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लुभाने लगी जंगल सफारी ,पेंच, ताडोबा, बोर में हर दिन बढ़ रही पर्यटकों की संख्या
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अक्टूबर के शुरूआत में खुलनेवाली जंगल सफारी इस बार बारिश के कारण देरी से खुली है। हालांकि पर्यटकों की संख्या में कोई कमी नहीं आई है। विदर्भ की लगभग सभी जंगल सफारी पर्यटकों को लुभा रही है। हर रोज हजारों पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। मुख्यत: पेंच, ताडोबा, बोर आदि जगह हर रोज पर्यटकों की संख्या बढ़ते जा रही है। जिसका मुख्य कारण दिवाली, क्रिसमस छुटि्टयां है। बढ़ते पर्यटकों के कारण वन विभाग को लाखों का राजस्व मिल रहा है।
शहर से दूर जंगल के बीच जंगल सफारी कर हिरण, भालू, तेंदुए के साथ बाघ को देखने का अनुभव अलग ही होता है। इसी अनुभव का मजा लेने के लिए लोग जंगल सफारी का लुत्फ उठाते हैं। ऑनलाइन बुकिंग कर यहां पहुंच जंगलों का जिप्सी की सहायता से भ्रमण किया जाता है। विदर्भ की बात करें तो यहां पेंच, बोर व्याघ्र प्रकल्प, ताड़ोबा व्याघ्र प्रकल्प, नवेगांव नागझिरा, मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प, कारेपूर्णा अभयारण्य, उमरेड करांडला आदि जंगल सफारी है। बारिश के दौरान रास्तों पर होने वाले कीचड़ के कारण जिप्सी आदि फंस जाती है। वहीं तूफान में पेड़ आदि के गिरने से जंगल सफारी पर्यटकों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में बारिश के 3 महीने तक इसे बंद रखा जाता है। लेकिन अक्तूबर के शुरुआत में ही इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाता है। लेकिन इस बार बारिश लंबे समय तक मेहरबान रहने से जंगल सफारी थोड़ा लेट खुली है। हालांकि दिवाली के पहले खुलने से पर्यटकों के लिए यह अहम साबित हुई। दिवाली की छुटि्टयों में ताडोबा, पेंच और बोर आदि जंगल सफारी में सैकड़ों पर्यटक हर दिन पहुंच रहे थे।
अक्तूबर से अब तक ताडोबा में 30 हजार पर्यटक
बाघों के लिए प्रसिध्द ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प 625 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। प्रकल्प के चारों ओर संरक्षित क्षेत्र (बफर जोन) निर्माण किया है। प्रकल्प से सटे चंद्रपुर, मूल, सिंदेवाही, ब्रम्हपुरी, चिमूर, और वरोरा का तहसील का हिस्सा सटा है। जो कुल 1101.77 वर्ग किमी क्षेत्र में है। यहां हर साल लाखों पर्यटक दस्तक देते हैं। इस बार अक्तूबर में इसके खुलने के बाद अब तक 30 हजार से ज्यादा पर्यटकों ने जंगल सफारी का लुत्फ उठा लिया है। वहीं प्रतिदिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। जो आनेवाले क्रिसमस तक और ज्यादा होगी।
बढ़ रही बाघों की संख्या
पेंच में हर साल बाघों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2014 को यहां 8 मेल व 11 फिमेल कुल 19 बाघ थें। 2015 में इनकी संख्या में इजाफा हुआ। हालांकि मेल बाघ 6 ही रह गये लेकिन फिमेल बाघ 17 पर पहुंचने से बाघों की संख्या 23 पर पहुंच गई थी। वर्ष 2016 में 23 फिमेल व 8 मेल बाघ मिलाकर आंकड़ा 31 पर पहुंचा था। वहीं वर्ष 2017 में इनकी संख्या 44 पर पहुंची जिसमें 23 मेल बाघ व 21 फिमेल बाघ है। वर्ष 2018 व 2019 में इनकी संख्या में और भी इजाफा हो गया है। सिल्लारी गेट, कोलीतमारा, सालेघाट, नागलवाडी, कुर्सापार, चोर बाउली, पवनी आदि गेट पर पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। जंगल सफारी में यहां प्रति दिन हजारों पर्यटन पहुंच रहे हैं।
उमरेड करांडला में भी पहुंच रहे सैलानी
उमरेड करांडला, टिपेश्वर अभारण्य, नवेगांव नागझिरा आदि जगह पर भी सैलानियों की भीड़ देखने मिल रही है।
Created On :   20 Nov 2019 4:01 PM IST