शहर में संदिग्ध लोगों का डेरा, पुलिस बेखबर - सिविल लाइन समेत कई जगह फुटपाथ पर है इनका बसेरा, बांग्लादेशी होने का संदेह

Suspicious people camp in the city, police oblivious - their shelter is on footpath in many places including civil line
शहर में संदिग्ध लोगों का डेरा, पुलिस बेखबर - सिविल लाइन समेत कई जगह फुटपाथ पर है इनका बसेरा, बांग्लादेशी होने का संदेह
शहर में संदिग्ध लोगों का डेरा, पुलिस बेखबर - सिविल लाइन समेत कई जगह फुटपाथ पर है इनका बसेरा, बांग्लादेशी होने का संदेह

डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर के पॉश इलाके सिविल लाइन व आसपास के क्षेत्र में बड़ी संख्या में बाहरी लोगों ने आकर अपना डेरा जमा लिया है। इनमें महिलाएँ, पुरुष व बच्चे भी शामिल हैं। इनका रहन-सहन देखकर व बोली सुनकर लोग चौक रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों ने इस बात की आशंका जताई है कि डेरा जमाने वाले बांग्लादेशी, रोहिंग्या हो सकते हैं। लोगों का आरोप है कि सूचना दिए जाने के बाद भी पुलिस इनकी कोई जांच-पड़ताल नहीं कर रही है। वर्दीधारी क्या किसी बड़ी वारदात के बाद ही जागेंगे।  सिविल लाइन निवासी एसके दुबे, शरद गुप्ता आदि ने बताया कि सिविल लाइन्स में कैरव्ज, सतपुड़ा क्लब के सामने  घोड़ा अस्पताल, मदन महल शास्त्री ब्रिज के आसपास बड़ी संख्या में लोगों ने डेरा जमा लिया है।  सुबह होते ही महिलाएँ व पुरुष बच्चों को लेकर यहा-वहां निकल जाते हैं और कुछ भिक्षा माँगते नजर आते हैं। उनकी भाषा समझ में नहीं आती। क्षेत्रीय लोगों ने पूछताछ की तो यह बात सामने आई कि उनके पास आधार कार्ड या कोई वैध दस्तावेज भी नहीं है। उनकी गतिविधियाँ संदिग्ध लग रही हैं। इसी आधार पर क्षेत्रीय लोगों द्वारा सिविल लाइन, मदन महल थाने में सूचना दी गई है, लेकिन वर्दी अभी पूरी तरह बेखबर है। 
अपना नाम भी बताया गलत 
कैरब्ज के समीप फुटपाथ दो महिलाएँ विगत दिनों सिविल लाइन क्षेत्र में भीख माँग रही थीं। इस दौरान एक जागरूक नागरिक ने उन महिलाओं की भाषा सुनकर पूछताछ की तो वे सकपका गईं। उनसे जब उनकी पहचान व आधार कार्ड के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने यह होने से इनकार कर दिया। लोगों को संदेह है कि दोनों अपना नाम भी गलत बता रही थीं, इसलिए जब थाने ले जाने की बात कही गई तो दोनों वहां से  भाग निकलीं।
आखिर कौन हैं ये लोग?  - कलेक्ट्रेट रोड पर गुमटी लगाने वाले राघव सिंह ने बताया कि 2 माह पूर्व लॉकडाउन के समय से कुछ लोग परिवार सहित कलेक्ट्रेट के दोनों तरफ और एल्गिन अस्पताल के आसपास भी रह रहे हैं। इनमें शामिल पुरुष व्यक्ति सुबह होते ही यहाँ-वहाँ काम के लिए कहीं चले जाते हैं। ये लोग सिर्फ दो समय के खाने लायक पैसे अथवा सीधे भोजन ही लोगों से माँगते हैं। ये आखिर कौन है? इसका पता किसी को नहीं है। हालांकि कैरव्ज के आसपास फुटपाथ रहने वालों की भाषा में मराठी पुट है।
बोलचाल व भाषा भी अजीब - स्टेशन रोड निवासी गौरव साहनी ने बताया कि वे पिछले 1 साल से सतपुड़ा क्लब से लेकर तीन नंबर पुल के आसपास इसी तरह के कई लोगों को रहते हुए देख रहे हैं। इन लोगों से यहाँ रहने का कारण पूछा गया तो उन्होंने अधिक कुछ भी नहीं बताया और आपस में अजीबों-गरीब भाषा में बात करते हैं। इनके साथ छोटे-छोटे बच्चों की मौजूदगी भी प्रश्न खड़े कर रही है।
शहर में हैं बड़े सुरक्षा संस्थान, हो चुकी हैं बड़ी वारदातें- शहर में कई बड़े से संवेदनशील सुरक्षा संस्थान हैं। रेलवे स्टेशन के पास व पॉश इलाकों में इस तरह के लोगों की बसाहट प्रबु्द्ध वर्ग को चिंतित कर रही है। लोगों का कहना है कि शहर में पूर्व में चोरी और डकैती की बड़ी वारदातें हो चुकी हैं। घटनाओं के बाद पुलिस लकीर पीटती रह जाती है। लोगों का कहना है कि इस तरह के संदिग्ध लोगों की जाँच की जानी चाहिए। 
इनका कहना है
शिकायतें मिलने पर संदिग्ध नजर आने वाले लोगों से पूछताछ की जा रही है। इनमें कुछ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले हैं, जिन्हें वापस लौटने को कहा गया है।
आरडी भारद्वाज, सीएसपी
 

Created On :   15 Jun 2021 4:26 PM IST

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