कंटेनमेंट एरिया की ड्यूटी के साथ बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक

Teachers teaching children with duty of container area
कंटेनमेंट एरिया की ड्यूटी के साथ बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक
कंटेनमेंट एरिया की ड्यूटी के साथ बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षक

-शिक्षकों ने आपदा को बनाया अवसर, लॉकडाउन के समय का कर रहे उपयोग
डिजिटल डेस्क सिंगरौली (चितरंगी)।
शिक्षकों को प्रदेश सरकार के द्वारा किसी भी कार्य में लगा दिया जाता है। कोरोना काल में वे कंटेनेमेंट एरिया में ड्यूटी बजा रहे हैं। पूरे दिन डयूटी के दौरान कोई खास काम न होने से शिक्षकों ने आसपास के बच्चों को बुलाकर पढ़ाना शुरू कर दिया है। चितरंगी के बगदरा कला बैरियर में सड़क के किनारे जमीन पर बैठे बच्चे पढ़ते मिले। इन्हें यहां पर सेवाएं दे रहे शिक्षक कामता प्रसाद तिवारी, रमाकांत पांडेय, सत्यभान सिंह, गुलाब प्रसाद जायसवाल अपने अपने समय पर पढ़ा रहे हैं। सभी शिक्षक चितरंगी के अलग अलग विद्यालयों में पदस्थ हैं। ग्राम बगदरा कला में कोरोना का एक पॉजिटिव मरीज 26 जुलाई को मिलने पर कंटेनमेंट एरिया घोषित कर दिया गया है। कलेक्टर आर आर मीना के निर्देश पर सभी शिक्षक कंटेनमेंट एरिया में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्थानीय बच्चों पढ़ाने के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पूरा ध्यान देते हुए बच्चों को उनकी कक्षा के विषय व पुस्तकें पढ़ाई जा रही हैं। शिक्षकों ने यह कार्य अपने मूल कार्य और छात्रों के भविष्य को देखते हुए किया जा रहा है। कोरोना वायरस कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते देश के सभी शिक्षा संस्थान बंद किए गए हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। सरकार द्वारा ऑनलाइन पढ़ाने का आदेश दिया गया है और ऑनलाइन क्लासेस चल भी रहे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या और स्मार्ट फोन की अनुपलब्धता के कारण बच्चे पढ़ नहीं पा रहे थे। 
मिल चुका है राष्ट्रपति सम्मान
इस एरिया में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षक कामता प्रसाद तिवारी को वर्ष 2014 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से नवाजा जा चुका है। बच्चों का भविष्य संवारने वाले  शिक्षक वैश्विक महामारी में जिला प्रशासन के निर्देशानुसार सेवाएं दे रहे हैं। जहां पर भी उन्होंने इस आपदा का अवसर में बदलने का सराहनीय प्रयास किया है। वे विषम परिस्थितियों में भी शिक्षक का धर्म निभा रहे हैं। जिसके लिए स्थानीय लोग सराहना कर रहे हैं। 
नदारत अपना घर अपना विद्यालय के शिक्षक
कुछ शिक्षक अपनी स्वेच्छा से सेवाएं दे रहे हैं तो दूसरी तरफ अपना घर अपना विद्यालय के तहत घर घर जाकर छात्रों को पढ़ाने की बजाय घरों से नहीं निकल रहे हैं। उन्हें स्कूल के दो चार बच्चों को एकत्र कर सोशल डिस्टेंस्ंिाग के साथ पढ़ाना है। स्मार्ट फोन का उपयोग करने और उसमें भेजे गये प्रोग्राम की जानकारी देना है। इस कार्य के लिए प्रत्येक शासकीय शिक्षक को हर दिन दो से चार घंटे बच्चों के साथ बैठकर पढ़ाई कराना है। लेकिन इस प्रोग्राम की न तो मानिटङ्क्षरग हो रही है और न ही शिक्षक स्कूल पहुंच रहे हैं।

Created On :   10 Aug 2020 6:47 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story