डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन योजना के हाल - खुद ही कचरा हो गए सैकड़ों वाहन, नहीं हो रही मरम्मत, नियमों की भी अवहेलना

The condition of door-to-door garbage collection scheme - hundreds of vehicles themselves became garbage
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन योजना के हाल - खुद ही कचरा हो गए सैकड़ों वाहन, नहीं हो रही मरम्मत, नियमों की भी अवहेलना
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन योजना के हाल - खुद ही कचरा हो गए सैकड़ों वाहन, नहीं हो रही मरम्मत, नियमों की भी अवहेलना

414 में से 302 वाहन कबाड़ में, जो दौड़ रहे वो छोड़ रहे जहरीला धुआँ
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
शहर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की व्यवस्था के लिए वैसे तो 414 वाहनों को लगाया गया लेकिन वक्त से पहले ही 302 वाहन खुद कचरे में तब्दील हो गए। अब हालात यह हं कि सिर्फ 112 वाहनों के भरोसे पूरी व्यवस्था चल रही है। इनमें से भी ज्यादातर ऐसे हैं जो कॉलोनियों में जहरीला धुआँ छोड़ रहे हैं। 
वर्ष 2016 से लागू की गई डोर-टू-डोर कलेक्शन की व्यवस्था में लोगों से राशि भी वसूली जाने लगी लेकिन यह सेटअप कभी भी पटरी पर नहीं आ पाया और अब हालात ये हो गए हैं कि कचरा कलेक्ट करने वाले ट्रिपर वाहन खुद कचरा बनते जा रहे हैं। अधिकांश वाहन मरम्मत न होने से बुरी तरह कंडम हो गए हैं, जिनमें से कुछ को तो हमेशा के लिए डम्प ही कर दिया गया है, जबकि कुछ बस्तियों में जहरीला धुआँ छोड़ रहे हैं। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था के नियम इतने कठोर हैं कि यदि उनका पालन किया जाए तो अधिकांश वाहनों को हटाना पड़ जाएगा, किन्तु निगम के अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं और एजेंसी मनमानी कर रही है। डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था के नाम पर आम शहरी नागरिकों से 360 रुपए प्रतिवर्ष लिए जाते हैं, जबकि व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से यह राशि 720 रुपए वसूली जा रही है। इस कार्य के लिए नगर निगम के कुल 244 ट्रिपर वाहन लगे हैं और ठेका एजेंसी एस्सेल के 170 के करीब हैं, जिनमें से केवल 112 चालू हालत में हैं। निगम के वाहनों की मरम्मत तो निगम के ही वर्कशॉप में होती है, जबकि एजेंसी का आगा चौक में वर्कशॉप है, जिसमें मरम्मत का कार्य होता ही नहीं है और वाहनों में खराबी आने पर निजी दुकानों से उन्हें बनवाया जाता है, यही कारण है कि अधिकांश वाहन कंडम होते जा रहे हैं और उनमें से दो दर्जन से अधिक वाहन डम्प हो चुके हैं, जबकि कुछ को बैंक ने सीज कर लिया है।
हर घर से उठना था कचरा, 70 फीसदी का दावा
शहर के हर घर से कचरा उठना था ताकि घरों और बस्तियों के आसपास कचरा नजर ही नहीं आ पाए, लेकिन 5 सालों में भी केवल 70 फीसदी घरों से कचरा उठाने का दावा किया जा रहा है, जबकि यह भी सच नहीं है। यही कारण है कि लोग अब भी डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था का शुल्क जमा करने से हिचकिचाते हैं। उनका कहना होता है कि जब कचरा ही नहीं उठता तो राशि क्यों दें। शहर से प्रतिदिन 450 से 500 टन कचरा उठाया जा रहा है। 79 वार्डों से निकलने वाला यह कचरा कठौंदा पॉवर प्लांट भेजा जाता है जहाँ इससे बिजली बनाने का कार्य िकया जाता है। जब कचरा गाड़ी बहुत से स्थानों पर पहुँचती ही नहीं है तो इतना कचरा पॉवर प्लांट पहुँचता कैसे है।
इनका कहना है
नगर निगम के 244 ट्रिपर वाहनों में से 100 तो हाल ही में खरीदे गए हैं जिनमें कोई खराबी नहीं, जबकि बाकी भी चालू हालत में हैं क्योंिक उनकी नियमित तौर पर वर्कशॉप में मरम्मत होती है। आगा चौक में खड़े कंडम वाहन एजेंसी के हैं। नियमों का पालन करने और शर्तों के अनुसार कार्य करने के निर्देश एजेंसी को दिए गए हैं यदि उनका पालन नहीं होगा तो जुर्माना किया जाएगा। 
-भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम 

Created On :   4 Aug 2021 2:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story