ताड़पत्री कैशलेस में फंसी, किसी किसान को नहीं मिला लाभ

Tadpatri is facing the problems of the cashless circumstances
ताड़पत्री कैशलेस में फंसी, किसी किसान को नहीं मिला लाभ
ताड़पत्री कैशलेस में फंसी, किसी किसान को नहीं मिला लाभ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद के कृषि विभाग ने वित्तीय वर्ष 2017-18 में ताड़पत्री के लिए 10 लाख का प्रावधान किया है। ताड़पत्री खरीदी के लिए चेक से भुगतान की शर्त रखी गई है, लेकिन अधिकांश किसानों के पास चेकबुक नहीं रहने से वे इस योजना के लाभ से वंचित हो गए हैं। कैशलेस के जाल में किसानों की ताड़पत्री फंस गई है। वित्तीय वर्ष समाप्त हो गया, लेकिन एक भी किसान को लाभ नहीं मिल पाया है।

बिल जमा करना अनिवार्य
किसान अपने घरों में सालभर खाने के लिए और बुआई के लिए अनाज जमा कर रखते हैं। बुआई का मौसम आने पर खाद भी खरीद कर घर में रखते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश कच्चे मकान हैं। बारिश होने पर घरों में पानी टपकने से अनाज, बीज और खाद खराब होने का खतरा बना रहता है। इससे बचाव के लिए जिप कृषि विभाग की ओर से किसानों को अनुदान पर ताड़पत्री (प्लास्टिक की तिरपाल) दी जाती है। बुआई के लिए बीज, खाद खेत में ले जाने पर बारिश से सुरक्षा के लिए ताड़पत्री का उपयोग होता है। डीबीटी लागू किए जाने से किसानों को ताड़पत्री खरीदी कर बिल जमा करना अनिवार्य किया गया है। इसमें भी बिल का भुगतान चेक से करने की जटिल शर्त रखी गई है। किसानों के पास धनादेश नहीं रहने से उन्हें योजना का लाभ उठाना कठिन हो गया है।

नकद  व्यवहार
सरकार ने 5 दिसंबर 2016 को शासनादेश जारी कर व्यक्तिगत लाभ योजना पर डीबीटी लागू कर दी। कृषि विभाग की ताड़पत्री योजना भी डीबीटी के दायरे में लाई गई। इसमें एक और जटिल शर्त रख दी  गई, जिसमें लाभ वस्तु चेक से खरीदना अनिवार्य किया गया। अधिकांश किसानों के आर्थिक व्यवहार नकद होते हैं। फसल कर्ज तक ही बैंक व्यवहार सीमित रहने से उनके पास चेक नहीं रहते। इस बीच ताड़पत्री के लिए धनादेश से खरीदी की शर्त थोपने से किसानों के लिए चलाई जा रही ताड़पत्री योजना केवल दिखावा बन कर रह गई है।

शर्त शिथिल की जाए
किसान नकद व्यवहार करते हैं। चेक से व्यवहार करने की अधिकांश किसानों में समझ नहीं है। ताड़पत्री के िलए चेक से खरीदी की शर्त थोपने से किसान इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। इस शर्त को शिथिल कर नकद खरीदी करने वाले किसानों को योजना का लाभ देना चाहिए। इस संबंध में सीईओ का पत्र दिया गया है। 
विनोद पाटील, सदस्य जिला परिषद (भाजपा)

Created On :   13 Jun 2018 10:28 AM GMT

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