अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बहुत ही संतुलित : केके मोहम्मद

Supreme Court decision on Ayodhya issue very balanced KK Mohammed
अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बहुत ही संतुलित : केके मोहम्मद
अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बहुत ही संतुलित : केके मोहम्मद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वैदिक मंत्र का उच्चारण करते हुए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित पुरातत्त्वविद् के.के. मोहम्मद ने कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचे पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय से बढ़िया कुछ नहीं हो सकता है। निर्णय बहुत ही संतुलित है, इससे आगे कुछ नहीं है और यह निर्णय सारी बातों और पक्षों को ध्यान में रखकर लिया गया है। मामले में रिव्यू पिटीशन लगाने से भी कुछ नहीं होने वाला है, क्योंकि आम मुस्लिम निर्णय के पक्ष में है। एक  सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उस जगह का पूरा सर्वे कर उसे खोदना चाहिए, क्योंकि वहां बहुत से अवशेष मिल सकते हैं। खुदाई की जगह संग्रहालय बनाकर उसके ऊपर वर्तमान मंदिर के डिजाइन को बदलकर उसकी जगह अंतरराष्ट्रीय स्तर के लिए काम होना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह आपके सवाल का जवाब है मुझसे और किसी ने नहीं पूछा है। वह रविवार को मंथन के तत्वावधान में भारतीय मंदिर : शोध और पुरातत्त्विक निष्कर्ष (बटेश्वर और अयोध्या) विषय पर बोल रहे थे। कार्यक्रम में मंच पर सतीश सारडा उपस्थित थे। उनका स्वागत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह संघचालक श्रीधर गाडगे ने किया।

सब कुछ साफ-साफ
पद्मश्री मोहम्मद ने कहा कि 1976-77 में खुदाई के दौरान मैं था। मौके पर तैनात पुलिस जवान ने हमें रोका, तो हमने उसे बताया कि हम भारतीय पुरातत्त्व विभाग से है, तब कहीं उसने हमें मस्जिद के अंदर जाने दिया। वहां हमने 12 पिलर दिखे, जो मंदिर के थे। उन पर पूर्ण कलश बना था, जो मंदिरों में देखने को मिलते हैं। इस प्रकार के चिह्न दिल्ली की मस्जिद में देखने को मिलेंगे, क्योंकि वह भी किसी मंदिर से लिए गए हैं। पुराने जमाने में कुछ गलतियां हुई हैं, जिन्हें हमें समझना होगा। दूसरी बार बी.आर.मणि के समय उस जगह की खुदाई की गई। पहले बोला गया था कि मस्जिद के नीचे समतल जमीन थी। सर्वे के बाद नीचे ईदगाह आदि का दावा किया गया। हालांकि जब वहां से पिलर, शिव मंदिर मिला तो कोई जवाब नहीं दे पाया। इसके अलावा कई सारे सर्प, बराह, गणेश, मगर, ढोल बजाती महिला आदि की प्रतिमा व मूर्तियां मिलीं, जो वहां मस्जिद नहीं, बल्कि मंदिर होने का प्रमाण देती है। वहां मिले विष्णु श्रीहरि शिला फलक पर लिखा था कि बाली और दशानन को मारने वाले भगवान का यह मंदिर है। 

गौरी, गजनवी ने अत्याचार किया
कुरान में कहा गया है कि आप ईश्वर को गाली नहीं दे सकते हैं। मोहम्मद गौरी और मोहम्मद गजनवी ने अत्याचार किए और मंदिरों को तोड़ा, लेकिन हमें यह याद रखना होगा कि यह आज के मुस्लिम भाईयों ने नहीं किया है और हां, यदि वह मोहम्मद गौरी या गजनवी को न्यायोचित या सही बताता है तो वहां गलतियां आरंभ हो जाती हैं।

जैसे मुस्लिम के लिए मक्का-मदीना, वैसे हिंदू को राम जरूरी
जैसे मुस्लिम के लिए मक्का और मदीना जरूरी है, ठीक वैसे ही हिंदू के लिए राम जरूरी हैं। अगर इस बात को समझकर मुस्लिम भाई वह जगह छोड़ देते तो आज उनके हृदय में बसने का मौका मिल जाता। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, क्योंकि यहां हिन्दु और मुस्लिम रहते हैं यदि मुस्लिम रहते तो ऐसा नहीं होता।

संबंधित बयान के बाद नौकरी पर बन आई
उन्होंने कहा कि मैं मद्रास में था, उस समय मैंने मस्जिद के नीचे मंदिर और पिलर देखने का बयान दिया था। चूंकि मैं एक सरकारी कर्मचारी था, इस वजह से सचिव ने मुझसे पूछा कि आपको किसने अनुमति दी। आपको इसके िलए निलंबित कर सकते हैं। मैंने बोला-बतौर पुरातत्त्वविद् जो बताना चाहिए था, मैंने वही बोला है। बाद में उन्होंने कहा कि तुमने बहुत अच्छा काम किया। बाद में मेरा ट्रांसफर कर िदया और फिर दूसरी बार खुदाई हुई।

Created On :   18 Nov 2019 11:31 AM IST

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