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प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों के आर्किटेक्टों को अध्यादेश के जरिए मिले और अधिकार
डिजिटल डेस्क, भोपाल। प्रदेश के नगरीय निकाय जिनमें 16 नगर निगम, 98 नगर पालिकाएं एवं 264 नगर परिषदें शामिल हैं, में रजिस्ट्रीकृत तथा प्राधिकृत आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियर को राज्य सरकार ने राज्यपाल के माध्यम से जारी अध्यादेश के जरिए और अधिकार प्रदान कर दिए हैं। अब वे बिल्डिंग परमीशन के अलावा भवन निर्माण कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र और परमीशन टु आक्युपाय यानि अधिवास की भी परमीशन प्रदान कर सकेंगे।
इसके लिए विधि विभाग ने मप्र नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश जारी कर दिया है। अध्यादेश में नगर निगमों के लिए 61 साल पहले बने मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 तथा नगर पालिकाओं एवं नगर परिषदों के लिए 56 साल पहले बने मप्र नगर पालिका अधिनियम 1961 में संशोधन किया गया है। दोनों पुराने कानूनों में नया संशोधन यह किया गया है कि ऐसे मामलों में, जहां रजिस्ट्रीकृत तथा प्राधिकृत वास्तुविद या संरचना इंजीनियर द्वारा भवन अनुज्ञा प्रदान की की गई है वहां वे भवन अनुज्ञा की शर्तों का पालन सुनिश्चित करने के पश्चात ऐसे भवन के लिए पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र तथा अधिवासित करने की अनुज्ञा जारी करने हेतु सशक्त होंगे और इन्हें पूर्णता प्रमाण-पत्र व अधिवास की अनुज्ञा की एक प्रति अपने निकाय के आयुक्त या परिषद कार्यालय में सात दिन के भीतर उपलब्ध कराएंगे।
राज्य सरकार ने दो साल पहले 27 नवम्बर 2015 को प्राधिकृत वास्तुविद/स्ट्रक्चरल इंजीनियर को नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय द्वारा अनुमोदित 300 वर्ग मीटर तक के क्षेत्रफल वाले भूखण्डों पर बिल्डिंग परमीशन जारी करने के अधिकार प्रदान किए गए थे। दस वर्ष के अनुभव वाले वास्तुविद या संरचना इंजीनियरों को स्थानीय निकाय ही प्राधिकृत कर सकेंगी तथा ए प्राधिकृत वास्तुविद या संरचना इंजीनियर तीस दिन के अंदर भवन अनुज्ञा प्रदान करेंगे। वास्तुविद या संरचना इंजीयिर द्वारा बिल्डिंग परमीशन देने के बाद भी आम लोगों को भवन पूर्णता प्रमाण-पत्र तथा अधिवास की अनुमति हेतु संबंधित नगरीय निकाय के कार्यालय में चक्कर लगाने पड़ते थे। इसीलिए अब ए दोनों कार्य भी वास्तुविदों एवं संरचना इंजीनियरों को दे दिए गए हैं।
Created On :   5 Nov 2017 5:40 PM IST