृत आंकड़ों के अनुसार, नागपुर जिले में जितने दुधारू पशु हैं, उनसे होने वाले दूध के उत्पादन के अनुसार जिले में प्रति व्यक्ति दूध 92 ग्राम होता है, जबकि खपत ग्रामीण इलाकों में 150 ग्राम और शहरों में 300 ग्राम प्रति व्यक्ति है। औसतन 256 ग्राम यानी उत्पादन और उपभोग में 164 ग्राम का अंतर है। उत्पादन और खपत के बीच का फासला नकली दूध या दूध में मिलावट कर भरा जा रहा है। 

दावा : एफडीए ने कहा-हमारे सामने कोई मामला नहीं आया

एफडीए के अनुसार पिछले तीन साल में नागपुर में खतरनाक मिलावट वाले दूध का एक भी सैंपल नहीं मिला है। विभाग की ओर से शहर के रिटेल व डेयरी से हर माह रैंडम सैंपल लिए जाते हैं और उसकी जांच रिपोर्ट 14 दिन में आ जाती है। पिछले तीन वर्ष में किसी भी सैंपल में खतरनाक रसायनों की मिलावट के सबूत विभाग को नहीं मिले हैं।

सच : खुले में बेचे जाने वाले दूध की जांच नहीं होती

प्रति दिन खुदरा में सौ लीटर से भी ज्यादा दूध बेचने वाले शहर के एक प्रमुख दूध वाले ने दैनिक भास्कर से नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि उनके यहां आने वाले दूध की जांच करने कोई नहीं पहुंचा। ऐसे सैकड़ों व्यापारी शहर में खुला दूध सप्लाई करते हैं।

हमें मिलावट नहीं मिली

पिछले तीन वर्ष में नागपुर में दूध में खतरनाक रसायनों के मिलावट का एक भी मामला नहीं आया है। अविनाश काकड़े ने किस लैब में कहां के दूध के सैंपल की जांच करवाई है, लैब शासकीय है या नहीं, इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है -शशिकांत केकरे, कमिश्नर एफडीए

जांच में मिलावट की पुष्टि हुई

हमने एक माह पूर्व नागपुर से शासकीय दूध डेयरी सहित कई स्थानों से लिए गए दूध के सैंपल को हरियाणा के करनाल स्थित लैब में जांच के लिए भेजा था। दूध की जांच में कई घातक रसायनों के मिले होने की पुष्टि हुई है। जांच रिपोर्ट कोई भी देख सकता है। -अविनाश काकड़े, विष मुक्त अन्न, रोग मुक्त शरीर अभियान के संचालक

Created On :   26 July 2019 5:39 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story