आसमान पर लगी टकटकी निराश कर रहे है बादल

The clouds are disappointing the gaze on the sky
आसमान पर लगी टकटकी निराश कर रहे है बादल
पन्ना आसमान पर लगी टकटकी निराश कर रहे है बादल

डिजिटल डेस्क,  पन्ना। पन्ना नगरवासियों की प्यास बुझाने वाले तीन तालाबों में से दो तालाब लोकपाल सागर और धरमसागर पूरी तरह से सूख चुके है। तीसरे जिस निरपतसागर तालाब की भी स्थिति चिन्ताजनक स्थिति में पहँुच गई और जानकारो के अनुसार पानी नही गिरने की स्थिति में निरपत सागर तालाब से भी अधिक से अधिक २५ दिन तक पानी लिया जा सकता है। ऐसे आने वाले दिन तक पानी नही गिरता तो जल संकट को लेकर हालात बद से बदतर हो जायेंगे। पन्ना शहर स्थित धरमसागर तालाब को शहरवासियों में वर्ष २०१५-१६ में पहली बार सूखते देखा था और इसके बाद बीते वर्षाेे के दौरान पेयजल व्यवस्था का बड़ा सहायक तालाब पिछले वर्ष भी सूख गया था इस वर्ष भी सूख गया है। लोकपाल सागर जिसका निर्माण करीब सौ वर्ष पूर्व स्टेट समय में किसानों को सिंचाई के लिये पानी की सुविधा देने के लिए किया गया था। आबादी बढऩे के बाद जब शहरवासियों के लिये जल आवद्र्धन योजना बनाई गई उसके बाद बीते एक दशक से लोकपाल सागर तालाब से शहरवासियों की पेय जल व्यवस्था के लिये पानी की आपूर्ति की जाती रही है किन्तु इसके बाद भी तालाब को कभी सूखते लोगों ने नही देखा। अपने निर्माण से सौ से अधिक साल के इतिहास में लोकपाल सागर तालाब पहली बार पूरी तरह से सूखकर मैदान में तब्दील हो चुका है और जब पेय जल आपूर्ति करने वाले दो तालाब सूख कर मैदान में बदल गये तो जल संकट की स्थिति इस रूप में शहर में पहँुच गई है कि दोनों तालाबों के जल प्रबंधन से लगभग ३५ हजार आबादी जिन्हें घर में नल से जल मिलता था उनके लिये पानी की आपूर्ति ठप्प हो गई है। दोनो तालाबों के सूख जाने के बाद भीषण जल संकट से जूझ रहे शहरवासी आसमान पर अच्छी बारिश होने के लिये टकटकी लगाए हुए है पिछले तीन दिनों के दौरान आसमान में घने बादलों के मडराने से लोगो की उम्मीदे भी जागरूक हुई किन्तु हवा के झोकों के साथ ही आसमान में दिखे काले बादल बँूदाबादी के साथ हर दिन गायब हो जा रहे है। दिन तेज धूप लोगो की चिन्ता और बढ़ा रही है पन्ना शहर में पेय जल संकट की संभावनाये है साफतौर पर पूर्व से नजर आ रही है किन्तु शहरवासियों को साफ-सुथरा पानी मिले इसको लेकर जिला प्रशासन,स्थानीय प्रशासन एवं जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की गंभीरता देखने को नही मिली। अब जब दो तालाबों का पानी पूरी तरह से खत्म हो गया तब प्रशासन पेय जल व्यवस्था के लिये कुछ तैयारियों की जानकारी के साथ सामने आया है। प्रशासन के द्वारा बीते दिवस अपने अधिकारियों से सलाह करने के बाद शहर स्थिति बेनीसागर तालाब के पानी को धरमसागर तालाब में लिफ्ट  करते हुए जल सशोधन सयंत्र के जरिये शुद्ध करके पानी की आपूर्ति की व्यवस्था बनाये जाने को लेकर जानकारी दी है। स्थानीय शहरवासियों की ओर से इस व्यवस्था को लेकर इस बात के साथ अपनी आपत्ति शुरू कर दी है