बातें हुईं टू-लेन की... हिस्से में आए महज गड्ढे -जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध, स्थानीय लोगों में बढ़ता जा रहा आक्रोश

बातें हुईं टू-लेन की... हिस्से में आए महज गड्ढे -जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध, स्थानीय लोगों में बढ़ता जा रहा आक्रोश
बातें हुईं टू-लेन की... हिस्से में आए महज गड्ढे -जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध, स्थानीय लोगों में बढ़ता जा रहा आक्रोश

डिजिटल डेस्क जबलपुर। करीब पाँच साल पहले अधारताल से लेकर करौंदा तक की सड़क के चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण हटाए गए। सड़क खूबसूरत और टू-लेन बनाने की बातें हुईं। कागजों में इसका प्लान तैयार किया गया। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसके निर्माण के लिए 25 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत भी हो गई, लेकिन जनता के हिस्से में अब भी आह और परेशानी ही आ रही है। 
अधारताल से करौंदा बाइपास की सड़क पर कोई ऐसा हिस्सा नहीं बचा है, जिसमें गड्ढे न हों। इन गड्ढों की वजह से ही हुए हादसों ने चार लोगों की जिंदगी छीन ली, लेकिन हालात जस के तस हैं। विशेषकर हालात ऐसे हैं कि  इसे सड़क कहना भी सड़क के मानदंडों का मखौल होगा। खरपतवार अनुसंधान केन्द्र, कृषि िववि, वेटरनरी िववि,रिछाई इंडस्ट्रियल एरिया पहुँच मार्ग समेत अनेक बड़े संस्थान मौजूद हैं।
पानी बरसते ही जान का जोखिम 
सड़क की बदहाली का आलम यह है कि अनेक जगहों पर तो सड़क के गड्ढों की गहराई एक से डेढ़ फीट तक हो चुकी है। करीब चार फीट तक फैले इन गहरे गड्ढों में धोखे से भी यदि तेजी से आ रहा दोपहिया वाहन चला गया तो उस पर सवार लोगों का भगवान ही मालिक है। बारिश होने पर ये गड्ढे पानी से भर जाते हैं और उनकी गहराई का पता ही नहीं चल पाता। इसके चलते लगभग हर दिन ही कोई न कोई चोटिल हो रहा है।
पानी निकासी की नहीं है व्यवस्था 
 सड़क की बदहाली का एक कारण यहाँ पानी निकासी की समुचित व्यवस्था न होना भी है। कहने को पिछले वर्षों में निगम ने करौंदा बायपास तक नाला बनवाया है पर सड़क बीच में गहरी होने के कारण यहाँ भरने वाला पानी, नाले के माध्यम से निकल ही नहीं पाता और सड़क कई जगह पर तालाब नजर आने लगती है।
वर्षों से नहीं हुआ सुधार कार्य 
 करीब 4 से 5 किलोमीटर मार्ग की वर्षों से बनना तो दूर मरम्मत तक नहीं हुई है। नाम के लिए कभी कभार गड्ढे भर दिए जाते हैं। पिछले दिनों इस बदहाल सड़क केे कारण एक फैक्ट्री कर्मी की मौत से उपजे लोगों के आक्रोश को शांत करने यहाँ गड्ढों में बोल्डर डाले गए हैं। ये भी दोपहिया चालकों को राहत देने की बजाय आफत का सबब बन रहे हैं।
स्वीकृत तो हो गई पर कब बनेगी
कहने को तो स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करीब 25 करोड़ रुपए की लागत से इस सड़क का निर्माण किया जाना है। इसमें डिवाइडर के साथ ही सेंट्रल लाइटिंग भी की जानी है। सड़क की वर्तमान हालत को देखते हुए लोगों का सवाल है कि ये सड़क आखिर कब बनेगी, क्या िजम्मेदारों को इस मार्ग पर और हादसों व उनसे होने वाली मौतों का इंतजार है?
इनका कहना है
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करीब 25 करोड़ रुपए की लागत से इस सड़क का निर्माण किया जाना है। इसके लिए वर्क ऑर्डर हो चुके हैं। ड्रॉइंग और डिजाइन की प्रक्रिया चल रही है।
-कमलेश श्रीवास्तव, कार्यपालन यंत्री

Created On :   7 Aug 2021 5:43 PM IST

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