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ओबीसी राजनीतिक आरक्षण मामला - दो हफ्ते में चुनाव की तारीखों का ऐलान करने का आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ओबीसी आरक्षण मामले में महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को अगले दो हफ्ते में स्थानीय निकायों के लंबित चुनावों की तारीखों का ऐलान करने का निर्देश दिया है। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पारित किए गए ओबीसी राजनीतिक आरक्षण एक्ट पर किसी प्रकार की कोई टिप्पणी नहीं की है। इसकी वैधानिकता पर कोर्ट 12 जुलाई को सुनवाई करेगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में ठाकरे सरकार द्वारा पारित किए ओबीसी राजनीतिक आरक्षण एक्ट और निकाय चुनाव में ओबीसी को चुनौती देनेवाली याचिका सहित ओबीसी राजनीतिक आरक्षण से जुड़ी करीब 13 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आज हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने प्रदेश की कई महापालिकाओं और नगरपालिकाओं की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद इस पर चुनाव नहीं कराए जाने के मुद्दे का संज्ञान लेते हुए अगले 2 हफ्ते के भीतर लंबित निकायों के चुनाव की तारीखों का ऐलान करने का आदेश दिया है। यह चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के ही होंगे। इससे पहले 105 निकायों के चुनाव भी बिना ओबीसी आरक्षण के ही संपन्न हुए।
इसके बाद राज्य सरकार ने 7 मार्च 2022 को मध्य प्रदेश की तर्ज पर ओबीसी राजनीतिक आरक्षण एक्ट बनाकर वॉड्र्स की पुनर्रचना, चुनाव की तारीखें तय करने सहित चुनाव आयोग के कुछ अधिकार अपने पास ले लिए थे। सरकार की यह मंशा थी कि जब तक ओबीसी राजनीतिक आरक्षण का मसला हल नहीं होता तब चुनाव नहीं कराए जायेंगे। लेकिन शीर्ष अदालत ने आज सरकार की इस मंशा पर पानी फेर दिया। इस मामले पर याचिकाकर्ता विकास गवली कहते है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश नया नहीं है। इससे पहले भी कोर्ट ने 15 दिन में अब जिन निकायों के चुनावों की तारीखों का ऐलान कराना है, उनका चुनाव कार्यक्रम घोषित कराने का आदेश दिया है। बावजूद इसके राज्य सरकार ने ओबीसी राजनीतिक आरक्षण एक्ट पारित कर चुनाव को आगे धकेल दिया है। अब हर हाल में 15 दिन में बिना आरक्षण के चुनाव कराने होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अब भी ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण का डेटा कोर्ट में पेश नहीं कर सकी है।
Created On :   4 May 2022 9:48 PM IST