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जेल जाने के लिए मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर ठोकी थी ताल
लोगों की स्मृतियों में आज भी जिंदा हैं जिले में भारत छोड़ो आंदोलन के प्रणेता छोटेलाल पटेल
डिजिटल डेस्क शहडोल । अंग्रेजी दासतां से मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत के सपने को साकार करने वालों में जिले के छोटेलाल पटेल का नाम भी शामिल था। उन्होंने आजादी मिलने के पूर्व 1942 में ही बुढ़ार की अदालत में मजिस्ट्रेट की कुर्सी पर बैठकर ऐलान कर दिया था कि यह स्वतंत्र भारत की अदालत है।
शिक्षक छेदीलाल सिंह द्वारा क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी स्व. पटेल की लिखी आत्मकथा में इसका उल्लेख किया है कि अगस्त 1942 में देश में भारत छोड़ो आंदोलन की अलख जग चुकी थी। इसी दौरान छोटेलाल पटेल ने भरी सभा में अंग्रेजी पुलिस के खिलाफ भाषण दिया। जिस पर उनके विरुद्ध वारंट जारी हो गया। उनकी गिरफ्तारी होनी थी। 18 अगस्त को वे बुढ़ार मजिस्ट्रेटी जा पहुंचे। छोटेलाल पटेल जज की कुर्सी पर बैठ गए और बोले कि आज से भारत आजाद हो गया है और यह स्वतंत्र भारत की अदालत है, जो भी अरजी-पुर्जी देना है मुझे दें। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर रीवा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। यह उनकी तीसरी जेल यात्रा रही। इसके अलावा उन्होंने सत्याग्रह और अन्य आंदोलनों में हिस्सा लिया।
आजादी के बाद भी की जनता की सेवा
छोटेलाल पटेल का जन्म मानपुर के ग्राम सिगुड़ी में चैतबंदी अमावस्या संवत 1961 ईसवी सन 1905 में हुआ था। 3 मई 1988 को उनका देहावसान हुआ। सिगुड़ी में प्रतिमा स्थापित की गई है। यूपी के घूरपुर में एक धर्मशाला में उनकी प्रतिमा लगाई गई थी। उन पर अनेक किताबें भी लिखी जा चुकी हैं। प्रोफेसर रहे बीपी पटेल ने भी उनके ऊपर किताब लिखी है। प्रो. पटेल ने बताया कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल पटेल 1920 से गांधी जी से प्रेरित होकर गांधी टोपी पहनना शुरु कर दिया था। जुलाई 1930 में वे पहली बार जेल गए। वर्ष 1957 से 1962 तक मानपुर से विधायक बने। स्कूल, अस्पताल खुलवाने में उनकी अहम भूमिका रही। सिगुड़ी में उन्होंने पहली बार किसान कोष भी शुरु कराया।
उनकी स्मृति में बना ट्रस्ट, छात्रावास व स्कूल
स्वतंत्रता सेनानी छोटेलाल पटेल की जीवन शैली से अनेक लोग प्ररित हुए हैं। उन्हीं में से प्रोफेसर बीपी पटेल भी हैं। जिन्होंने अपने समाज के सहयोग से शहडोल के पटेल नगर में छोटेलाल पटेल स्मारक चैरिटेबिल ट्रस्ट बनवाया। इन्हीं के नाम पर छात्रावास का निर्माण कराया गया है। यहां पर 15 अगस्त व 26 जनवरी को ध्वजारोहण व अन्य कार्यक्रम होते हंै। प्रोफेसर पटेल ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी पटेल आखिरी समय तक जनता की सेवा में लगे रहे।
Created On :   13 Aug 2020 3:39 PM IST