जो राम की ओर अग्रसर होता है प्रभु उसकी हर सेवा करते हैं

The Lord does everything that leads to Rama
जो राम की ओर अग्रसर होता है प्रभु उसकी हर सेवा करते हैं
जो राम की ओर अग्रसर होता है प्रभु उसकी हर सेवा करते हैं

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  पोद्दारेश्वर राम मंदिर में आयोजित वार्षिक राम कथा में वाराणसी से पधारे युवा रामायणी पं. आशीष मिश्र ने 7 वें दिवस उत्तरकांड से कागभुसुंडी और गरुड़ के संवाद के आधार पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रभाव और स्वभाव पर सप्तम पुष्प समर्पित करते हुए बताया कि सभी ग्रंथों का रस निकाला जाए, तो जो रस निकलेगा व राम-रस ही होगा। इसमें डूबने वाला ही उसका आनंद जानता है। कागभुसुंडी कहते हैं-  जो-जो राम की ओर अग्रसर हुआ है, प्रभु ने उसकी हर प्रकार से सेवा की है। नामदेव विठ्ठल से बोले हमारे घर चलोगे? भगवन ने कहा बुलाओगे तो जरूर चलेंगे। फिर यहां कौन खड़ा रहेगा? यह बात नामदेव ने पत्नी को बतई। पत्नी बोली आप को कह देना था, उतनी देर मैं खड़ा रहूंगा। नामदेव के ऐसा कहने पर भगवान उन्हें अपनी जगह खड़ा कर चले गए।

शयन आरती तक नहीं लौटे। नामदेव की खड़े-खड़े हालत खराब हो गई। लौटने पर भगवान से बोले देर कर दी प्रभु, मेरी तो हालत खराब हो गई। भगवान बोले नामदेव ढाई हजार वर्ष से खड़ा हूं। मेरी तो सोच। चैतन्य महाप्रभु ने एक मठा बेचने वाले के मटके से मठा पी उसे हीरे मोती से भर दिया था। जनक सभा में जब कई राजा शिव धनुष हिला भी न पाए, तब गुरु आज्ञा से राम उठे। सीता ने मन ही मन धनुष से प्रार्थना की कि वह हल्का हो जाए। तब पुष्प वाटिका में जिस सखी ने सिया को राम दरस कराए थे, वह बोली उनकी सुकुमारता पर मत जाओ। कुंभज ऋषि का आकार क्या था?  पर वो सारा समुद्र जल पी गए थे। भगवान श्रीराम के प्रभाव और स्वभाव की चर्चा शिव और हनुमान भी करते हैं। शिव और कागभुसुंडी मानव वेष में भगवान की बाल लीला देखने पहुंचे, ज्योतिष  बनकर गए थे।

कौशल्या ने पहले दोनों को भोजन कराया, राम सुबह से रो रहे थे, कौशल्या ने बालक से शिव के चरण धुलवाए। शिव ने उनका हाथ देख बताना शुरू किया। भगवान शिव अपने विवाह में बैल पर चढ़े थे। बैल धर्म का प्रतीक थे। राम विवाह में घोड़े पर चढ़े थे। घोड़ा काम का प्रतीक है। राम ने संकेत दिया कि काया के वषीभूत न हो, उस पर लगाम कसे रखो। इसके पूर्व पं. गंगासागर पांडेय ने महर्षि वाल्मीकि द्वारा वन में श्रीराम के रहने योग्य स्थान के लिए पूछने पर बताया जिनके हृदय हरि कथा सुनते नहीं अघाते, जो सत्संग में अपना जीवन संवारते हैं, उनका ह्दय आपके निवास के लिए सर्वथा उपयुक्त हैं।  पं. आशुतोष मिश्र ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी। विद्वान वक्ताओं का स्वागत प्रेमकुमार कोठारी, अशोक अग्रवाल, सुनील जोशी, भगवानदास डागा ने किया। यह जानकारी प्रबंधक ट्रस्टी रामकृष्ण पोद्दार ने दी।

 

Created On :   24 Jan 2020 12:00 PM IST

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