महाराष्ट्र में सेवारत उम्मीदवारों के लिए 20 फीसदी कोटा में हस्तक्षेप से इंकार

Supreme Court refuses to interfere with 20 per cent quota for serving candidates in Maharashtra
महाराष्ट्र में सेवारत उम्मीदवारों के लिए 20 फीसदी कोटा में हस्तक्षेप से इंकार
सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में सेवारत उम्मीदवारों के लिए 20 फीसदी कोटा में हस्तक्षेप से इंकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से पीजी मेडिकल कोर्सेज में सेवारत उम्मीदवारों के लिए 20 फीसदी आरक्षण प्रदान करने संबंधी राज्य सरकार का फैसला बरकरार रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार के इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा भी कायम रखे जाने के आदेश में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने दलील रखी कि एडमिशन प्रक्रिया शुरु होने के बाद बीच में ही राज्य सरकार ने इस फैसले से संबंधी प्रस्ताव जारी किया था। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में राहत देते हुए कहा था कि एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीच में ही नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को खारिज किया और कहा कि यह स्वीकार करना कठिन है कि एडमिशन प्रक्रिया शुरु होने के बाद बीच में ही नियमों में बदलाव के कारण राज्य सरकार का प्रस्ताव चालू शैक्षणिक वर्ष में लागू नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा कि हमारे विचार में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में इस कारण से हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है। पीठ ने इस दौरान इस तथ्य पर भी गौर किया कि 2017 तक महाराष्ट्र में डिग्री कोर्सेज के लिए 30 प्रतिशत की सीमा तक इन-सर्विस कोटा था।

दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने 26 सितंबर को एक सरकारी प्रस्ताव के तहत शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से राज्य के शासकीय एवं नगरीय मेडिकल कॉलेजों में पीजी और डिप्लोमा कोर्सेज में एडमिशन के लिए सेवारत उम्मीदवारों के लिए 20 फीसदी सीट आरक्षित करने को मंजूरी दी थी। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा। इसके खिलाफ कुछ उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका (निपुण तिवारी एंड अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य ) पर बुधवार को भी संक्षिप्त सुनवाई की और इसे अंतिम सुनवाई के लिए आज सूचीबद्ध किया था। पीठ ने मामले में आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को राहत देने से इंकार कर दिया।

Created On :   20 Oct 2022 8:55 PM IST

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