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दिए थे जांच के आदेश, रिपोर्ट नहीं मिली
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आंगनवाड़ी के माध्यम से बच्चों, किशोरियों, गर्भवती और स्तनदा माताओं को पोषण आहार दिया जाता है। इस योजना पर सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है। ठेकेदार के माध्यम से पोषण सामग्री सप्लाई की जाती है। पोषण आहार की अनेक शिकायतें विभाग को मिली। उनकी जांच के आदेश ए गए, लेकिन किसी भी मामले की रिपोर्ट नहीं मिली। पोषण आहार की गुणवत्ता जांचने में सुस्ती बरते जाने से लाभार्थियों के स्वास्थ्य पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
धर्मापुर में निकृष्ट खजूर वितरण
मौदा तहसील के धर्मापुर में गर्मी के दिन में लाभार्थियों को खजूर दिए गए। बांटे गए खजूर की गुणवत्ता निकृष्ट थी। शिकायत मिलने पर जिला परिषद के महिला व बाल कल्याण विभाग ने खजूर के नमूने जांच के लिए भेजे। विभाग को अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। लगभग 5 माह बीत गए। बताया जाता है कि सप्लायर की वरिष्ठ स्तर पर पैठ रहने से जांच में विलंब हो रहा है।
दाल में फफूंदी, मिर्च पाउडर में मिलावट
कोविड के चलते डेढ़ साल से आंगनवाड़ियां बंद हैं। बच्चों को घर में पोषण आहार देने के लिए सामग्री दी गई। चना, मूंग दाल, मिर्च, हल्दी पाउडर, खजूर, गेहूं, चावल, शक्कर, नमक आदि सामग्री का वितरण किया गया। पोषण सामग्री में मूंग दाल को फफूंदी, मिर्च पाउडर में भूसा मिलावट, नमक में मिट्टी, चने में छेद रहने की शिकायतें की गईं।
गर्माया था मुद्दा
हिंगना तहसील में सर्वाधिक निकृष्ट पोषण सामग्री वितरण की शिकायतें मिलीं। शिकायतें मिलने के बाद भी विभाग की ओर से संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। जनवरी महीने में जिला परिषद पदाधिकारी एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कामठी जा रहे थे। रास्ते में कुछ आंगनवाड़ियों का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान भीलगांव आंगनवाड़ी में दाल की चूरी, छेद पड़ा चना, मोटा नमक, मिलावटी मिर्च मिली थी। आंगनवाड़ी में व्याप्त गंदगी से परिसर में दुर्गंध फैल रही थी। बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किए जाने पर पदाधिकारियों ने नाराजगी व्यक्त कर जांच के आदेश दिए। जांच कागजों तक सीमित रही। 10 माह से जांच में कोई भी ठोस परिणाम सामने नहीं आए।
Created On :   12 Sept 2021 5:29 PM IST