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टीस मारता रहेगा शिखर पर पहुंचकर बिखरने का दर्द
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विधानपरिषद के नागपुर स्नातक चुनाव में हार ने महापौर संदीप जोशी और पार्टी के सामने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। महापौर पद पर भाजपा में बनी आम सहमति के बाद संदीप जोशी और दयाशंकर तिवारी को सवा-सवा साल के लिए महापौर पद आपस में बांटा गया है। इस मुताबिक, फरवरी 2021 में संदीप जोशी का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके बाद दयाशंकर तिवारी को इसकी कमान सौंपी जाएगी। विशेष यह कि महापौर जोशी ने पिछले दिनों फेसबुक लाइव में जनता से संवाद साधते हुए घोषणा भी की है कि वे अगला मनपा चुनाव नहीं लड़ेंगे। स्थानीय कार्यकर्ताओं को मौका दिया जाएगा। ऐसे में उनके राजनीतिक पुनर्वसन का मुद्दा उपस्थित हो गया है। हाल फिलहाल में विधानपरिषद पर जाने का कोई मौका भी नहीं है। विधानसभा चुनाव को भी समय है। चुनाव में पराजय के बाद फिलहाल किसी भी विषय पर पार्टी में अभी कोई बोलने को तैयार नहीं है। सबने चुप्पी साध रखी है।
कुछ समय पहले तक पार्टी यह मानकर चल रही थी कि विधानपरिषद के नागपुर स्नातक चुनाव में उसका 58 वर्ष का कब्जा कायम रहेगा। इस अनुसार कई रणनीति और योजनाओं पर काम किया गया था। जोशी और तिवारी को सवा-सवा साल का महापौर पद दिया गया था। पार्टी को खासकर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उम्मीद थी कि महापौर रहते हुए संदीप जोशी विधानपरिषद सदस्य बन जाएंगे। इसे देखते हुए जोशी ने आगामी मनपा चुनाव भी नहीं लड़ने की घोषणा की थी। लेकिन नतीजे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। भविष्य में इस पर जरूर मंथन होगा कि आखिर क्या वजह रही? लेकिन अभी नया सवाल जन्म ले रहा है कि आखिर जनवरी के बाद क्या। तय समझौते के अनुसार सब कुछ होगा या फिर कोई परिवर्तन होगा। फिलहाल पार्टी अभी इस पर ज्यादा बोल नहीं पा रही है। नेता कह रहे हैं कि सब कुछ तय अनुसार ही होगा।
कांग्रेस में उत्साह, मनपा चुनाव पर पड़ेगा प्रभाव
नतीजों से आगामी मनपा की चुनावी राजनीति भी प्रभावित होने की चर्चा है। नतीजों से जहां भाजपा नेता शांति बनाए हुए हैं, वहीं कांग्रेस में उत्साह है। वे इसे मनपा चुनाव के लिए संजीवनी मान रहे हैं। एक नेता ने चर्चा में कहा कि यह पहली बार हुआ है कि कांग्रेस के सभी नेताओं ने अपने-अपने स्तर पर पार्टी के उम्मीदवार को जिताने के लिए काम किया है। कहीं कोई दिक्कत नहीं आई। अगर यही स्थिति बनी रही तो 2022 के मनपा चुनाव में कांग्रेस का महापौर होगा। कांग्रेस के जानकार परदे के पीछे की कहानियां भी बताते हैं। जानकार बताते हैं कि पहली बार है जब विधानपरिषद चुनाव में कांग्रेस के सभी केंद्रों पर बूथ लगे। एक-एक घर में चार-चार पर्चियां बंटीं। छोटी-छोटी टीम बनाकर नेता-कार्यकर्ताओं ने घर-घर में संपर्क किया। छोटी-छोटी बैठकें हुईं। कांग्रेस के प्रदेश सह प्रभारी आशीष दुआ नागपुर में ठिया जमाए रहे। वे नेताओं और कार्यकर्ताओं में समन्वय का काम करते रहे। खुद कार्यकर्ताओं के साथ घरों में पर्चियां बांटने गए।
दिखाई ताकत
पालकमंत्री डॉ. नितीन राऊत ने खुद कई बैठकें लेकर कार्यकर्ताओं को काम पर लगाया। शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे जहां कोई कमी नजर आती या कोई शिकायत मिलती, तुरंत संपर्क बनाकर उन्हें काम पर लगाते। पूर्व आईएएस व कांग्रेस नेता किशोर गजभिये आंबेडकरी समाज के बुद्धिजीवियों को कांग्रेस को वोट करने के लिए मनाने में लगे रहे। डॉ. बबनराव तायवाडे ने ओबीसी समाज को एकजुट करने में जुटे रहे। कई अन्य नेता हैं, जो सामने न आते हुए काम करते रहे। ग्रामीण और अन्य जिलों में भी अलग-अलग नेताओं को कमान सौंपी गई। राकांपा और शिवसेना नेताओं का भी साथ मिलता रहा। कांग्रेस में यह सब कुछ पहली बार होने से नेता व कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह है। ऐसे में आगामी दिनों में मनपा के विषयों को लेकर कांग्रेस के आक्रामक होने की संभावना जताई जा रही है। कुछ ने अभी से दावे-प्रतिदावे भी शुरू कर दिए हैं।
नितीन गडकरी जब तक विधानपरिषद के स्नातक चुनाव जीतते रहे, उसमें एक लंबी बढ़त होती थी। प्रतिद्वंद्वी के लिए यह बढ़त को पाटना आसान नहीं होता था। डॉ. बबनराव तायवाडे ने कुछ कम की। अनिल सोले आए तो बढ़त में और कमी आयी। इस चुनाव में यह बढ़त ही गायब हो गई। स्नातक चुनाव का पूरा दारोमदार दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम नागपुर में होता था। इन तीन विधानसभा क्षेत्रों में करीब 62 हजार मतदाता है। कांग्रेस ने इस बार इन तीनों क्षेत्रों पर फोकस किया और हर चुनाव में घर में बैठे रहने वाले अपने वोटरों को बाहर निकाला। विधानसभा चुनाव में भी यही ट्रेंड दिखा। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सभी विधानसभा पर कब्जा किया था। 2019 के चुनाव में सिर्फ चार सीटें बचा पायी। 2 पर कांग्रेस जीती। चार जो बच्ची, उसमें से भी दो सीट पर जीत का काफी कम अंतर रहा। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वोट का अंतर साफ झलका। यही वह गणित है, जिससे कांग्रेस का उत्साह बढ़ा है। उसे लग रहा है कि उनकी मनपा चुनाव 2022 के लिए पिच तैयार हो गई है।
Created On :   6 Dec 2020 5:18 PM IST