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गाइडलाइन कहती है कि यूज्ड ऑइल की एक बूँद भी जमीन पर न गिरे, पर यहाँ उसे ठिकाने लगाने का इंतजाम तक नहीं
शहर में प्रतिमाह निकल रहा 5 सौ ड्रम काला तेल, जो रजिस्टर्ड रिफाइनरी में जाने की बजाय ब्लैक में खुले बाजार में बिक रहा, मप्र सहित यूपी, दिल्ली तक फैला अवैध कारोबार
डिजिटल डेस्क जबलपुर । शहर में काले तेल का अवैध कारोबार जमकर फल-फूल रहा है। कालाबाजारी की हद ऐसी है कि जो यूज्ड ऑइल (काला तेल) रजिस्टर्ड वाहन से रजिस्टर्ड रिसाइक्लर को भेजा जाना चाहिए वो चोरी छिपे रिफाइन्ड तेल के टैंकरों में भरकर प्रदेश के इंदौर, ग्वालियर सहित प्रदेश के बाहर यूपी, दिल्ली आदि शहरों में भेजा जाता है। जहाँ काले तेल से लाइट डीजल ऑइल (एलडीओ) बनाकर उसे उद्यमियों को बेच दिया जाता है, जिसका इस्तेमाल प्लांट चलाने हेतु किया जाता है। काले तेल के गोरखधंधे में लिप्त कबाड़ी, शहर में मौजूद गैराज और सर्विस सेंटर्स से सीधे काला तेल खरीदकर अवैध कारोबार कर रहे हैं और सरकार को प्रतिमाह लाखों के टैक्स की चपत लगा रहे हैं।यहाँ बता दें कि शहर में मौजूद समस्त उद्योगों व ऑटो मोबाइल सर्विस सेंटर्स तथा छोटे-बड़े गैरेज जहाँ कहीं भी लुब्रिकेंट ऑइल का काम होता है। उन जगहों से निकलने वाले यूज्ड ऑइल को काला तेल कहा जाता है।
जबलपुर शहर में प्रतिमाह 5 सौ ड्रम काला तेल निकलता है। काले तेल को लेकर शासन की जो गाइडलाइन निर्धारित है उसके अनुसार ऑटो मोबाइल, सर्विस सेंटर्स या फिर इंडस्ट्रीज से निकलने वाले काले तेल को बोर्ड द्वारा पंजीकृत री-साइकिल संस्था को पहुँचाकर पंजीकृत संस्था से फार्म नंबर 10 की प्रति प्राप्त कर बोर्ड में जमा कराई जानी चाहिए। लेकिन वर्तमान में बिना फार्म 10 के ही काले तेल की ब्रिकी हो रही है। शहर में दर्जनों ऐसे कबाड़ी हैं जो काले तेल के अवैध कारोबार से वारे-न्यारे कर रहे हैं। जिला प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे यह पूरा खेल चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार बेखबर हैं। सूत्र बताते हैं कि ज्यादा जयपुर से आने वाले िरफाइन तेल के टैंकरों के जरिए काला बाजार पैर पसार रहा है।
1 बूँद, दूषित कर सकती है 1 हजार लीटर पानी - पर्यावरणविदों के अनुसार भूमि पर गिरा 1 बूँद काला तेल 1 हजार लीटर पानी को प्रदूषित कर सकता है। मतलब साफ है कि काला तेल भूमिगत जल के लिए बेहद खतरनाक है। आलम ऐसा है कि पुल नंबर 2 से रसल चौक, रसल चौक से चौथा पुल, गोहलपुर से रद्दी चौकी, छोटी लाइन से मदन महल, मालवीय चौक, एमएलबी, स्टेडियम के आसपास सहित लिंक रोड की सड़कों के अधिकांश हिस्से को मिलाते हुए शहर में सैंकड़ों अवैध मैकेनिक कब्जा जमाए दिखते हैं। यहाँ वाहनों की धुलाई और मरम्मत के बाद निकला काला तेल कबाडिय़ों को बेचने सहित सीधे तौर पर जमीन में समाहित हो रहा है। इन क्षेत्रों के रहवासियों की शिकायत है कि काले तेल के कारण बोरिंग से आने वाला पानी मैला और कसैला हो रहा है, लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई लेना-देना नहीं है।
पाँच साल तक की सजा का प्रावधान
काले तेल की काला बाजारी में न्यायालय में प्रकरण दर्ज होने के बाद 1 लाख की पेनाल्टी सहित नियमों का उल्लंघन करने वाले गैराज/सर्विस सेंटर संचालक को पाँच साल तक की सजा व उसे बंद किए जाने की कार्रवाई का प्रावधान है।
इनका कहना है
यूज्ड/वेस्ट ऑइल जहाँ-जहाँ से निकलता है वो सभी उस ऑइल को रजिस्टर्ड रिसाइक्लर को ही दें, उनके द्वारा यदि ऐसा नहीं किया जा रहा है तो यह खतरनाक अपशिष्ट अधिनियम 2016 का उल्लंघन माना जाएगा।
-पीएस बुंदेला, क्षेत्रीय अधिकारी मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
Created On :   7 Jan 2021 2:28 PM IST