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पौष महीने की पूर्णिमा पर सूर्यदेव को अर्घ्य देने से बढ़ती है उम्र
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सूर्य के मकर राशि में आने के बाद पौष महीने के आखिरी दिन सूर्य पूजा का पर्व मनाया जाता है। पौष मास की पूर्णिमा इस वर्ष सोमवार 17 जनवरी को है। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन सूर्य पूजा करने से पाप खत्म होते हैं और पुण्य मिलता है। इस पूर्णिमा पर्व पर उगते सूरज को अर्घ्य देने से बीमारियां खत्म होती हैं और उम्र भी बढ़ती है। पौष महीने के इस आखिरी दिन सूर्य पूजा के साथ ही तीर्थ स्नान और दान करने की भी परंपरा है।
तिल और गंगाजल से सूर्य को अर्घ्य दें
स्नान-दान के इस पर्व पर पवित्र नदी में स्नान न भी कर पाए तो घर पर ही पानी में तिल और गंगाजल मिलाकर नहाने से भी तीर्थ स्नान करने जितना पुण्य मिलता है। इस पूर्णिमा पर सुबह जल्दी नहाने के बाद तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, लाल फूल और तिल मिलाकर उगते सूरज को अर्घ्य दें। सूर्य देव का ध्यान करते हुए तीन बार ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नम: मंत्र बोलते हुए उन्हें जल अर्पित करें।
बीमारियां खत्म करती है सूर्य पूजा
पौष महीने की पूर्णिमा पर उगते सूरज के दर्शन कर प्रणाम करें और फिर अर्घ्य दें। ऐसा करते वक्त शरीर पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों से विटामिन डी मिलता है। जिससे बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ती है। इस वक्त मिलने वाली सूर्य की रोशनी दिमाग, स्कीन और आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। कई जानकारों का मानना है कि उगते सूरज को देखने से आत्मविश्वास बढ़ता है और मन प्रसन्न रहता है। साथ ही पुराणों में भी कहा गया है कि सूर्योदय के वक्त सूर्य को प्रणाम करने से पाप खत्म हो जाते हैं।
पूर्णिमा का मुहूर्त : पौष पूर्णिमा तिथि 17 जनवरी को रात 3.18 बजे शुरू होकर 18 जनवरी को सुबह 5.17 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि मान्य है, इसलिए पौष पूर्णिमा 17 जनवरी को मनाई जाएगी।
पौष मास की पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना और सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ या श्रवण करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही पूर्णिमा के दिन दान करने से साधक के घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती। संभव हो तो इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर तिल तर्पण करना चाहिए। घर पर रहकर भी इस दिन स्वच्छ जल में गंगा जल या पवित्र नदी का जल मिश्रित करके स्नान किया जा सकता है।
स्नान-दान के बाद भगवान विष्णु का पूजन
पौष महीने के आखिरी स्नान-दान और सूर्य को अर्घ्य के बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए श्रीहरी का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद उन्हें तुलसी पत्र के साथ अन्य पूजा सामग्री चढ़ानी चाहिए। फिर आरती कर के तिल और पीली मीठाई का नैवेद्य लगाएं और प्रसाद बांटना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए। ऐसा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और मनोकामना पूरी होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पौष मास की पूर्णिमा पर पूर्ण मनोयोग से व्रत-पूजा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।
Created On :   17 Jan 2022 5:15 PM IST