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इकोलॉजिकल एप से होगी बाघों की गणना, कल से नागझिरा अभयारण्य में जुटेंगे कर्मी
डिजिटल डेस्क ,गोंदिया। नागझिरा अभयारण्य में बाघोंं की गणना इस बार इकोलॉजिकल एप से की जा रही है। गणना शनिवार 20 जनवरी से शुरू हो रही है। नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प के बाघों की गणना के लिए पहली बार इकोलॉजिकल एप का उपयोग किया जाएगा। जिससे बाघों की निश्चित संख्या पर मुहर लगेगी। पारंपरिक पद्धति से गणना किए जाने पर कई बार बाघों की निश्चित संख्या को लेकर प्रश्नचिह्न खड़े हो रहे थे। लेकिन अब नई तकनीक से गणना किए जाने से निश्चित संख्या पता चलेगी।
पता लगेगा परफेक्ट आंकड़ा
20 जनवरी को नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प सहित संपूर्ण देश भर में इस एप के माध्यम से बाघों एवं अन्य वन्य प्राणियों की गणना की जाएगी। बाघों सहित अन्य वन्यप्राणियों की निश्चित संख्या भी वन विभाग को पता चलेगी जानकारी मिली है कि इकोलॉजिकल एप द्वारा किए जाने वाले सारे पंजीयन भारतीय वन्यजीव संस्था (डब्ल्यू.आई.आई.) देहरादून को प्राप्त होंगे। इसी संस्था ने बाघ एवं अन्य प्राणियों की गणना के लिए यह तकनीक विकसित की है। डबल सैंपलिंग प्रणाली द्वारा जो गणना की जाएगी, उन्हें इकोलॉजिकल एप में डालकर प्राणियों की निश्चित संख्या का पता लगाया जाएगा। इस प्रक्रिया के लिए कैमेरा ट्रैपिंग एवं लाईन ट्रांजेक्ट इस डबल सैंपलिंग प्रणाली का उपयोग किया जाएगा। कैमेरा ट्रैपिंग के तहत स्वयंचलित कैमरे नागझिरा में लगाए गए हैं। जो बाघों की पीठ के काले पट्टों की विशेषता दर्शाएंगे। साथ ही फार्मूले एवं सांख्यिकीय पद्धति से प्राणियों की संख्या का पता लगाया जाएगा।
पारदर्शी माध्यम
इकोलॉजिकल एप बाघ एवं अन्य प्राणियों की गणना के लिए उपयोग में आने वाला पारदर्शी माध्यम है। डबल सैंपलिंग मेथड से मोबाइल एप जुडऩे से किसी भी बाघ की निश्चित पहचान करना आसान होगा। इससे बाघों की संख्या का पता चलेगा। प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा नवेगांव-नागझिरा में प्राणी गणना की जाएगी।
- रविकिरण गोवेकर, क्षेत्र संचालक
प्रशिक्षित कर्मचारी करेंगे गणना
प्रशिक्षित कर्मचारी ही इकोलॉजिकल एप से गणना कर सकते हैं। नवेगांव-नागझिरा में प्रशिक्षित कर्मचारी होने से वहां इस नई तकनीक से गणना की जाएगी, लेकिन जिले में अन्य जगह की प्राणी गणना पुरानी तकनीक से ही की जाएगी।
- रविकिरण गोवेकर, क्षेत्र संचालक
क्या है इकोलॉजिकल एप
इकोलॉजिकल एप भारतीय वन्यजीव संस्था द्वारा प्राणी गणना के लिए निर्माण किया गया एप है। कैमरे में बाघों की फोटो लिए जाने के पश्चात वह सेटेलाइट कनेक्टिविटी के आधार से एप के माध्मय से मुख्य केंद्र को भेजा जाता है। जहां हर बाघ की विशिष्ठ पहचान का पंजीयन, उसका क्षेत्र एवं उसकी आदतों का भी अध्ययन कर जानकारी एकत्रित करेगा। इससे देश में बाघों की सटीक संख्या का पता चल सकेगा।
Created On :   19 Jan 2018 3:50 PM IST