देश को राष्ट्रप्रधान की आवश्यकता, तभी लोकतंत्र की नींव होगी मजबूत - संत दिव्यानंद

The country needs nationhood, only then the foundation of democracy will be strong Saint Divyanand
देश को राष्ट्रप्रधान की आवश्यकता, तभी लोकतंत्र की नींव होगी मजबूत - संत दिव्यानंद
देश को राष्ट्रप्रधान की आवश्यकता, तभी लोकतंत्र की नींव होगी मजबूत - संत दिव्यानंद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संत दिव्यानंद ने कहा कि देश को किसी पार्टी का नेता या प्रधान नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रधान की आवश्यकता है। राष्ट्रहित में कार्य करने वाले का समर्थन, अन्यथा विरोध किया जाना चाहिए। इससे लोकतंत्र की नींव मजबूत होगी। 

राम मंदिर निर्माण में तेजी लाए
पंजाब सेवा समाज की ओर से प्रीतम भवन में आयोजित रामकथा के लिए जालंधर से पधारे उदासीन आश्रम के संत दिव्यानंद मंगलवार को दैनिक भास्कर कार्यालय में संपादकीय सहयोगियों से चर्चा में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का फैसला हर्ष की बात है। मंदिर का निर्माण करते समय राजधर्म का पालन हो। मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।

राजनीति में प्रवेश का इरादा नहीं 
राजनीति में प्रवेश के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में जाने का उनका कोई इरादा नहीं है। जनप्रतिनिधियों के पास ऐसी शक्तियां होती है जो जनता को प्रभावित कर सकती हैं। इन शक्तियों का प्रयोग अच्छे कार्यों के लिए किया जाना चाहिए। पंजाब सेवा समाज की ओर से वाठोड़ा में संचालित विद्या निकेतन में सीबीएसई स्कूल की नींव रखी गई है। इस अवसर पर हेमंत खुंगर तथा प्रेमकुमार खुराना उपस्थित थे। 
छिंदवाड़ा में होगा भव्य आयोजन : संत दिव्यानंद ने बताया कि मध्यप्रदेश स्थित छिंदवाड़ा में उनकी रामकथा का भव्य आयोजन अगले वर्ष होगा। अभी तिथि तय नहीं हुई है। अगले माह जालंधर में उनकी रामकथा होगी। 

पंजाब सेवा समाज की ओर से संत समागम का आयोजन किया गया जिसमें देशभर के संतों का मेला लगा रहा। महामंडलेश्वर स्वामी शांतानंदजी महाराज के शिष्य युवा संत दिव्यानंद ने श्रीराम कथा ज्ञानगंगा प्रवाह में अपनी ओजस्वी वाणी से रामकथा प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं का दिल जीत लिया। आयोजन में सभी उत्सव उत्साहपूर्वक मनाए गए। समापन पर हवन-पूर्णाहुति में मुख्य यजमान जुग्गी उत्तमचंद पुन्यानी परिवार ने हिस्सा लिया। इस अवसर आयोजित संत समागम पंजाबी समाज की दृष्टि से ऐतिहासिक रहा। सभी संतों का संस्था की ओर से अध्यक्ष गिरधर कृष्ण खुंगर एवं सदस्यों ने स्नेहिल सत्कार किया। महामंडलेश्वर स्वामी शांतानंद ने संतों का परिचय दिया। संतों के ओजस्वी एवं शिक्षाप्रद उद्बोधन ने भाव-विभोर कर दिया। 

विदर्भ के सपूत
22 वर्षीय संत दिव्यानंद मूलत: विदर्भ सपूत हैं। उनके माता-पिता यवतमाल जिला स्थित वणी में रहते थे। उनके माता-पिता उदासीन संप्रदाय के श्री दास महाराज के अनुयायी थे। संत दिव्यानंद जब गर्भ में थे तभी उनके माता-पिता ने श्री दास महाराज को आश्वस्त किया था कि यदि पुत्र रत्न हुआ तो वे उन्हें धर्म कार्य के लिए सौंप देंगे। सन 1997 में उनका जन्म हुआ और सन 2002 में उन्हें सौंप दिया।

सांप्रदायिक का विष न फैलाए जनप्रतिनिधि
कुछ जनप्रतिनिधियों द्व्रारा सांप्रदायिकता की राजनीति किए जाने के सवाल पर संत दिव्यानंद ने कहा कि जनप्रतिनिधियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे एक जिम्मेदार पद पर हैं, इसलिए उनके कार्यों से सांप्रदायिकता का विष न फैले। विडंबना यह है कि लोग संप्रदाय को धर्म समझ लेते हैं जबकि संप्रदाय और धर्म अलग-अलग चीजें हैं। मेरा संदेश है-सांप्रदायिकता को पकड़ो मत-धर्म को छोड़ो मत।

Created On :   25 Dec 2019 12:00 PM IST

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