मावे और घी में मिलावट करने वाले पिता-पुत्र को न्यायालय ने माना दोषी

The court considered the father-son adulteration of mava and ghee guilty
मावे और घी में मिलावट करने वाले पिता-पुत्र को न्यायालय ने माना दोषी
मावे और घी में मिलावट करने वाले पिता-पुत्र को न्यायालय ने माना दोषी

न्याय निर्णायक अधिकारी ने दोनों के ऊपर 70 हजार रुपये का लगाया जुर्माना, पंद्रह दिन का दिया समय
डिजिटल डेस्क कटनी ।
शहर के सिल्वर टॉकीज रोड स्थित गुप्ता खोवा कमीशन एजेंट की दुकान में मिलावटी मावे और घी के मामले में न्याय निर्णायक अधिकारी ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए दुकान संचालक पिता और उस समय काउंटर में बैठे पुत्र को दोषी मानते हुए 70 हजार रुपए के जुर्माने से अधिरोपित किया है। यह पहली बार है जब निर्णायक अधिकारी/ अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी के न्यायालय ने लोगों की सेहत से खिलावड़ करने वाले दुकानदारों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए दो-दो लोगों को दोषी माना है।
शुद्ध के युद्ध में हुई थी जांच
कांग्रेस सरकार ने प्रदेश स्तर पर शुद्ध के लिए युद्ध अभियान छेड़ा तो जिला खाद्य आपूर्ति विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी मैदान में उतरकर खाद्य पदार्थों की जांच शुरु किए। सिल्वर टॉकीज रोड मावा का मुख्य बाजार कहलाता है। यहां पर पिछले वर्ष जुलाई में गुप्ता खोवा कमीशन एजेंट की दुकान में खाद्य सुरक्षा अधिकारी देवेन्द्र दुबे अपनी टीम के साथ पहुंचे। दुकान में 200 किलोग्राम मावा और 25 किलोग्राम घी खुले में रखा हुआ था। 10 किलोग्राम मावा के ढेर में अधिकारियों की शंका हुई तो इससे एक किलोग्राम मावा सैंपल के रुप मेें लिया। इसके साथ 25 किलोग्राम घी में से एक किलाग्राम घी का सैंपल लेकर जांच के लिए भोपाल लैब भेजा गया।
अज्ञानता की नहीं मानी दलीलें
न्यायालय दुकानदारों की दलीलों को नहीं माना। मावा और घी सीधे जरुरत की खाद्य सामग्री में शामिल है। ऐसे मेें दुकानदार के किसी भी बयान से न्यायालय सहमत नहीं रहा। दुकानदार ने न्यायालय को बचाव पक्ष में जो दलील दी। उसमें लेख किया गया कि वह छोटे कारोबार का संचालन करता है। जिसके सबंध में अधिक जानकारी नहीं होने के कारण अज्ञानतावश गलती हुई है। 
पंद्रह दिन का  दिया समय
जुर्माने की राशि चुकाने के लिए दुकानदार बाल कृष्ण गुप्ता और काउंटर में बैठे अंशुल गुप्ता को पंद्रह दिन का समय दिया गया है। बाल कृष्ण के ऊपर 50 हजार और अंशुल गुप्ता के ऊपर 20 हजार रुपए की राशि अधिरोपित की गई है। न्यायालय ने फैसले की प्रति तहसीलदार को भी दी है। जिसमें कहा गया है कि यदि समय-सीमा के अंदर जुर्माने की राशि जमा नहीं कराई जाती तो इसके बाद भू-राजस्व संहिता की कार्यवाही शुरु की जाए।
लैब रिपोर्ट में अधिक मिला फैट
भोपाल से जो रिपोर्ट मावे और घी की आई। उसमें मानक स्तर से फैट अधिक रहा। खाद्य सुरक्षा अधिकारी देवेन्द्र दुबे ने बताया कि इस तरह की स्थिति तभी निर्मित होती है। जब अधिक फैट दिखाने के लिए अलग से दूसरी तरह की खाद्य सामग्री मिलाई जाती है। लैब ने अमानक माना, जिसके बाद मामला सुनवाई के लिए न्यायालय में लगाया गया।

Created On :   10 Sept 2020 6:51 PM IST

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