बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम में जन्में पहले बाघ का मनाया गया जन्मदिन

The birthday of the first tiger born in the tiger restoration program was celebrated
बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम में जन्में पहले बाघ का मनाया गया जन्मदिन
पन्ना बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम में जन्में पहले बाघ का मनाया गया जन्मदिन

डिजिटल डेस्क,  पन्ना। बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम की सफलता से दुनिया भर में पन्ना टाइगर रिजर्व एक मिशाल बन चुका है वर्ष २००८-०९ में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था। जिसके बाद पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के उजड़ चुके संसार को पुन: आबाद करने के लिये बाघ्ज्ञ पुर्नस्थापना कार्यक्रम शुरू किया गया। योजना के तहत बाँधवगढ़ से पन्ना ला गई बाघिन टी-१ ने १६ अप्रैल २०१० को पन्ना टाइगर रिजर्व में अपनी पहली संतान को जन्म दिया और पन्ना टाइगर रिजर्व में इसके साथ बाघों की किलकारियों के गंूजने का जो दौर शुरू हुआ। उसके सुखद परिणाम से आज पन्ना टागर रिजर्व में ७० से अधिक बाघ मौजूद है। इतना ही नही इस टाइगर रिजर्व के लगभग ३० से अधिक बाघ प्रदेश के अन्य दूसरें राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारणों जंगलो की शोभा बढ़ा रही है। बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम में बाघिन टी-१ द्वारा जिस नरबाघ को जन्म दिया था उस नरबाघ पी-१११ का जन्मदिन हर वर्ष १६ अप्रैल को पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा प्रबंधन द्वारा जनसहभागिता द्वारा सुनिश्चित करते हुये मनाया जाता था। कोविड की वजह से विगत दो वर्षाे के दौरान पन्ना टागइर रिजर्व प्रतिमात्मक रूप से मनाया गया था इस वर्ष जब कोरोना संक्रमण का खतरा कम हुआ और बंदिशों से मुक्ति मिली तो बाघ का जन्मदिन पन्नावासियों ने पन्ना टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर टाइगर मैन से के नाम जाने वाले आर. श्रीनिवास मूर्ति की मोैजूदगी में मनाया। हांलाकि समारोह का आयोजन शासकीय तौर पर इस बार नही किया गया लेकिन पन्नावासियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी से समारोह अविस्मरणीय बना दिया। बाघ पी-१११ के १२वें जन्मदिन पर बकायदा केक काटा गया। बधाई की तालियाँ गूँूजी लोगों को केक खिलाया गया। बाघ के जन्मदिन के इस गरिमाई कार्यक्रम मेें टाइगर मैन आर. श्रीनिवास मूर्ति व पीयूष सेकशरिया द्वारा लिखित पुस्तक अवर टाइगर रिर्टन के संशोधित दूसरे संस्करण का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया। समारोह में पन्ना शहर के जहां गणमान्यजन शामिल हुये वही कई सेवा निवृत्त अधिकारी जिनकी भूमिका बाघ पुर्नस्थापना में रही है वे भी पहँुचे। समारोह में राष्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त वयोवृद्ध शिक्षक जिन्होनें स्कूली बच्चों को प्रकृति व वन्यजीवों के बारे में नेचर केम्प के माध्यम से जागरूक करने का  कार्य किया वे भी शामिल हुये। कार्यक्रम में प्रणामी संप्रदाय के धर्मगुरू ख्याति लब्ध चिकित्सक डॉ. दिनेश एम पंडित, राजमाता दिलहर कुमारी प्रतिष्ठत चिकित्सक डॉ. विजय परमार, वाईल्ड लाईफ बोर्ड के पूर्व सदस्य हनुमंत प्रताप सिंह, समाज सेवी मनोज केशरवानी, श्रीमती दिव्यारानी सिंह, योगेन्द्र भदौरिया, वरिष्ठ पत्रकार अरूण सिंह, अंकित शर्मा सहित वन्य एवं प्रकृति प्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। आयोजित कार्यक्रम के दौरान पूर्व फील्ड डायरेक्टर आर. श्रीनिवास मूर्ति द्वारा बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम के दौरान सामने आई विभिन्न चुनौतियों घटनाओं और यादगार संस्मरणों को सुनाया गया। इस दौरान उन्होनें अपनी पुस्तक अवर बाघ रिर्टन के संशोधित दूसरे संस्करण के संबंध में जानकारी दी तथा बताया कि यह पुस्तक पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की वापसी के रोचम तथ्यों को बच्चों को समझाने के लिये लिखी गई है। उन्होनें बताया कि इस पुस्तक से की बिक्री से जो भी आय होगी उस पूरी आय को पन्ना में वन्यजीव से संबंधित कार्यक्रमों के लिये व्यय किया जायेगा। आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अतिथियों सहित वन्यजीव प्रकृति प्रेमियों ने अपने विचार रखते हुये कहा कि एक दौर वह था जब पन्ना में यह धारणा बन गई थी टाइगर रिजर्व और जंगल से पन्ना का विकास अवरूद्ध हुआ है। पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम की सफलता के बाद देश एवं दुनियां में जिले को जो नई पहचाान मिली है पर्यटन से रोजगार के अवसर बढ़े है। जनभागीदारी की भूमिका मजबूत हुई है उससे पन्ना टाइगर रिजर्व को लेकर पन्नावासियों की सोच में अभूतपूर्व बदलाव हुआ है और अब पन्ना के लोग पन्ना टाइगर रिजर्व को अपने मित्र के रूप में देख रहे है। 
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट बनाने में पन्ना की अहम भूमिका
पन्ना टाइगर रिजर्व वर्ष २००९ में बाघ विहीन हो गया था जिसका असर यह हुआ कि मध्य प्रदेश टाइगर रिजर्व स्टेट का दर्र्र्र्जा्र्र्र छीन गया। पन्ना बाघ पुर्नस्थापना योजना को मिली चमत्कारी सफलता के बाद जब पन्ना में बाघों का कुनबा फिर से आबाद हुआ और इसकी तादाद तेजी से बढ़ी तो वर्ष २०१८ में मध्य प्रदेश फिर से टाइगर स्टेट बन गया। वर्ष २०१८ में बाघों की देशव्यापी गणना रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश को ५०६ बाघों के साथ टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। जबकि कर्नाटक ५२४ बाघों के साथ महज दो के अंतर से दूसरे स्थान पर रहा है जिससे यह समझा जा सकता है पन्ना यदि टाइगर सें आबाद न होता तो मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल करना मुश्किल था। 
शून्य से शुरू हुआ सफर अब ७० से अधिक बाघ
पूर्व फील्ड डायरेक्टर आर.श्रीनिवास मूर्ति ने बताया कि वर्ष २००९ में शून्य के साथ शुरू हुआ पन्ना का सफर आज उस मुकाम तक आ चुका है जिस पर पन्ना के लोग गर्व कर रहे है। मोैजूदा समय में पन्ना टाइगर रिजर्व मे ७० से अधिक बाघ है जबकि ३०-४० बाध विंध्य और बुंदेलखण्ड के क्षेत्र में फैलकर वंशवृद्धि कर रहे है। बाघ पुर्नस्थापना कार्यक्रम में बाहर से कुल ०७ बाघ लाये गये थे लकिन उसके बदले कितने टाइगर बाहर दे चुके है यदि उसकी गिनती की जाये तो पन्ना ने जो लिया था उसे मूल और सूद के साथ लौटा दिया गया है।  


 

Created On :   18 April 2022 3:34 PM IST

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