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गोदरेज की जमीन छोड़ कर बुलेट ट्रेन के लिए पूरा हो गया है अधिग्रहण का कार्य
डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य सरकार ने बांबे हाईकोर्ट को सूचित किया है कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए गोदरेज एंड बॉयस मैन्यॉफैक्चरिंग कंपनी की जगह छोड़कर पूरी लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण की सारी प्रक्रिया पूरी हो गई है। राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने हाईकोर्ट को यह जानकारी दी है। परियोजना के लिएमुंबई की विक्रोली स्थित गोदरेज कंपनी के जमीन अधिग्रहण को लेकर राज्य सरकार व कंपनी के बीच साल 2019 से कानूनी लड़ाई चल रही है। 508.17 किमी लंबी मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना का 28 किमी का हिस्सा भूमिगत है। जिसका एक इंट्री प्वाइंट विक्रोली इलाके में है और इसके लिए कंपनी के जगह की जरुरत है।
पिछले दिनों मुंबई के उपजिलाधिकारी ने गोदरेज जमीन के लिए 264 करोड़ रुपए के मुआवजे का आदेश जारी किया था।गोदरेज जमीन अधिग्रहण के एवज में राज्य सरकार की ओर से दिए जा रहे 264 करोड रुपए की मुआवजा की राशि लेने की इच्छुक नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उपजिलाधिकारी के आदेश को लागू न करने का निर्देश देने की मांग की है। याचिका में कंपनीने दावा किया गया है कि सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहण की सारी प्रक्रिया साल 2020 में खत्म हो गई है। इसलिए जमीन के मुआवजे को लेकर 15 सितंबर 2022 जारी किया गया आदेश अपने आप अमान्य हो जाता है।
सोमवार को न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति एसजी दिगे की खंडपीठ के सामने कंपनी की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए गोदरेज की जमीन छोड़कर बाकी सारी जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो गई है। कंपनी की जमीन के चलते परियोजना अटकी हुई है। इसलिए इस मामले की तत्काल सुनवाई पूरी की जाए। वहीं गोदरेज की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने एक आवेदन दायर कर आग्रह किया कि राज्य सरकार को कंपनी की जमीन अधिग्रहण को लेकर सारे दस्तावेज व रिकार्ड पेश करने के लिए कहा जाए। इसके बाद खंडपीठ ने कहा कि हम 5 दिसंबर से इस मामले की सुनवाई शुरु करेंगे।
Created On :   21 Nov 2022 9:22 PM IST