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सरकार को हर महीने हो रही तीन करोड़ रुपये के राजस्व की हानि
डिजिटल डेस्क,शहडोल। रेत के परिवहन में मनमानी और नियमों की अनदेखी की तस्वीर यह बताने काफी है कि जिला प्रशासन की संयुक्त टीम जिसमें खनिज, पुलिस, राजस्व तथा वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी लोग शामिल हैं अपने दायित्वों को निभाने में पूरी तरह कैसे विफल हैं। इनकी इस विफलता की वजह से जहां सरकार को हर माह करीब तीन करोड़ रुपए से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इस तरह से रेत के ओवरलोड परिवहन के कारण मध्यप्रदेश के शहडोल जिले से लेकर उत्तरप्रदेश के समीपी जिलों विशेष रूप से सोनभद्र तक का सडक़ मार्ग से सफर खतरों भरा हो गया है।
ब्यौहारी से 224 किलोमीटर दूर सोनभद्र ले जाई जा रही रेत
तस्वीर सोन नदी के पोड़ीकला रेत खदान की है। जहां से रेत से ओवरलोड डंपर और ट्रक उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले को जा रहे हैं। करीब 224 किलोमीटर लंबे रास्ते पर रेत से ओवर लोड यह ट्रक और डंपर दो दर्जन से ज्यादा थाने और पुलिस चौकी से हो कर गुजरते हैं लेकिन किसी की मजाल जो इन्हें रोक ले। जिले की रेत ठेका कंपनी वंशिका कंसट्रक्शन के प्रबंधक अजीत सिंह जादौन ऐसा नहीं होने की बात कहते हैं, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों सहित ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की जनता हर दिन करीब 3 सौ से ज्यादा ट्रक व डंपर रेत से ओवरलोड हो कर सडक़ों से गुजरने की बात कहते हैं। जिला परिवहन अधिकारी (आरटीओ) आशुतोष भदौरिया का बयान ‘रेत की ओवर लोडिंग पर हमारी कार्रवाई जारी है। कुछ दिन पहले ही ब्यौहारी के पास 6 ट्रकों की जांच की थी, सभी में ओवरलोड रेत परिवहन मिला था, जिस पर जुर्माना लगाया गया रेत ठेका कंपनी प्रबंधन के ‘ओवरलोडिंग नहीं करने’ के दावों को झुठलाता है।
इस तरह से हो रहा सरकार को नुकसान-
रेत कारोबार के जानकारों के अनुसार एक डंपर में औसतन 16 घनमीटर रेत के परिवहन की अनुमति है। फिर भी करीब 8 फीट की ऊंचाई तक पटरे लगा कर हर डंपर में करीब 5 घनमीटर अतिरिक्त रेत भरी जाती है। इस अतिरिक्त 5 घनमीटर रेत की रायल्टी भी आमतौर पर शासन को नहीं चुकाई जाती है। इस लिहाज से रेत से ओवरलोड हर डंपर पर सरकार को डेढ़ हजार रुपये की रायल्टी का नुकसान होता है। अकेले पोड़ीकला और आसपास के दूसरी रेत खदान से हर दिन करीब तीन सौ ओवरलोड डंपर निकाले जाते हैं। यानि सोन नदी पर ब्यौहारी के आसपास खदान से सरकार को प्रतिदिन लगभग साढ़े 4 लाख रुपए और हर माह सवा करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। जिले की 8 से ज्यादा खदानों पर बेरोक-टोक काम चल रहा है, वहां से निकलने वाले रेत से ओरवरलोड डंपरों-ट्रकों की संख्या और उसमें भरी अतिरिक्त रेत के आंकड़े को देखा जाए तो हर माह की राजस्व हानि का आंकड़ा 3 करोड़ रुपये से अधिक का हो जाता है।
इस तरह से होती है, कार्रवाई से बचने की कोशिश
रेत के परिवहन में ओवरलोडिंग के बाद कार्रवाई से बचने की कोशिश भी की जाती है। दरअसल, रेत खदान से रेत परिवहन की टीपी घनमीटर में जारी की जाती है। दूसरी ओर सडक़ पर आरटीओ व पुलिस द्वारा टन में ओवरलोड निकालकर नुकसान का आकलन किया जाता है। रेत से ओवरलोड वाहन पकड़े जाने के बाद क्षेत्रफल में पर्ची और वजन में जांच के बीच की इसी प्रक्रिया से बचकर निकलने की कोशिश की जाती है। इसका खामियाजा आमजन को सडक़ पर आवागमन के दौरान उठाना पड़ रहा है। सडक़ें खराब हो रही है, और सडक़ दुर्घटना के मामले बढ़ रहे सो अलग।
Created On :   9 Dec 2022 3:55 PM IST