7 वन क्षेत्रों में धधक रहे हैं जंगल - काबू में नहीं आ रही आग

The forests are blazing in the 7 forest areas - there is no fire under control
7 वन क्षेत्रों में धधक रहे हैं जंगल - काबू में नहीं आ रही आग
7 वन क्षेत्रों में धधक रहे हैं जंगल - काबू में नहीं आ रही आग

 डिजिटल डेस्क सतना। कम स्टाफ और सीमित संसाधनों के बीच जहां वन अफसर और उनका मैदानी अमला लाचार है, वहीं जिले के 7 वन क्षेत्रों में जंगल दहक रहे हैं।  तकरीबन डेेढ़ दर्जन बीटों में कहीं आग सुलग रही है तो कहीं धधक रही है। वन संरक्षक राजेश राय की अध्यक्षता में गुरुवार को इसी सिलसिले में आयोजित आपात बैठक में  आग के कारणों और बचाव के उपायों पर चर्चा हुई। इसी बीच सुबह साढ़े 11 बजे अमरपाटन के रामनगर सर्किल के गिधैला पहाड़ के कक्ष नंबर पी-656 में आग भड़क उठी। जब तक अमला अलर्ट मोड पर आता आग तकरीबन 4 हेक्टेयर भू-भाग को अपने आगोश में ले चुकी थी। आग को नियंत्रित करने में 6 घंटे से भी ज्यादा का वक्त लगा। मैहर की सढ़ेरा बीट के कक्ष नंबर पी-554 से भी ऐसा ही अलर्ट है। जिले के बरौंधा, चित्रकूट, उचेहरा, मझगवां, नागौद के हरदुआ बीट के कक्ष नंबर पी 341,पहाड़ी और सिंहपुर के जंगलों में भी आग बेकाबू है। गनीमत है, आग सतही स्तर पर है।    कम स्टाफ और सीमित संसाधन :-- 
जिले में मिश्रित प्रकार का वर्टिकल वन है। आग पर नियंत्रण टेढ़ी खीर है। इसके विपरीत 2265.389 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए स्वीकृत बल की तुलना में अभी कम से कम 150 स्टाफ चाहिए। अभी 150 बीट तो महज 140 गार्ड हैं। इतने बड़े वन क्षेत्र में 8 परिक्षेत्र अधिकारी,  30 परिक्षेत्र सहायक, 140 बीटगार्ड और 5 उप वन क्षेत्रपाल हैं। 
सेटेलाइट से निगरानी भी बेअसर :--------
जिले जंगलों की निगरानी सेटेलाइट करता है,मगर प्रॉसेस की चाल कछुआ है। मसलन-सेटेलाइट के माध्यम से जब तक मोबाइल पर अलर्ट मैसेज मिलता है तब तक देर हो चुकी होती है। खासकर आगजनी की स्थिति में हालात नियंत्रण से बाहर जा चुके होते हैं। वन विभाग के पास आज भी आग से बचाव के परंरागत उपाय ही हैं। मसलन-नालियां काटना और लगी आग को पीट-पीट कर बुझाना। 
कहीं पर्दे के पीछे पत्ता ठेकेदार तो नहीं :---- 
एक तो गर्मी उस पर आग की तपन से तेंदू में अच्छे पत्ते आते हैं। ऐसे में इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसके पीछे कहीं पत्ता ठेकेदार तो नहीं हैं। पत्ते की तुड़ाई मई में है। शाख कर्तन का काम खत्म हो चुका है। अबकि 65 हजार मानक  बोरा पत्ते के लक्ष्य के लिए 42 समितियों के माध्यम से 73 हजार श्रमिक पत्ते का संग्रहण करेंगे। तकरीबन 30 करोड़ के राजस्व का अनुमान है।
 वन अपराधी भी संदेह के दायरे में :--- 
समीक्षा बैठक में यह तथ्य सामने आया कि जंगल में आग प्राकृतिक नहीं है। ऐसे मौकों में वन अपराधी भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ग्राम वन समितियों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है। गांवों में महुआ बीनने वाले ग्रामीण आमतौर पर वृक्षों के नीचे का खरपतवार जलाने के लिए आग लगा देते हैं। अबकि कम बारिश के कारण जंगल की धरती भी सूखी है। तेंदूपत्ता के ठेकेदारों की इस मसले पर निगरानी जरुरी है। 
 बढ़ाई गई निगरानी :----
 जिले के जंगलों में चौतरफा आग को नियंत्रित करने के लिए पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है। दावे के मुताबिक तीन शिफ्ट में 8-8 घंटे की निगरानी बढ़ाई गई है। इस मामले में ज्यादा संवेदनशील क्षेत्रों में लाइनिंग वर्क करने के निर्देश दिए गए हैं। 
सीएम हेल्प लाइन में 80 शिकायतें :-------  
 बैठक में सीएफ ने तेंदूपत्ता के शाखकर्तन की समीक्षा की। जानकारी दी गई कि सीएम हेल्प लाइन में 80 शिकायतें पेंडिंग हैं। जिसमें 25 मामले वन्य प्राणियों की क्षति से संबंधित हैं,जबकि 23 प्रकरण भुगतान  से संबद्ध हैं। सीएफ राजेश राय ने 7 दिन में प्रकरणों के शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए हैं। 
इनका कहना है :----  
गनीमत है, जंगल में जहां भी आग है। सतही स्तर पर  है। पेड़ पौधे और वन्य प्राणियों को नुकसान की रिपोर्ट नहीं है। आग को नियंत्रित करने के लिए तीन शिफ्ट में गश्त लगाई गई है। मुखबिर तंत्र को सक्रिय करते हुए ग्राम वन समितियों की भी मदद ली जा रही है। 
 राजेश राय, वन संरक्षक सतना
 

Created On :   2 April 2021 7:05 PM IST

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