बुंदेलखंड के बेर से देश भर में बन रहे दर्जनों गुणकारी प्रोडक्ट, लगातार बढ़ रही मांग

The demand for Bundelkhand berry is growing rapidly across the country
बुंदेलखंड के बेर से देश भर में बन रहे दर्जनों गुणकारी प्रोडक्ट, लगातार बढ़ रही मांग
बुंदेलखंड के बेर से देश भर में बन रहे दर्जनों गुणकारी प्रोडक्ट, लगातार बढ़ रही मांग

डिजिटल डेस्क, टीकमगढ़। बुंदेलखंड वासियों के लिए बेर भले ही साधारण सा फल हो, लेकिन इसने पूरे देश को अपना मुरीद बना लिया है। यहां के बेर की डिमांड पूरे देश में तेजी से बढ़ रही है। माडूमर में स्व सहायता समूह के द्वारा बनाए गए बेर के शर्बत को देश भर में पसंद किया जा रहा है। वहीं व्यापारियों के माध्यम से यह तमिलनाडु, बंगाल और आंध्रप्रदेश का सफर तय कर रहा है।

ग्रामीण आजीविका मिशन ने बेर के शर्बत बनाने स्व सहायता समूह के प्रोडक्ट की ब्रांडिंग का जिम्मा संभाला है। मिशन के राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर के सेमीनारों में इसे खूब पसंद किया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि अकेले टीकमगढ़ से सालाना करीब 50 ट्रक बेर दूसरे राज्यों में भेजे जा रहे हैं। इस कारोबार में फायदा होता देख अब व्यापारियों ने बेर खरीदने के लिए गांवों के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। उन्हें इस कारोबार में अच्छा खासा मुनाफा भी हो रहा है।

कृषि विज्ञान केंद्र में बेर पर शोध कर रहे वैज्ञानिकों का कहना है कि बेर में आयरन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज लवण सहित विटामिन सी होता है। जिन महिलाओं में लोह तत्व की कमी होती है, उनके लिए बेर फल खून की कमी को पूरा करने में सहायक है। इसलिए गर्भवती महिला और कुपोषित बच्चों के लिए बेर के उत्पाद बेहद लाभदायक हैं। जिले में साधारण तौर पर उपलब्ध बेर फल के उपयोग को लेकर सरकारी स्तर पर उदासीनता है। देश के अन्य राज्य जहां इसका उपयोग कुपोषण से लड़ने में कर रहे हैं। वहीं प्रदेश के आंगनवाड़ी केंद्रों में बेर उत्पादों का उपयोग न के बराबर है।

जिला महिला बाल एवं विकास विभाग बेर के गुणकारी तत्वों की पुष्टि भी करता है। उनका कहना है कि आंध्रप्रदेश, उड़ीसा और तमिलनाडु राज्यों के आंगनवाड़ी केंद्रों में इसका उपयोग हो रहा है, लेकिन प्रदेश में इस तरह के निर्देश नहीं हैं।
कुपोषित बच्चों के लिए रामबाण दवा बेर से बनने वाला शरबत कुपोषित बच्चों के लिए रामबाण का काम करता है। इसके अलावा सेहत के लिए भी यह गुणकारी है। रिटायर्ड आयुर्वेद डाक्टर महेश बुखारिया का कहना है कि बेर से बनाए गए उत्पादों का उपयोग कुपोषण से लड़ने के लिए होता है। बेर का हलुवा, शरबत, टॉफी, बिरचुन और उबाले हुए बेरों का सेवन करने से कई असाध्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं।

बुंदेलखंड क्षेत्र में तापमान अधिक रहने से बेर की पैदावार के लिए यहां का मौसम अनुकूल है। व्यापारियों को ऐसी कई बड़ी कंपनियों से आर्डर मिल रहे हैं जो बेरों से प्रोडक्ट तैयार करती हैं। टीकमगढ़ के अलावा छतरपुर, दमोह, सागर, दतिया और पन्ना जिलों से भी बड़ी मात्रा में बेर फल आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, तमिलनाडु और बंगाल राज्यों में भेजा रहा है। कोल्ड ड्रिंक, टॉफी और शर्बत में होता इस्तेमाल दरअसल बुंदेलखंड में बेर का उत्पादन सर्वाधिक होता है।

स्थानीय स्तर पर किसान स्वयं के खाने और बाजार में बेचने के लिए भंडारण करते हैं, लेकिन जब से अन्य राज्यों में बेर की मांग बढ़ी है। तब से किसान इसके उत्पादन को लेकर गंभीर हो गया है। यही कारण है कि समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र से करीब 100 से 200 ट्रक बेर हर साल इन राज्यों में सप्लाई हो रहा है। व्यापारी सुनील जैन ने बताया कि दूसरे राज्यों में बेर फल का उपयोग च्यवनप्राश, कोल्ड ड्रिंक, टॉफी, शरबत जैसे उत्पाद बनाने में किया जा रहा है।

 

Created On :   25 Jun 2018 2:23 PM IST

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