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हद है - रेलवे स्टेशन पर री-डेवलपमेंट के नाम पर अजीबो-गरीब खेल, हो रहा आर्थिक नुकसान पर कोई जवाब देने को तैयार नहीं
यात्री हो रहे हैरान लगते देर नहीं हुई और उखाड़ डालीं सैकड़ों टाइल्स
डिजिटल डेस्क जबलपुर । मुख्य रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नं.1 के प्रवेश द्वार के सामने खड़े इंजन के चारों ओर लगाई गई सैकड़ों सुंदर टाइल्स को तोड़ते देखकर शुक्रवार की दोपहर स्टेशन आने वाले लोग ठिठक कर रह गए, कुछ देर के लिए तो जैसे मेला ही लग गया और हर किसी की जुबां पर एक ही बात थी कि .. अरे क्या हो रहा है, अभी एक साल पहले ही तो ये नई टाइल्स लगाई थीं, फिर इन्हें क्यों तोड़ा जा रहा है .. लेकिन किसी को कोई जवाब नहीं मिला ... लेकिन काम करने वालों की खामोशी से यह बयां हो गया कि रेलवे स्टेशन पर री-डेवलेपमेंट के नाम पर मनमानी का खेल चल रहा है। रेलवे के जिम्मेदार अजीबो-गरीब खेल के बारे में कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
महीनों तक स्टेशन और ट्रेेन बंद रहीं, फिर नई टाइल्स उधेडऩे का क्या मतलब
सूत्रों के अनुसार रेलवे ने प्लेटफॉर्म नं. 1 के बाहर जनवरी 2020 में टाइल्स लगाई थीं। मार्च के अंत में कोरोना की दस्तक के साथ लॉकडाउन होते ही ट्रेनों और स्टेशन को बंद कर दिया गया, इस दौरान यहाँ कोई हलचल नहीं हुई। जून में इक्का-दुक्का ट्रेनें चलना शुरू हुईं। यात्रियों का कहना है कि जब गार्डन एरिया की टाइल्स क्षतिग्रस्त नहीं हुईं तो बेवजह महँगी टाइल्स को क्यों बदला जा रहा है।
कुदाली से खोदने के कारण टुकड़ों टुकड़ों में निकल रहीं टाइल्स
स्टेशन पर मौजूद लोगों की तकलीफ उस समय बढ़ गई जब कर्मियों ने कुदाली से खोदकर टाइल्स को निकलाने की कोशिश की और सारी टाइल्स टुकड़े-टुकड़े हो गईं। उन्होंने कहा कि टाइल्स को अगर निकालना ही है तो उसे सावधानी से निकाला जा सकता है ताकि उसका कहीं दोबारा उपयोग हो सके लेकिन जानबूझ कर कुदाली से टाइल्स निकालने का मतलब ही यही है कि उन्हें तोड़कर कर बर्बाद किया जाना है।
Created On :   20 March 2021 2:54 PM IST