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सड़कों के खेल में गेंद बन गए राहगीर, उछलते, गिरते, पड़ते सफर करने हो रहे मजबूर, शहर की अधिकांश सड़कों के उड़ गए धुर्रे
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।शहर में अभी 30 इंच के करीब बारिश हुई है और सड़कों के हाल ये हैं जैसे बाढ़ आ चुकी हो। डामर की सड़कें टूट नहीं रहीं बल्कि घुल रही हैं। ऐसे में यही प्रश्न कौंधता है कि आखिर नगर निगम के ठेकेदार कौन सा डामर लगाते हैं जो बारिश में घुलने लगता है। ऐसा नहीं कि हर सड़क के यही हाल हों लेकिन अधिकांश सड़कें तो हर बारिश में जर्जर हो जाती हैं। सड़कों का टेंडर जब दिया जाता है तो शर्त होती है कि तीन सालों तक सड़कों की देखरेख ठेकेदार ही करेगा लेकिन किसे याद रहता है कि कौन सी सड़क कब बनी थी और मरम्मत कौन कराएगा। नगर निगम बारिश के बाद सड़कों की मरम्मत के लिए ही करोड़ों रुपए फूँक देता है और उसके कुछ ही दिनों बाद नए सिरे से सड़कों का टेंडर जारी हो जाता है। कुल मिलाकर सड़कों के खेल में करोड़ों रुपयों का बारा-न्यारा होता है।
इन दिनों लोग जर्जर सड़कों पर चलने के लिए मजबूर हैं। विजय नगर जैसा पॉश एरिया हो जहाँ एमआरफोर है, घमापुर-रद््दी चौकी मार्ग, घमापुर-सतपुला मार्ग, दमोहनाका-आईटीआई मार्ग, अधारताल-परियट सड़क, गढ़ा की अधिकांश सड़कें, गोलबाजार सर्किल, रानीताल-कछपुरा मार्ग सहित कई सड़कें लगभग पूरी तरह टूट चुकी हैं। इनमें बड़े-बड़े गड््ढे हो गए हैं और दुर्घटनाओं की आशंका बनने लगी है। वैसे तो हर साल सड़कों के जर्जर होने पर बारिश को ही दोष दिया जाता है लेकिन इस बार तो अभी इतनी बारिश नहीं हुई है और इसलिए अब दोष नगर निगम के ठेकेदारों और अधिकारियों को दिया जा रहा है कि आखिर उन्होंने कैसी सड़कें बनवाईं।
हर सड़क पर नजर है
हमने हर जोन को यह निर्देश िदए हैं कि सड़कों पर निरंतर नजर रखी जाए और जहाँ भी बड़े गड््ढे होते हैं भले ही उनमें ईंटों और हार्ड मुरुम का मलबा भरा जाए लेकिन गड््ढे खुले नहीं रहने चाहिए। इसके साथ ही जैसे ही बारिश रुकेगी हम तेजी से मरम्मत के कार्य कराएँगे। वैसे तो वे ही सड़कें ज्यादा खराब हो रही हैं जो 3 साल पहले बनीं थीं लेकिन यदि गारंटी पीरियड की सड़कें खराब हुईं तो ठेकेदारों पर निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।
अजय शर्मा, अधीक्षण यंत्री नगर निगम
Created On :   26 Aug 2020 7:46 PM IST