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राज्य उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया बाधित न हो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि राज्य उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के कुछ उपभोक्ता संरक्षण नियमों को रद्द करने के फैसले से बाधित नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने राज्य उपभोक्ता आयोगों में खाली पड़े पदों को भरने में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट का फैसला पहले से की गई नियुक्ति और अन्य राज्यों में अनुकरण की जाने वाली प्रक्रियाओं में बाधा नहीं डालेगा। जिला और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष और इसके सदस्यों-कर्मियों की नियुक्ति में सरकारों की निष्क्रियता और पूरे भारत में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के मामले का स्वतः संज्ञान लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई कर रहा है। शीर्ष अदालत ने 11 अगस्त 2021 को निर्देश जारी किया था कि उपभोक्ता मंचों के अध्यक्ष और सदस्यों की रिक्तियों को भरा जाए। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद 14 सितंबर 2021 को हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने नए उपभोक्ता संरक्षण नियम 2020 के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था, जो राज्य उपभोक्ता आयोग और जिला फोरम में फैसला देने वाले सदस्यों के लिए न्यूनतम 20 और 15 साल का पेशेवर अनुभव निर्धारित करते हैं।
जस्टिस एक के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ के समक्ष आज हुई सुनवाई के दौरान मामले में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंरनारायणन ने नागपुर बेंच के फैसले से पीठ को अवगत कराते हुए प्रस्तुत किया कि अन्य राज्यों के लिए एक स्पष्टीकरण की आवश्यकता है, जहां नियमों को उसके साथ ही आगे बढ़ने के लिए लागू नहीं किया गया है। पीठ ने कहा कि रिक्तियों को भरने की समय-सीमा और प्रक्रियाओं को जारी रखना चाहिए, क्योंकि कुछ मामलों में नियुक्तियां की गई हैं और अन्य नियुक्तियां अग्रिम चरण में है। इसलिए 11 अगस्त के उस आदेश के अनुसरण में शुरु की गई प्रक्रिया को नागपुर बेंच के फैसले के बाद बाधित नहीं किया जाना चाहिए। जहां तक महाराष्ट्र का संबंध है, हमें सूचित किया गया है कि कोई नियुक्ति नहीं की गई है और निर्णय के मद्देनजर प्रक्रिया राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा दायर किए जाने वाली एसएलपी के परिणाम पर निर्भर करेगी। पीठ ने स्पष्ट किया है कि राज्य और केन्द्र हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के उक्त फैसले को चुनौती देते हुए एक एसएलपी दायर करने के लिए स्वतंत्र है।
Created On :   22 Oct 2021 9:36 PM IST