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दो सौ हेक्टेयर का लक्ष्य पचास हेक्टेयर में फूंक दिए 32 लाख रुपए
डिजिटल डेस्क कटनी। जिला उद्यानिकी विभाग किसानों को उन्नत तरीके से खेती करना इस तरह से सिखा रहा है कि योजनाओं के लिए उसे किसान ही नहीं मिल रहे हैं। मामला प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ड्रिप प्रतिष्ठापन का है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में विभाग को जो 193 हेक्टेयर का लक्ष्य दिया गया था, विभाग उसमें 33 प्रतिशत पासिंग माक्र्स भी नहीं ला पाया और 26 प्रतिशत अंक लाकर फेल हो गया। हालांकि वित्तीय बजट को खर्च करने में किसी तरह से कंजूसी नहीं बरती गई। इसके लिए जो 32 लाख का बजट दिया गया था, उसे सौ प्रतिशत खर्च किया गया। जिसमें सब्जी की खेती को ही अधिक प्राथमिकता दी गई।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्ष छह माह गुजरने के बाद यह लक्ष्य मिला था। इसमें पूल लक्ष्य को भी शामिल किया गया था। यह लक्ष्य वह लक्ष्य होता है। जिसका स्थानांतरण दूसरे जिले में किया जा सकता है। योजना को लेकर जब जमीनी हकीकत जानने के लिए कुछ किसानों से बात की गई, तो किसानों ने यह कहा कि उद्यानिकी विभाग की योजनाओं की ही जानकारी अधिकांश किसानों को नहीं है।
ऐसे समझें खर्च करने का गणित
ड्रिप एरीगेशन के माध्यम से फसलों और उद्यानिकी फसलों में सिंचाई होती है। इसके लिए अलग-अलग फसलों और सब्जियों में ड्रिप एरीगेशन की लागत आती है। सब्जियों की खेती के लिए करीब एक लाख रुपए, केले के लिए करीब 84 हजार रुपए, पपीता के लिए करीब 58 हजार रुपए, अमरुद के लिए 33 हजार और आम के लिए करीब 23 हजार रुपए की लागत आती है। विभागीय अधिकारियों ने अन्य उद्यानिकी फसलों पर ध्यान न देते हुए सिर्फ सब्जियों में ही ड्रिप एरीगेशन लगाने का काम कर दिखाया। जिसके चलते रकबे का लक्ष्य तो पूरा नहीं हो सका। वित्तीय लक्ष्य को हासिल कर लिया गया।
किसानों ने कहा सिर्फ बहाना
ड्रिप एरीगेशन पद्धति को लेकर जब कुछ किसानों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उद्यानिकी विभाग के अधिकारी बहाना बनाने में माहिर हैं। उद्यानिकी विभाग का लाभ पिछले पांच वर्षों में चिन्हित किसानों को ही दिया जा रहा है। जबकि ग्रामीण अंचल के कई किसानों को आज भी योजनाओं की जानकारी नहीं है। बहोरीबंद जनपद पंचायत अंतर्गत बसोरी लाल यादव बताते हैं कि उद्यानिकी विभाग अपनी योजनाएं लेकर तब किसानों के पास पहुंचता है। जब वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर होता है। बंजारी के किसान सुरेश पाल ने कहा कि इस तरह की योजनाओं की उन्हें जानकारी नहीं है। विजयराघवगढ़ के किसान प्रकाश विश्वकर्मा ने कहा कि क्षेत्र में कब अधिकारी आते हैं कब चले जाते हैं। इसकी जानकारी चिन्हित किसानों को ही रहती है। जिसके चलते आज भी छोटे और मझौले किसान योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
विभाग कह रहा आधा रहा लक्ष्य
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिले को जरुर 193 हेक्टेयर का लक्ष्य दिया गया था। लेकिन आधा लक्ष्य अन्य जिलों का रहा। जिसे पूल लक्ष्य कहते हैं। जिसमें यदि यह लक्ष्य वह जिला हासिल नहीं कर पाता है, तो बढ़े हुए लक्ष्य को दूसरे जिले को स्थानांतरित कर दिया जाता है। विभाग की बात मान भी लें तो जिले का वास्तविक लक्ष्य 100 हेक्टेयर होता है। इस लक्ष्य को भी विभाग हासिल नहीं कर सका। जिसमें विभागीय अधिकारी किसी तरह से संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं।
इनका कहना है
यह स्थिति इसलिए निर्मित हुए है कि पिछले वर्ष छह माह बाद लक्ष्य मिला था। इसमें भी पूल लक्ष्य रहा। किसानों को योजनाओं की जानकारी दी जाती है। सब कुछ ऑनलाइन प्रक्रिया है। अब किसान ही लाभ लेने के लिए नहीं आते हैं, तो विभाग चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता। वित्तीय बजट शासन के मापदण्डों के आधार पर ही खर्च किया गया है।
- जी.एन. भारद्वाज, प्रभारी अधिकारी उद्यानिकी विभाग कटनी
Created On :   4 Dec 2019 9:48 PM IST