सांस्कृतिक आक्रमण के माध्यम बन रहे तकनीकी संसाधन

Technological resources becoming a medium of cultural invasion - RSS
सांस्कृतिक आक्रमण के माध्यम बन रहे तकनीकी संसाधन
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। तकनीकी संसाधनों पर नियंत्रण का आह्वान करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने कहा है कि देश में सांस्कृतिक आक्रमण लगातार हो रहा है। तकनीकी माध्यमों से अराजकता के प्रयोग किए जा रहे हैं। ओटीटी प्लेटफार्म पर कैसे कैसे चित्र आ रहे हैं। नशे का कारोबार बढ़ रहा है। चीन और पाकिस्तान को इन मामले में लिप्त बताते हुए सरसंघचालक ने कहा कि छोटे कारणों को लेकर अराजकता फैलाने वाले कृत्यों को रोकना होगा। स्थिति पर नियंत्रण की उपाय योजना सरकार और समाज करें। शुक्रवार को संघ के विजयदशमी उत्सव समारोह में सरसंघचालक बोल रहे थे। समारोह का आयोजन रेशमबाग स्थित डा.हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर में किया गया।

जोड़नेवाली भाषा

सरसंघचालक ने कहा कि समाज को तोड़ने नहीं, बल्कि जोड़नेवाली भाषा का उपयोग होना चाहिए। जाति, भाषा, प्रांत के नाम पर समाज को लड़ाने का जो प्रयास हो रहा है, वह घातक है। एकत्र होकर त्योहार, उत्सव मनाने से सामाजिक सौहार्द्र बढ़ेगा। हिंदू समाज को संगठित करने के लिए विनायक सावरकर के संदेश का जिक्र करते हुए सरसंघचालक बोले-हिंदू धर्म के उदय से कलह की दुकानें बंद हो जाएंगी। हिंदू समाज अपने ‘स्व’ को न समझ पाए, उसके लिए प्रयास होने लगे हैं। इतिहास का उपहास उड़ाने का प्रयास हो रहा है। ओटीटी पर कैसे कैसे चित्र आ रहे हैं। कोरोना में बच्चों के हाथ में भी मोबाइल फोन आए हैं। उन पर किसी का नियंत्रण नहीं है। ओटीटी पर नियंत्रण नहीं है। यह सब कैसे रोका जाए, यह जानकारी नहीं है।

सरकारें लड़ रही हैं 

सांस्कृतिक आक्रमण की चुनौती को दूर करना केंद्र व राज्य सरकारों का दायित्व है, लेकिन अफसोस है कि सरकारें लड़ रही हैं। असम व नगालैंड के विवाद का उल्लेख करते हुए सरसंघचालक ने कहा-भारत में दो राज्यों की पुलिस एक दूसरे पर गोलीबारी कर रही है। राजनीतिक दलों में विवाद व मतभेद तो ठीक है पर दो सरकारों में विवाद कैसे हो रहा है? वी द पिपल आफ इंडिया यानी हम एक राष्ट्र हैं।

कोरोना ने दिया अवसर

कोरोना संकट ने ‘स्व’ के विचार का अवसर दिया है। आतिथ्य सत्कार व वैवाहिक कार्यक्रमों में खर्च की बचत हुई है। साफ-सफाई व सेहत के प्रति सजग रहने का सभी ने अनुभव लिया है। इन अच्छी आदतों को बिगड़ने नहीं देना है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका है। कुछ लोग कहते हैं कि तीसरी लहर नहीं आएगी, लेकिन किसी अनुमान पर निर्भर न रहकर चुनौती से लड़ने के लिए तैयार रहना होगा। प्रत्येक गांव में चार पांच कोरोना योद्धा होना चाहिए। संघ ने इस संबंध में तैयारी पूरी कर ली है। सरसंघचालक ने यह भी कहा कि घर में हम अपनी भाषा बोलते हैं। कागज पर मातृभाषा में लिखते व हस्ताक्षर करते हैं। जहां विदेश की भाषा आवश्यक है, वहां उसका उपयोग किया जाना चाहिए, लेकिन ‘स्व’ के महत्व को न भूलें।

तालिबान के इतिहास को न भूलें 

तालिबान के साथ बातचीत से परहेज नहीं किया जा सकता है। बातचीत व मेल-मुलाकात से कई समस्याएं हल भी होती हैं, लेकिन तालिबान के इतिहास को न भूलें। तालिबान से सावधान रहने की आवश्यकता है। पाकिस्तान व चीन आज भी तालिबान के समर्थक हैं। तालिबान बदला होगा, पाकिस्तान बदला क्या? सीमा सुरक्षा और अधिक चाक-चौबंद करने की आवश्यकता है।

Created On :   17 Oct 2021 5:21 PM IST

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