गेहूं की नई किस्म से महाराष्ट्र के एक गाँव में किसानों को उनकी उपज को दोगुना करने में मदद मिली

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गेहूं की नई किस्म से महाराष्ट्र के एक गाँव में किसानों को उनकी उपज को दोगुना करने में मदद मिली

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय गेहूं की नई किस्म से महाराष्ट्र के एक गाँव में किसानों को उनकी उपज को दोगुना करने में मदद मिली नए विकसित सामान्‍य गेहूं या ब्रेड गेहूं को अधिक उपज देने वाला एस्टिवम भी कहा जाता है, जो 110 दिनों में परिपक्व हो जाता है और पत्ती और तने के अधिकांश हिस्सों के रोगों के लिए प्रतिरोधी होता है। किसानों के पास अब भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित गेहूं की ऐसी किस्म है,जिसकी पैदावार काफी अधिक होगी। इस गेहूं के आटे से चपाती भी अधिक गुणवत्ता वाली होती है। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, आगरकर अनुसंधान संस्‍थान (एआरआई)के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मैक्‍स6478 नामक इस गेहूं की किस्‍म से महाराष्ट्र के एक गाँव करंजखोप में किसानों के लिए फसल की पैदावार दोगुनीहो गई है। महाराष्ट्र में सतारा जिले के कोरेगाँव तहसील के गाँव के किसानों को अब नई किस्म के साथ 45-60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मिल रही है, जबकि पहले औसत उपज 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, जब उन्होंने लोक 1, एचडी 2189 और अन्य पुरानी किस्में उगाई। नव विकसित सामान्‍य गेहूं या ब्रेड गेहूं, जिसे उच्च उपज देने वाला एस्टिवम भी कहा जाता है, 110 दिनों में परिपक्व हो जाता है और पत्ती और तने के अधिकांश रोगों के लिए प्रतिरोधी होता है। एम्बर रंग के मध्यम आकार के अनाज में 14 प्रतिशत प्रोटीन, 44.1 पीपीएम जस्ता और 42.8 पीपीएम आयरन होता है, जो अन्य खेती की किस्मों से अधिक है। इस किस्म पर एक शोध पत्र करंट इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज’में प्रकाशित हुआ है। इस गेहूं के आटे की चपाती की गुणवत्ता उत्कृष्ट है, अच्छी रोटी की गुणवत्ता के साथ 8.05 का स्कोर 6.93 है। बीज गुणन के लिए महाराष्ट्र राज्य बीज एजेंसी, "महाबीज" किसानों के उपयोग के लिए मैक्‍स 6478 के प्रमाणित बीज का उत्पादन कर रही है। पूर्व बीज प्रमाणीकरण अधिकारी और एआरआई कर्मचारियों के समर्थन से,अब तक गांव के 10 किसानों ने चौदह एकड़ भूमि पर इस किस्म की खेती की है। करंजखोप के किसानों ने आगे बीज उत्पादन और अन्य कृषि उपज के लिए एक कंपनी स्थापित करने की योजना बनाई है। सारे बदलाव के प्रत्‍यक्षदर्शी किसानश्री रमेश जाधव ने बताया कि "हमें प्रेरित करने के लिए हमें एक चिंगारी की आवश्यकता थी और जो कि एआरआईगेहूं किस्म मैक्‍स6478 द्वारा प्रदान की गई है। अब, हम कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखेंगे।" प्रकाशन का विवरण: पश्चिमी महाराष्ट्र, भारत के अर्ध-शुष्क कटिबंधों में बुवाई केभिन्न रूपों में जलवायु परिवर्तनके लिए गेहूं की किस्‍म (ट्रिटिकम ब्यूटीविम एल) का मूल्यांकन। 2018. डीएन बंकर, वीएस बावस्कर, केजे यशवंत कुमार, एसएस रस्कर, एसएस खैरनार, वीडी गीते, वीडी सुर्वे, जेएच बागवान और बीके होनराव। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ करंट माइक्रोबायोलॉजी एंड एप्लाइड साइंसेज, 7 (4): 761-770। [अधिक जानकारी के लिए वैज्ञानिक अजीत एम चव्हाण (amchavan@aripune.org, मोबाइल 919423007238), जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग ग्रुप, और डॉ.पीके धाकफालकर, निदेशक (कार्यकारिणी), एआरआई, पुणे, (director@aripune.org, pkdhakephalkar@aripune.org, 020-25325002) पर संपर्क किया जा सकता है।

Created On :   15 Oct 2020 8:12 AM GMT

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