‘सुखी रहने का सबसे पहला मंत्र है-स्वयं की कद्र करें’-सुधांशु महाराज

The first mantra to be happy is to value yourself said sudhanshu maharaj
‘सुखी रहने का सबसे पहला मंत्र है-स्वयं की कद्र करें’-सुधांशु महाराज
‘सुखी रहने का सबसे पहला मंत्र है-स्वयं की कद्र करें’-सुधांशु महाराज

डिजिटल डेस्क, नागपुर । सुख कहीं और नहीं आपके स्वयं के ही भीतर है। सुख की खोज खुद में ही करें। सुखी रहने का सबसे पहला मंत्र है कि जीवन में स्वयं की कद्र करें। यह उद्गार विश्व जागृति मिशन की नागपुर शाखा के तत्वावधान में आयोजित ‘जीवन में सुखी कैसे रहें’ विषय पर प्रेरणात्मक प्रवचन देते हुए आचार्य सुधांशुजी महाराज ने व्यक्त किए। इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन रेशमबाग स्थित सुरेश भट्ट सभागृह में किया गया। कार्यक्रम के संयोजक अशोक गोयल थे। आचार्यश्री ने कहा कि अष्टावक्र गीता में महर्षि अष्टावक्र ने एक स्थान पर लिखा है- ‘मैं स्वयं को प्रणाम करता हूं’ और श्रीमद् भगवद् गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- ‘स्वयं को गिरने मत दो, हमेशा ऊपर उठाओ।’ 

जो मन के अनुकूल हो, वह सुख है 
आचार्यश्री ने कहा कि हर व्यक्ति सुख चाहता है, पर हर व्यक्ति सुखी नहीं रहता। कोई सुखी तो कोई दु:खी है। आखिर सुख और दु:ख क्या है।हमारे शास्त्रकार कहते हैं कि जो इंद्रियों और मन के अनुकूल हो, वह सुख है और जो प्रतिकूल लगे वह दु:ख है। भगवान हमारे हाथ में रोज सुबह एक सोने का सिक्का देते हैं जिसका हमें दिन भर अपने मन के मुताबिक उपयोग करना है, लेकिन इस सिक्के को कोई सुख खरीदने में उपयोग करता है, कोई दु:ख खरीदने में, तो कोई लापरवाही के कारण बिना सिक्का खर्च किए लौट आता है। भगवान का यह सिक्का हमारे रोजाना के दिन हैं। कुछ लोग बाहरी चीजों में अपना सुख खोजते हैं, लेकिन इस चक्कर में वे दु:ख के जाल में उलझकर रह जाते हैं। 

हिम्मत के साथ आगे बढ़ें
कोई भी सांसारिक चीज आपको सुखी नहीं बना सकती, क्योंकि इन वस्तुओं से आप बहुत जल्दी उब जाते हैं- खाने की वस्तुएं, गीत- संगीत और रिश्ते-नाते। यहां तक कि पति और पत्नी शुरू में एक-दूसरे को खूब पसंद करते हैं, लेकिन कुछ समय के बाद यही संग एक-दूसरे को दु:खी करने लगता है। आपके जीवन में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण चीज अगर कोई है तो वह आप स्वयं है। एक योद्धा की तरह बहादुरी के साथ जीवन जिये और अपने दु:खों को परास्त कर सुख का रास्ता खोज निकालिए। इसीलिए हमारे ऋषियों और बुजुर्गों ने जीवन के जीवन में प्राथमकिताओं का बोध कराया है। जो दु:ख और संघर्ष में हैं वे स्वयं को सुखी बनाने के लिए हिम्मत के साथ आगे बढ़ना शुरू करिए। पूरी उम्मीद और साहस के साथ जीवन से जूझने को तैयार हो जाइए।

संसार में सात प्रकार के सुख 
हमारे पूर्वजों की कहावत है- पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुख घर में माया, तीसरा सुख पुत्र अधिकारी, चैथा सुख पतिव्रता नारी, पांचवां सुख राज में पांसा, छठवां सुख सुस्थान निवासा, सातवां सुख विद्याफल दाता। इस तरह इस संसार में सात प्रकार के सुख प्राथमिकता के क्रम में रखे गए हैं। इस संसार में सबसे पहला सुख अपना उत्तम स्वास्थ्य है, लेकिन आज हम ऐसी जीवनशैली जी रहे हैं कि पहले पैसा कमाने के लिए अपनी नींद गवांते हैं, लेकिन जब पैसा आता है, तो नींद चली जाती है। इसलिए सुखी होने की शुरुआत स्वयं के स्वास्थ्य को सुधारने से कीजिए।  समय रहते धन कमाइए, लेकिन पुत्र को धन कमाकर देने की बजाय उसे कमाना सिखाइए।  

Created On :   6 Feb 2020 11:29 AM IST

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