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आपरेशन का क्लेम नही दे रही टाटा एआईजी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी
डिजिटल डेस्क, जबलपुर। ज्यादा क्लेम न देना पड़े इसके लिए बीमा कंपनी तरह-तरह की गाईड लाइन पेश कर हाथ खड़े कर रही है। यह आरोप पॉलिसी धारको के द्वारा लगाया जा रहा है। पीडि़तो का कहना है कि कैशलेस करने से बीमा कंपनी पूरी तरह बचती रही और जब उनके आफिस में अस्पताल व दवाईयों के बिलो के भुगतान के लिए दस्तावेज पेश किए गए तो बीमा कंपनी ने अपने आफिस से सर्वेयर को अस्पताल व घर भेजकर चैक कराया और उसके बाद अनेक क्वेरी निकाली। क्वेरी निकालने के बाद जल्द ही क्लेम देने का वादा किया पर बाद में यह कहते हुए क्लेम रिजेक्ट कर दिया कि आपको हम क्लेम इसलिए नही दे सकते है क्योंकि आपको पहले से बीमारी थी और आपके द्वारा छुपाई गई। यह स्थिति किसी एक पॉलिसी धारक के साथ नही है बल्कि सैकड़ो की संख्या में बीमित क्लेम पाने के लिए भटक रहे है।
इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ-
इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर, जबलपुर के मोबाइल नंबर -9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
बैंक के माध्यम से कराई थी हेल्थ पॉलिसी-
सिवनी जैन मंदिर महावीर वार्ड निवासी सूर्यकांत चौधरी ने अपनी शिकायत में बताया कि उनका एकाउंट केनरा बैंक में है। बैंक के द्वारा टाटा ए आईजी से हेल्थ पॉलिसी कराई गई थी। पॉलिसी कराने के दौरान बीमा कंपनी के प्रतिनिधी ने दावा किया था कि हम 24 घंटे आपको सेवा देगे। पॉलिसी धारक ने कहा कि पॉलिसी चंदा बाई चौधरी के नाम पर है और उन्हें पेट में तक्लीफ होने पर अस्पताल में इलाज कराने गए तो चिकित्सक ने आपरेशन की सलाह दी। वहां पर कैशलेस कार्ड दिया गया तो बीमा कंपनी ने बिल सबमिट करने पर सारा भुगतान देने का दावा किया था। पत्नी के इलाज के बाद उन्होंने बीमा कंपनी में सारे दस्तावेज जमा किए तो बीमा अधिकारियों ने उसमें अनेक क्वेरी निकाली और उसके बाद क्लेम देने से इंकार कर दिया। बीमित के द्वारा लगातार मेल किया जा रहा है पर जिम्मेदार उसका जवाब नही दे रहे है। वहीं टाटा एआईजी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के प्रतिनिधी से संपर्क किया गया पर उनके द्वारा किसी तरह का जवाब नही दिया गया। बीमित का आरोप है कि बीमा कंपनी के जिम्मेदार पॉलिसी धारकों के साथ गोलमाल कर रहे है बीमितों की प्रशासन के अधिकारियों के पास सुनवाई भी नही हो रही है।
Created On :   30 April 2022 4:54 PM IST