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बांस अब नहीं रहा वृक्ष, सभी जिलों में इसका व्यावसायिक परिवहन हो सकेगा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। भारत सरकार ने बांस को वृक्ष होने की श्रेणी से हटा दिया है। अब इसका व्यावसायिक परिवहन प्रदेश के सभी जिलों में हो सकेगा तथा इसके परिहन के लिए वन विभाग से अनुमति नहीं लेना होगी। दरअसल राज्य सरकार ने तीन साल पहले वन विभाग के अंतर्गत प्रशासित मप्र अभिवहन वनोपज नियम 2000 में संशोधन कर बांस यानि डेन्ड्रोकेलेमस स्ट्रिक्टस को 12 जिलों यथा खण्डवा, बुरहानपुर, बैतूल, हरदा, छिन्दवाड़ा, बालाघाट, सिवनी, शहडोल, उमरिया, जबलपुर, कटनी और मंडला को छोड़कर शेष 39 जिलों में बिना वन विभाग से ट्रांजिट पास लिए परिवहन करने का प्रावधान किया था।
उक्त 12 जिलों में बांस के व्यावसायिक परिवहन हेतु वन विभाग से अनुमति लेना इसलिए जरुरी किया गया था, क्योंकि इन जिलों के वनों में बांस की बहुतायत रहती है तथा निजी भूमि से उत्पादित बांस के साथ इनको भी शामिल किए जाने की संभावना रहती थी, लेकिन हाल ही में भारत सरकार ने बांस के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए इसे वृक्ष की श्रेणी से हटा दिया है, जिससे अब बांस वृक्ष नहीं कहलाएंगे। वृक्ष नहीं होने से इन्हें काटने के लिए अब कोई अनुमति नहीं लेना होगी।
इसी कारण से अब राज्य सरकार ने एक बार फिर मप्र अभिवहन वनोपज नियम 2000 में संशोधन कर उक्त 12 जिलों में भी बांस के परिवहन हेतु वन विभाग से अनुमति नहीं लेने का प्रावधान कर दिया है तथा अब पूरे प्रदेश में बिना ट्रांजिट पास के बांस का परिवहन हो सकेगा।
इनका कहना है :
‘‘वनों में जो बांस लगे हैं उन्हें तो वनोपज माना जायेगा तथा उनके दोहन एवं परिवहन पर वन विभाग से अनुज्ञा लेनी होगी। लेकिन निजी या गैर वन भूमि पर उत्पादित बांस के दोहन एवं परिवहन पर वन विभाग से कोई अनुज्ञा नहीं लेना होगी। भारत सरकार ने भी बांस को वृक्ष की श्रेणी से बाहर कर दिया है। इसीलिए मप्र अभिवहन वनोपज नियम 2000 में संशोधन किया गया है।’’
- बीके मिश्रा, अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक, प्रोटेक्शन, वन विभाग, मप्रI
Created On :   24 Aug 2018 12:26 PM IST