कि बेनीसागर तालाब नगर का सबसे दूषित तालाब है जहां पर सीधे नालियों की गंदगी तालाब में मिलती है इतना ही नही जिला अस्पताल से ओटी और वार्डाे से निकले गंदे कपड़े भी इसी तालाब में धोय जाते है। तालाब का पानी इतना दूषित हो चुका है कि अक्सर इस तालाब में मछलियां तक मर जाती है ऐसे में शहर के सबसे दूषित तालाब का पानी शोधनगृह में शुद्ध करने के बाद भी लोगों की सेहत के लिये हानिकारक होगा इन बातों के साथ ही आपत्तियां आनी शुरू कर दी है। 
निस्तारी गंदगी से सुरक्षित नही किये गये तालाब
पन्ना शहर मे इस समय भी बेनीसागर तालाब, मटया तालाब, दहलान ताल एवं महाराज सागर तालाब में काफी मात्रा में पानी मौजूद है परंतु स्टेट समय में बने इन तालाब को सुरक्षित करने के लिये जिले के रहनुमाओं और जिम्मेदार प्रशासन द्वारा दृढ़ इच्छा शक्ति नही दिखाई गई। जिसका परिणाम यह है कि उक्त चारों तालाबों में निस्तारी नालियों से पहँुचने वाली गंदगी के चलते पूरी तरह से दूषित हो चुके है। तालाबों की पानी की स्थिति यह है कि यदाकदा जब मुक्तिधाम से संस्कार करने के बाद लोग मजबूरी में इन तालाबों के पानी से नहाते है तो एक दिन में त्वचा से संबंधित बीमारी से जूझना पड़ता है। सत्ता सुख भोगी नेताओं और अफसर यदि चाहते तो स्टेट  समय बने तालाब को सुरक्षित किया जा सकता था और जल संकट की स्थिति में यह हम सबके लिये राहत वाली बात होती 
सौ से तीन सौ साल पुरानी व्यवस्था पर पानी के लिये निर्भर शहर
स्टेट समय में जब यहांं के राजाओं द्वारा पानी की व्यवस्था के लिये तालाब और कुएँ सौ से तीन सौ साल पूर्व बनाये गये थे उस समय नगर की आबादी बामुश्किल १०-१५ हजार भी नहीं थी। स्टेट समय में जो व्यवस्था थी उस समय पानी की व्यवस्था को लेकर पन्ना की प्रसिद्धी थी पन्ना की प्रसिद्धी को लेकर लोक कहावत रही है कि पन्ना तीन बात में जाहर पानी, पाथर, लावर। लावर का आशय यहंां पर मिलने वाले हीरे से रहा है। लोक कहावत के अनुसार पानी के लिये पन्ना प्रसिद्ध रहा है परंतु उसी शहर की आबादी जब लगभग ७० से ७५ हजार तक पहँुच चुकी है पानी को लेकर हायतौबा की स्थिति बन गई है जिसका कारण है कि देश के आजाद होने के बाद छोंटा शहर बड़ा होता चला गया। निरपत सागर से सप्लाई के लिये पानी कम पड़ा तो धरम सागर तालबा एवं लोकपाल सागर तालाब के पानी का दोहन शुरू कर दिया। सौ से तीन सौ साल पुरानी जलस्त्रोतों पर आज भी शहर निर्भर है बढ़ती आबादी घटते बारिश के ग्राफ के बावजूद शहरवासियों को साफ-स्वच्छ पानी के लिये बड़ी-बड़ी बाते तीन दशक से सुनी जा रही है। पन्ना से गुजरने वाली प्रमुख नदी केन का पानी बेतवा भेजने को लेकर काम शुरू हो गया है किन्तु केन का पानी पन्ना तक लाने लिये संकल्पित दमदार नेता दूर-दूर तक जिले में दिखाई नही दे रहे है और न ही अब तक कोई दूसरी योजना बनाई गई है जिससे वर्तमान तथा भविष्य में शहरवासियों को जल समस्या का स्थाई रूप से समाधान नजर आ रहा है।

Created On :   18 Jun 2022 12:53 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story