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मनपा के अनुदान पर पड़ सकता है असर, मंडराने लगे अभी से संकट के बादल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते नागपुर मनपा पर सरकार की विशेष मेहरबानी रही। शुरू में जो जीएसटी अनुदान प्रति माह 50 करोड़ के करीब मिलता था, बाद में पांच साल की एलबीटी के आधार पर उसे बढ़ाकर 93.15 करोड़ रुपए तक हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के समय से रुकी हुई विशेष निधि एक साथ मिली। 150 करोड़ रुपए की विशेष निधि मिलने से मनपा के कई संकट पार हुए। इसके अलावा स्टैंप ड्यूटी, प्राइमरी शालाओं के शिक्षकों के वेतन का भुगतान सहित विविध अनुदान समय-समय पर मिलते रहे। मनपा ने एक-एक संकट को नियोजनबद्ध तरीके से निपटाया। बकाया को लेकर हंगामा मचाने वाले ठेकेदारों को शांत किया। मनपा कर्मचारियों के वेतन समय पर मिलने लगा, किन्तु अब राज्य में सत्ता परिवर्तन से महानगरपालिका को डर सताने लगा है। खासकर शिवसेना का मुख्यमंत्री होने से यह बेचैनी और बढ़ गई है। आशंका है कि, देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच राजनीतिक टकराव का मनपा के वित्त प्रबंधन पर असर न पड़े। इसे लेकर अभी से आशंकाओं के बादल मनपा के आर्थिक प्रबंधन पर मंडराना शुरू हो गए हैं। मनपा तिजोरी की रखवाली करने वाले कुछ अधिकारियों ने इन आशंकाओं को पुष्टि की है। अगर ऐसा होता है, तो मनपा की वित्तीय ट्रेन फिर पटरी से उतर सकती है। शहर के विकास कामों के साथ मनपा कर्मचारियों की आर्थिक सेहत पर भी पड़ सकता है।
समृद्धि एक्सप्रेस-वे पर भी मंडराया संकट
सत्ता परिवर्तन का असर सिर्फ मनपा की सेहत पर नहीं होगा, लेकिन राज्य की योजनाओं पर देखने मिल सकता है। खासकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक समृद्धि एक्सप्रेस-वे पर। नागपुर से सीधे मुंबई को जोड़ने वाला यह महामार्ग है। 8 घंटे में नागपुर से मुंबई पहुंचने का दावा किया गया है। फिलहाल काम प्रारंभिक चरणों में है। भू-अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है और जमीन को समतल करने का काम शुरू है। नई सरकार बनने के बाद यह कितनी तेजी से आगे बढ़ेगा, यह देखना है।
पिछले साल मिली थी 150 करोड़ रुपए की एकमुश्त रकम
मनपा और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकार का अनुभव शहर को इससे पहले भी रहा है। 2014 से पहले राज्य में कांग्रेस-राकांपा की सरकार और मनपा में भाजपा की सत्ता रही है। ऐसे में दोनों में कई मुद्दों को लेकर टकराव रहा है। उस समय शहर में विकास कार्यों में सरकार से सहयोग नहीं मिलने का आरोप लगता रहा है। कभी टैक्स लादने का आरोप लगा तो कभी निधि नहीं मिलने का रोना रोया गया। इसे लेकर भाजपा ने सड़क पर उतरकर अनेक आंदोलन भी किए। एलबीटी के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ा। तत्कालीन मनपा आयुक्तों पर भी सरकार का एजेंट होने का आरोप लगा। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक सभागृह में लाए गए।
विशेष यह कि, इस दौरान किसी बड़ी योजना और उपलब्धि को लेकर श्रेय की राजनीति भी भाजपा-कांग्रेस में चलती रही। 2014 में राज्य में भाजपा-सेना युती की सरकार आने के बाद हालात सामान्य हुए। मुख्यमंत्री नागपुर से होने के कारण विकास कार्यों को गति मिली। सरकार ने आते ही अगले साल यानी 2015 में एलबीटी रद्द कर दी। चुंगी कर के आधार पर अनुदान देना शुरू किया। इसके बाद जीएसटी लागू हुआ। शुरू में 50 करोड़ के करीब अनुदान मिलने से इसे अपर्याप्त बताया गया। सर्वदलीय मांग के बाद यह अनुदान 93.15 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। फडणवीस ने पिछले साल 150 करोड़ रुपए की एकमुश्त रकम मनपा को दी। इस बड़ी राशि से मनपा के अनेक संकट पार हुए। कुछ हद तक मनपा की आर्थिक स्थिति पटरी पर लौटी। स्टैम्प ड्यूटी का पैसा भी समय पर मिलने लगा। साल का करीब 60 करोड़ रुपए मनपा को मिलता है। प्राइमरी शिक्षकों के वेतन का पैसा भी सरकार से भुगतान होता है। इसके अलावा कई बड़ी योजनाओं को मंजूरी और राशि मिलती रही है।
बड़ी विकास योजनाओं पर असर पड़ने की आशंका
अब सत्ता परिवर्तन से सत्तापक्ष सहित अधिकारियों की बेचैनी बढ़ गई है। अधिकारियों ने इस बेचैनी का जिक्र भी किया। उनका कहना है कि, पैसा तो मिलेगा, लेकिन कब और कितना यह निश्चित तौर पर कहना मुश्किल है। नागपुर के मुख्यमंत्री होने से निधि का कोई संकट नहीं था। लेकिन अब यह संकट गहरा सकता है। हालांकि यह आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक होने की चर्चा ज्यादा है। जिसका असर नागपुर के विकास कार्य सहित कई बड़ी योजनाओं पर भी पड़ने की आशंका जताई गई है।
डीपीसी का बजट चर्चा में
जिला नियोजन समिति (डीसीपी) पर भी इसके असर को नकारा नहीं जा सका। मौजूदा समय में डीपीसी का वार्षिक बजट 700 करोड़ रुपए के करीब है। पिछले पांच सालों में इसका बजट तेजी से बढ़ा है। कांग्रेस-राकांपा आघाड़ी सरकार ने 200 से 250 करोड़ के बीच यह बजट था। आने वाले समय में डीपीसी का वार्षिक बजट कितना बढ़ेगा, यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
Created On :   28 Nov 2019 1:11 PM IST