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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद जागा प्रशासन, मिसिंग स्क्वाॅड रखेगा गुमशुदा लोगों की पूरी जानकारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नाबालिग बालक-बालिकाओं की गुमशुदगी मामले में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस विभाग इस पर गंभीर हो गया है। इसके बाद भी थानेदार गुम हुए बच्चों की पूरी जानकारी देने में नाकाम साबित हो रहे हैं। संतरानगरी में गुमशुदा लोगों के मामले में अब थानेदारों की कोई भी बहानेबाजी नहीं चलेगी। मौजूदा समय में शहर थानों में चल रहे मिसिंग स्क्वॉड की देखरेख हवलदार स्तर का कर्मचारी करता है। वही इस स्क्वाॅड का प्रमुख भी रहता है।
सूत्रों के अनुसार उपराजधानी में पुलिस आयुक्तालय के मार्फत संचालित हो रहे 33 थानों में अब मिसिंग स्क्वाॅड के लिए पीएसआई स्तर के अधिकारी को मिसिंग स्क्वाॅड की जिम्मेदारी दी जाएगी। अपराध के दूसरे मामले की तरह मिसिंग के मामले के बारे में इस पीएसआई से वरिष्ठ अधिकारी पूछताछ करेंगे। वर्तमान समय में आलम यहां तक है कि कुछ थानों में गुमशुदा लोगों का रिकार्ड तक मेंटेन नहीं है। अब इस तरह की लापरवाही काे पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बर्दाश्त नहीं करेंगे। आपराधिक मामलों के डिटेक्शन में नागपुर पुलिस का रिकार्ड राज्य के दूसरे शहरों की अपेक्षा काफी बेहतर है। एक समय था जब इस शहर को क्राइम कैपिटल तक कहा जाने लगा था।
समीक्षा : वरिष्ठ लेंगे प्रोग्रेस रिपोर्ट की जानकारी
वरिष्ठ अधिकारी हर थाने के मिसिंग स्क्वाड की 15 दिनों में एक समीक्षा बैठक लेंगे। इस बैठक में गुमशुदा मामले की प्रोग्रेस रिपोर्ट की जानकारी पीएसआई को देनी होगी। यह जानकारी थानेदार को भी पता हो, इसलिए पीएसआई से वह गुमशुदा के मामले की जानकारी लेते रहेंगे। अब अपराध शाखा पुलिस विभाग के अलग-अलग यूनिट की तर्ज पर थानों में चलाए जा रहे मिसिंग स्क्वॉड को भी बेहतर बनाने की पहल होगी। इसके लिए पुलिस आयुक्त डाॅ. भूषणकुमार उपाध्याय के मागर्दर्शन में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त डाॅ. नीलेश भरणे चर्चा कर जल्द ही थानों में मिसिंग स्क्वाॅड के लिए पीएसआई को नियुक्त करेंगे।
स्थिति : महाराष्ट्र देश मेें तीसरा तो शहर दूसरे पायदान पर
वर्ष 2018 में शहर से 1500 लोग गायब हुए थे, इसमें 75 प्रतिशत लोगों का पता नहीं चल पाया था। गुमशुदगी के मामले में महाराष्ट्र राज्य देश मेें तीसरे नंबर पर है। नागपुर शहर को दूसरे पायदान पर रखा गया है। संतरानगरी से हर रोज करीब 5 लोग गायब हो रहे हैं। इसमें 16 से 20 साल की लड़कियों का प्रमाण 50 प्रतिशत है, लड़कों का प्रमाण भी 30 प्रतिशत है। कई थानों में तो शिकायत लेने में आनाकानी की जाती है। थानों में तैनात हवलदार मिसिंग स्क्वाॅड की जिम्मेदारी नहीं संभाल पाता है। वह अधिकारियों से बातचीत करने में घबराता है। वर्ष 2019 में करीब 1400 लोगों के गायब होने की जानकारी सामने आई है। उसके थाने के मिसिंग स्क्वाॅड के लिए नियुक्त किए जाने वाले पीएसआई को सभी उम्र के गुमशुदा लोगों की अलग-अलग जानकारी रखनी होगी और उसका अपडेट रिकार्ड भी देना होगा। कम उम्र की लड़कियां आखिर कहां गायब हो जाती हैं कि इस बात काे लेकर पुलिस खुद हैरान है।
एक्स्ट्रा नॉलेज : यह भी जानें
बता दें कि भारत सरकार ने गुम हुए लोगों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए वेब पोर्टल तैयार कराया है। ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड नाम के इस पोर्टल में सभी थानेदारों को अपने थाना क्षेत्र से वर्ष 2000 से गुम हुए बालक-बालिकाओं की विस्तृत जानकारी अपलोड कराने को कहा था। इसके लिए सभी थानों को अलग-अलग यूजर आईडी व पासवर्ड भी प्रदान किए गए हैं, लेकिन थानों से उनकी पूरी जानकारी नहीं भेजी जा रही है। वहीं आंकड़े भी शत-प्रतिशत नहीं है। मालूम हो कि जिला प्रशासन की ओर से भी यह जानकारी भेजी जा रही है। थानों से आधे-अधूरे आंकड़े मिलने से दोनों में काफी अंतर पाए जाने की खबरें भी सामने आती रहती हैं।
...इसलिए उपलब्ध कराए गए थे आईडी व पासवर्ड
थानेदारों को आईडी व पासवर्ड इसलिए उपलब्ध कराए गए हैं ताकि वे गुम बच्चों से संबंधित जानकारी व रिपोर्ट प्रतिदिन पोर्टल में डालें, लेकिन अधिकांश थानेदारों को तकनीकी जानकारी ही नहीं है। लिहाजा वे पूरी जानकारी पुलिस मुख्यालय व एसपी कार्यालय को देते हैं। इसके बाद वहां से जानकारियां अपलोड की जाती है। इससे अनावश्यक विलंब होता है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार व निर्देश के बाद लंबे समय से गायब बालक-बालिकाओं की गुमशुदगी प्रकरणों में अपहरण का मामला दर्ज किया जा रहा है। इसके साथ ही इस तरह के लंबित मामलों का निराकरण करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी गंभीर हो चुके हैं।
पीएसआई को करेंगे नियुक्त
शहर के थानों मेें मिसिंग स्क्वाॅड के लिए अब पीएआई को नियुक्त किया जाएगा। इस मामले को लेकर उससे पूछताछ की जाएगी। शहर के गुमशुदा लोगों के बारे में उससे अपडेट रिकार्ड भी मांगा जाएगा। उसकी यह जिम्मेदारी होगी कि वह हर रिकार्ड को अपडेट रखे। अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो इसके लिए उसे फटकार भी लग सकती है।
- डाॅ. नीलेश भरणे, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, नागपुर शहर
Created On :   12 Feb 2020 1:12 PM IST